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Friday, 22 November, 2024
होमदेशगीतिका शर्मा मामले में गोपाल कांडा बरी, दिल्ली की कोर्ट ने कहा- आत्महत्या के लिए उकसाने के नहीं मिले सबूत

गीतिका शर्मा मामले में गोपाल कांडा बरी, दिल्ली की कोर्ट ने कहा- आत्महत्या के लिए उकसाने के नहीं मिले सबूत

अदालत ने कहा कि कोई भी समझदार और विवेकशील व्यक्ति उस व्यक्ति के साथ कोई मेल-झोल नहीं रखेगा, या फिर उससे किसी तरह का लाभ नहीं लेगा जो उसके जीवन में तनाव पैदा करता हो.

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नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को कहा कि गीतिका शर्मा के प्रति “आकर्षण के कारण” गोपाल कांडा उन्हें विभिन्न प्रकार का लाभ प्रदान कर रहे थे, इसलिए इस बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता कि उन्होंने पूर्व एयर होस्टेस को अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए मजबूर किया होगा.

2012 में पूर्व एयरहोस्टेस की आत्महत्या के मामले में हरियाणा की विधायक और उनकी सहयोगी अरुणा चड्ढा को बरी करते हुए, विशेष न्यायाधीश विकास ढुल ने फैसला सुनाया कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि “आपराधिक साजिश के तहत आरोपी व्यक्तियों ने ऐसी परिस्थितियां बनाईं…जिसके कारण मृतक गीतिका शर्मा के पास आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था और मृतक गीतिका शर्मा के अन्य कारणों से आत्महत्या करने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.”

शर्मा 2006 में बंद हो चुकी एमएलडीआर एयरलाइंस के ट्रेनी केबिन क्रू सदस्य के रूप में एमडीएलआर कंपनी में शामिल हुई थी और 2008 में उन्हें सीनियर केबिन क्रू सदस्य के रूप में प्रमोट किया गया था. जुलाई 2009 में, उन्हें एमडीएलआर ग्रुप ऑफ होटल्स में स्थानांतरित कर दिया गया था.

एमिरेट्स एयरलाइंस के साथ एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद, शर्मा जनवरी 2011 में एमडीएलआर ग्रुप ऑफ कंपनीज में निदेशक के रूप में शामिल हुई थी, लेकिन फिर दिसंबर में इस्तीफा दे दिया. कांडा ने शर्मा के आत्महत्या से कुछ महीने पहले उनके एमबीए कोर्स के लिए 7.5 लाख रुपये की फीस भी स्पोंसर की थी.

पूर्व एयर होस्टेस 5 अगस्त 2012 को दिल्ली स्थित अपने आवास पर मृत पाई गई थीं. उन्होंने दो सुसाइड नोट छोड़े, जिसमें अपनी मौत के लिए कांडा और चड्ढा को जिम्मेदार ठहराया था.

189 पेज के फैसले में पुन: पेश किए गए नोट में कहा गया है कि दोनों आरोपियों ने “मेरा भरोसा तोड़ा है और अपने फायदे के लिए मेरा दुरुपयोग किया है.” इसमें यह भी कहा गया, ”गोपाल गोयल धोखेबाज हैं. वह हमेशा लड़कियों के लिए बुरी नियत रखता है. वह न तो शर्म करता है और न ही अपराध बोध वाला व्यक्ति है…अब, इस बार अरुणा भी मुझे चोट पहुंचाने, मुझे परेशान करने, मेरे परिवार को तोड़ने में उसकी मदद कर रही है.”

अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि कांडा ने शर्मा के प्रति “अपनी पसंद या आकर्षण के कारण” उसे कई उपकार दिए थे. इसी आधार पर, अदालत को यह विश्वास करना भी मुश्किल हो गया कि कांडा शर्मा के लिए आत्महत्या करने की परिस्थितियां पैदा करेगा.

