नई दिल्ली: रात में दूर से चमचमाते कुतुब मीनार का नजारा देखने लायक होता है. लेकिन अब, यह स्मारक एक साउंड एंड लाइट शो के कैनवास में बदल गया है जो भारतीय गांवों को विशेषताओं को सामने लाता है. जैसे ही घड़ी में रात के 8:15 बजते हैं, ऐतिहासिक दिल्ली सल्तनत-युग की मीनार पीले, नीले, नारंगी और लाल रंगों से जीवंत हो उठती है.
अपनी 10 मिनट की अवधि में, यह शो 21 चुने हुए गांवों की संस्कृति और परंपराओं का जश्न मनाता है. मेरा गांव मेरी धरोहर (एमजीएमडी) पहल संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित किए जा रहे बड़े आजादी का अमृत महोत्सव का हिस्सा है. इसका लक्ष्य 6.5 लाख गांवों की संस्कृति का चित्रण करना है, जिनमें से 2 लाख से अधिक को पहले ही कवर किया जा चुका है.
टैगबिन जो एक टेक्नोलॉजी सर्विस कंपनी है ने परियोजना के लिए सरकार के साथ सहयोग किया, जिसे 27 जुलाई को लॉन्च किया गया था, उसी दिन जब एमजीएमडी ऑनलाइन हुआ था. प्रौद्योगिकी, कलाकृति और इतिहास का संगम, प्रोजेक्शन मैपिंग शो दर्शकों को अतीत और वर्तमान के बीच एक अमूर्त संवाद का हिस्सा बनने की अनुमति देता है.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रूड़की के पूर्व छात्र और अब टैगबिन के सीईओ सौरव भैक का कहना है कि यह प्रारूप भारतीय गांवों की कहानियों के “आकर्षक और दृश्य रूप से सम्मोहक प्रतिनिधित्व की अनुमति देता है”. उन 10 मिनटों के दौरान प्रदर्शन ने परिसर में मौजूद सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. जैसे ही परिसर में सभी लाइटें बंद हो जाती हैं, और स्मारक कुछ मिनटों के लिए पूरी तरह से अंधेरे में डूब जाता है, आगंतुक अपने स्थानों पर ही रुक जाते हैं. और फिर अचानक, प्रकाश की धाराएं कुतुब मीनार के शीर्ष तक बढ़ने लगती हैं.
यह जबरदस्त अनुभूति का अनुभव कराता है और लुभावने दृश्य प्रदर्शनों के साथ सांस्कृतिक प्रतीकों और ऐतिहासिक परंपराओं का मिश्रण है. इस पर उकेरी जा रहीं छवियां कुतुब मीनार के पत्थर के काम के साथ विलीन हो जाती हैं, जिससे स्मारक एक छत्र में बदल जाता है.
परिसर में आने वाले आगंतुकों में से एक कुसाग्र ने इस पूरे शो को चुपचाप देखने के बाद, कहा,“प्रक्षेपण के छल्ले और आकार स्मारक के कोणों से मेल खा रहे थे. वह शो का सबसे अच्छा हिस्सा था.”
यह भी पढ़ें: ‘हमारा काम सिर्फ ड्राइवर, राइडर को शांत कराना नहीं’, उबर की 24×7 सेफ्टी हेल्पलाइन को संभालने वाले लोग
कुतुब मीनार क्यों
प्रोजेक्शन मैपिंग शो के लिए स्थल का चयन रणनीतिक था. अगले पांच वर्षों के लिए शो के लिए एक स्थायी सेटअप होना है, इसलिए ऐसी पृष्ठभूमि का चयन करना आवश्यक था जो न केवल एक विजुअल पेश करे बल्कि पर्याप्त दर्शकों तक भी पहुंचे.
भैक ने कहा, “कुतुब मीनार, एक विरासत स्थल है और इसे इसके ऐतिहासिक महत्व और लोकप्रियता के कारण चुना गया था, जिससे व्यापक पहुंच और प्रभावशाली लॉन्च सुनिश्चित हुआ.”
भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य की “गहराई और विविधता को प्रदर्शित करने” के टैगबिन के प्रयास ने देश के हर कोने से सामग्री तैयार करने का मार्ग प्रशस्त किया है. तमिलनाडु के ओडंथुराई गांव की सफलता से, जो अधिशेष पवन ऊर्जा उत्पन्न करता है और इसे सरकार को बेचता है, मेघालय के सीटी बजाने वाले गांव, कोंगथोंग तक, जहां माताएं अपने बच्चों को नाम के बजाय बुलाने के लिए एक अनोखी धुन बनाती हैं, शो इन अनोखी कहानियों को दर्शाता है.
भैक ने कहा, “इस शो में प्रदर्शित किए जा रहे प्रत्येक गांव का एक अनोखा और दिलचस्प पहलू है, जो भारत की विविध विरासत की कहानी में योगदान देता है.” शो की सामग्री समय के साथ विकसित होने वाली है. भैक ने कहा कि यह “ग्रामीण कहानियों की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करने” के लिए सामग्री अपडेट और संवर्द्धन से गुजरेगा.
मीनार से अलग
2013 में स्थापित टैगबिन, हर घर तिरंगा अभियान के शीर्ष पर था, जिसे उसने 2022 में संस्कृति मंत्रालय के साथ मिलकर योजना बनाई और मैनेज किया. एजेंसी ने प्रधान मंत्री संग्रहालय या पीएम संग्रहालय भी डिजाइन किया, जिसका उद्घाटन अप्रैल 2022 में किया गया था. इसने उत्तर प्रदेश के दीपोत्सव में एक और 3डी शो भी किया था.
कुतुब मीनार पर दिखाया गया प्रोजेक्शन मैपिंग स्थानिक सीमाओं तक सीमित नहीं है. पूरे स्मारक को कवर करने के लिए रणनीतिक रूप से लगाए गए प्रोजेक्टरों के साथ, स्मारक के चारों ओर स्थित घरों और छत पर बने रेस्तरां से दृश्य का आनंद लिया जा सकता है.
टैगबिन के संस्थापक ने कहा, जब शो चालू होता है, तो आस-पास के क्षेत्र के दर्शक शो के ऑडियो को सुनकर अनुभव में पूरी तरह से डूबने के लिए पोर्टल पर जा सकते हैं. वही पोर्टल एक इंटरैक्टिव प्रोजेक्शन मैपिंग प्लेटफ़ॉर्म भी प्रदान करता है जो आगंतुकों को उन प्रोजेक्शन पैटर्न का चयन करने की अनुमति देता है जिन्हें वे कुतुब मीनार पर लाइव देखना चाहते हैं.
जैसे ही शाम ढलती है, कुतुब मीनार जगमगा उठता है इसपर की गई कशीदाकारी रंगों से जगमगा उठती है और विशाल मीनार एक छोटे बुर्ज खलीफा की तरह कहानी कहने लग जाता है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)
यह भी पढ़ें: शबाना आज़मी से नसीरुद्दीन शाह तक- कैसे बॉलीवुड सितारों ने दिल्ली के थिएटर में एक बार फिर जान डाल दी