scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशयूपीएससी चाहता है कि सरकार सिविल सेवा परीक्षा से अनिवार्य एप्टीट्यूड टेस्ट को हटा दे

यूपीएससी चाहता है कि सरकार सिविल सेवा परीक्षा से अनिवार्य एप्टीट्यूड टेस्ट को हटा दे

सीसैट या पेपर-2, 2011 में पहली बार लाया गया था. इसका विरोध कुछ प्रतियोगियों ने किया था. उनका कहना था कि इससे अंग्रेजी, गणित और विज्ञान पृष्ठभूमि वाले लोगों को फायदा होता है.

Text Size:

नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) चाहता है कि सरकार सिविल सेवा की परीक्षा में अनिवार्य एप्टीट्यूड टेस्ट को हटा दे. यह टेस्ट उम्मीदवारों की समझ, संचार और निर्णय लेने के कौशल का परीक्षण करता है.

आयोग के सूत्रों ने कहा कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के साथ जून में साझा किए गए अपने विज़न डॉक्यूमेंट में यूपीएससी ने सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (सीसैट) को हटाने और परीक्षा से व्यापक अनुपस्थिति के लिए एक पेनल्टी लाने का प्रस्ताव लाया है.

सीसैट या पेपर 2 जिसे 2011 में लाया गया था. उसके परिणामस्वरूप कुछ प्रतियोगी ने व्यापक विरोध किया है. जिनके मुताबिक यह अंग्रेजी, गणित और विज्ञान पृष्ठभूमि वाले लोगों को फायदा देता है.

यूपीएससी सचिव राकेश गुप्ता ने इस रिपोर्ट के लिए दिप्रिंट के सवालों का जवाब नहीं दिया.

सीसैट विवादास्पद क्यों है?

सिविल सेवा परीक्षा का पेपर 1 करेंट अफेयर्स, इतिहास, अर्थशास्त्र, पर्यावरण, आदि जैसे मुद्दों पर उम्मीदवारों का परीक्षण करता है. दूसरे पेपर में सीसैट, अभिरुचि, निर्णय लेने, तर्क, मूल गणित, आदि के क्षेत्रों में परीक्षण करके अभ्यर्थी का मूल्यांकन करने का प्रयास करता है.

हालांकि, सीसैट से उम्मीदवारों को नुकसान में होने की वजह से बड़े पैमाने पर विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके कारण सरकार ने 2015 में परीक्षा के इस भाग को केवल ‘क्वालीफाइंग’ बनाने का फैसला किया. अब, केवल पहले पेपर के आधार के अंक का उपयोग दूसरे दौर के उम्मीदवारों के चयन के लिए किया जाता है. हालांकि, अर्हता प्राप्त करने के लिए दूसरे पेपर में 33 प्रतिशत स्कोर करना आवश्यक है.


यह भी पढ़ें : मोदी सरकार कैबिनेट सचिव को लेटरल एंट्री भर्ती पैनल का प्रमुख बनाना चाहती थी


2011 और 2015 के बीच सीसैट में शामिल होने वाले उम्मीदवार अभी भी विरोध कर रहे हैं. यह मानते हुए कि उन्हें नुकसान उठाना पड़ा था.

एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि यूपीएससी का विचार है कि जो छात्र पहले पेपर में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, वे दूसरे पेपर में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं. उम्मीदवार इस परीक्षा की तैयारी में समय बर्बाद कर रहे हैं और यह वास्तव में एक उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता है.

हालांकि, एक युवा आईएएस अधिकारी नाम न बताने की शर्त पर कहा कि सीसैट समस्या-समाधान, निर्णय लेने, नेतृत्व आदि जैसे कौशल का मूल्यांकन करने के लिए महत्वपूर्ण है. जो एक सफल सिविल सेवक होने के लिए महत्वपूर्ण हैं. अधिकारी ने कहा, ‘इसकी समस्याएं हैं, लेकिन यह आपको कुछ चीजों पर भी परीक्षण करता है जो नियमित परीक्षा में नहीं होती है.’

अनुपस्थिति से निपटने के लिए दंड

इसके अतिरिक्त यूपीएससी के अधिकारी ने कहा आयोग ने यह भी प्रस्तावित किया है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि सिविल सेवा परीक्षा में हो रही व्यापक अनुपस्थिति के लिए कोई कार्रवाई हो.


यह भी पढ़ें : हर कटेगरी के लिए सिविल सर्विस में हो एक एज लिमिट


इस साल की शुरुआत में दिप्रिंट ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि यूपीएससी चाहती है कि सिविल सेवा का परीक्षा देने वाले अभ्यार्थियों ने किसी भी तरह के ऐप्लिकेशन को एक ‘अटेंपट’ माना जाए. और यह प्रस्ताव सरकार को दोबारा भेज दिया गया है.

यूपीएससी का मानना ​​है कि अभ्यार्थियों की अनुपस्थिति पर नकेल कसने से उसके संसाधनों पर दबाव कम होगा. क्योंकि हर साल  लगभग 10 लाख उम्मीदवार सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं, लेकिन उनमें से केवल आधे ही वास्तव में परीक्षा में बैठते हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments