नई दिल्ली: यह किस्सा उन दिनों का है जब दिल्ली में ब्लू लाइन बसों से लगातार दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही थीं. एक दिन शाम को मेरे फोन की घंटी बजी…दूसरी तरफ शीला दीक्षित थीं, उन्होंने मुझे फौरन घर पर बुलावाया और कहा कि बेटा एक बात से बहुत दिनों से परेशान हूं. लगातार लोगों के फोन आ रहे हैं, चिठ्ठीयां भेज रहे हैं.. मिलने वाले भी लगातार ब्लू लाइन बसों को बंद करने के लिए कह रहे है. लोगों की जानें जा रही हैं. अब दिल्ली के लोगोंं को इस ब्लू लाइन बसों से निजात दिलवानी है. इसकी जगह नई बस शुरू करनी है. जो लोगों की सुविधा का विशेष ध्यान रखे. इसके बाद मैं और मेरी टीम इस प्रोजेक्ट पर काम करने में जुट गए.
शीला दीक्षित सरकार में परिवहन मंत्री रहे हारुन युसुफ ने दिप्रिंट से उन्हें याद करते हुए कहा, जब भी वह मुझसे मिलती चाहें वह पार्टी की बैठक हो या कोई सरकारी मीटिंग, हर बार इस प्रोजेक्ट के बारें में अपडेट लेती और कहती कि कोई भी जरुरत हो तो तुरंत बताओ. इस प्रोजेक्ट में देरी नहीं होनी चाहिए. हम जल्द इसे शुरू करेंगे. अब यह हमारी दिल्ली में नहीं दिखनी चाहिए. हर पल वो इसे लेकर चिंता में रहती थी. वह जानती थी कि रातों रात इन बसों को हटाना संभव नहीं है इससे दिल्ली की जनता की परिवहन की परेशानियां बढ़ जातीं और पूरे शहर में हाहाकार मच जाता. इसके लिए हमें एक वैल्पिक रास्ता निकलना होगा. कॉमन वेल्थ गेम्स की तैयारियों के बीच मेट्रो और सीएनजी बसों ने हमारी इस समस्या का समाधान किया. वह शीला जी का विजन था कि आज दिल्ली में परिवहन व्यवस्था इतनी सुदृढ़ है.
इसके बाद हम सभी लोग लगातार बैठक करते थे. उनकी इसी चिंता के चलते हमने ब्लू लाइन बसों हटाया और नई बसे शहर में शुरू कीं. यह शीला जी का ही निर्देश था कि नई बसों के इंजन पीछे हो ताकि बसों में यात्रियों को गर्मी महसूस नहीं हो. मुझे आज भी याद जब बस शुरु हुई तो वह बेहद खुश थी. उन्होंने मुझे कहा था कि आज हमारी मेहनत रंग लाई.
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बीएल जोशी हमें वापस भेजते और शीला जी बार-बार गुजारिश करती
ऐसा लगातार तीन बार हुआ जब एलजी जोशी जी सहमत नहीं हुए. इसके बाद भी सीएम शीला जी केवल यह हंसते हुए यही कहती थी कि आप देख लीजिए यह हो सकता है. तीन बार मीटिंग के बाद एलजी ने यह मसला हल किया. फिर उन्होंने शीला जी कहा कि मैडम आप ठीक ही कहती थी कि बिल्कुल इसी तरह से काम होगा. जैसा आप चाहती है.
विनम्रता उनके स्वभाव में ही था. कभी अपनी नाराजगी प्रकट नहीं होने देती थी. ऐसे नेता बहुत कम होते है जिनके अंदर इतनी सहनशीलता हो. जो दूसरे की भावना को समझे. शीला जी सबकी भावना को समझते हुए निर्णय लिया करती थीं. आज दिल्ली ने ऐसी शख्सियत को खोया है जिसे आने वाले कई वर्षों तक लोग याद रखेंगे.
शीला जी दिल्ली आपको मिस करेगी- मनोज तिवारी
लोकसभा चुनाव 2019 के दिन थे…उत्तर पूर्वी दिल्ली से मैं और शीला जी एक दूसरे के आमने सामने थे. जब मैं प्रचार के लिए जाता था तो एक बात ध्यान से देखता था और सुनता था कि लोगों का शीला जी के प्रति क्रेज कितना है. यह देखने वाली बात थी लोग उनके और उनके किए गए काम के दिवाने हैं…भले ही मैं चुनाव जीत गया हूं, लेकिन शीला दीक्षित दिल्लीवालों के दिलों में राज करती हैं.
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मैं राजनीति में आने से पहले भी कई दफा उनसे मिला. उनके साथ प्रचार अभियान में हिस्सा भी लिया. उनके सामने चुनाव भी लड़ा, लेकिन पूरे प्रचार में उन्होंने कभी भी व्यक्तिगत तौर पर कुछ नहीं बोला. पूरा चुनाव दिल्ली के विकास पर ही फोकस रखा. यही वजह है कि आज शीला जी को मैं बहुत मिस कर रहा हूं….
चुनाव में जीत के बाद जब मैं शीला जी से मिलने उनके घर गया तो मैंने उनके अंदर एक मां को देखा. उन्होंने मेरा बच्चे की तरह स्वागत किया. राजनीतिक से इतर घर परिवार के बारे में बातचीत की. भविष्य को लेकर मार्गदर्शन दिया. वहीं स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान रखने की सलाह दी.
( दिप्रिंट हिंदी से बातचीत में दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी और शीला सरकार में परिवहन मंत्री रहे हारुन यूसूफ से बातचीत पर आधारित )