इसमें आगे पाया गया कि “इसलिए, यह विश्वास नहीं किया जा सकता है कि आरोपी ए-1 गोपाल गोयल कांडा, जो मृत गीतिका शर्मा के प्रति अपने आकर्षण के कारण, उन्हें इतने सारे उपकार और लाभ प्रदान कर रहा था, मृत गीतिका शर्मा के लिए ऐसी परिस्थितियां पैदा करने का आपराधिक इरादा रखता होगा, जिसमें उनके पास आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था या उसने अपने आचरण से, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, मृत गीतिका शर्मा को आत्महत्या के लिए उकसाया था.”

अदालत ने आगे कहा, “कोई भी समझदार और विवेकशील व्यक्ति उस व्यक्ति से मेलजोल नहीं रखेगा या लाभ या एहसान नहीं लेगा, जो उसके जीवन में तनाव पैदा करता है. आरोपी ए-1 गोपाल गोयल कांडा द्वारा मृतक गीतिका शर्मा को निदेशक, सुंडले एजुकेशनल सोसाइटी का अध्यक्ष नियुक्त करना, उन्हें बीएमडब्ल्यू कार प्रदान करना, उनके एमबीए कोर्स को प्रायोजित करना और उन्हें अपने साथ सिंगापुर ले जाना, किसी भी तरह से आरोपी ए-1 गोपाल गोयल कांडा का कृत्य नहीं माना जा सकता है, जिसके द्वारा वह मृतक गीतिका शर्मा के लिए ऐसी परिस्थितियां पैदा करना चाहता था, जिसमें उनके पास आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.”


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प्रमोशन और अबॉरशन

अपनी जांच में, पुलिस ने पाया था कि शर्मा को वेतन में भारी वृद्धि के साथ तेजी से प्रमोशन दी गई थी, और वरिष्ठ प्रबंधन पदों पर नियुक्त किया गया था, जबकि उन्होंने केवल 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी.

अभियोजन पक्ष ने कहा कि दोनों आरोपियों ने अक्टूबर 2006 से जून 2012 तक शर्मा और उसके माता-पिता पर अलग-अलग तरीकों से दबाव डाला और उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाया. इनमें आरोप शामिल थे कि शर्मा को “गर्भपात के दर्दनाक अनुभव से गुजरना पड़ा”, और वह जालसाजी, धोखाधड़ी और झूठे आरोपों का सामना कर रही थीं, जिसके कारण उन्हें एमिरेट्स एयरलाइंस से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा.

परिवार ने दावा किया था कि शर्मा की मां अनुराधा ने 3 अगस्त को चड्ढा और 4 अगस्त 2012 को कांडा को फोन किया था. अपनी बेटी की मृत्यु के लगभग छह महीने बाद, उन्होंने भी कथित तौर पर उसी कमरे में आत्महत्या कर ली.

अदालत के समक्ष, शर्मा के पिता ने दावा किया कि आरोपी ने कॉल पर उनकी बेटी के चरित्र के खिलाफ आरोप लगाए थे और मां से शर्मा को कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए एमडीएलआर कार्यालय भेजने के लिए भी कहा था, अन्यथा हरियाणा में प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.

इसलिए, अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि लगातार उत्पीड़न और उनकी मृत्यु से ठीक पहले उनकी मां पर लगाए गए आरोपों के कारण शर्मा को आत्महत्या करनी पड़ी.

दोनों आरोपियों पर आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 120 बी (आपराधिक साजिश), और जालसाजी से संबंधित प्रावधानों सहित अपराधों के लिए मुकदमा चलाया गया था. ट्रायल कोर्ट ने कांडा के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के तहत भी आरोप तय किए थे, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने जुलाई 2013 में इन आरोपों को खारिज कर दिया.

‘शर्मा को भड़काने के सबूत नहीं’

अदालत ने कहा कि सुसाइड नोट में सिर्फ आरोपी का नाम लेना ही आरोपी को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त नहीं है.

सुसाइड नोट का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि शर्मा ने आत्महत्या के लिए आरोपी द्वारा किए गए किसी विशेष कार्य या उकसावे का जिक्र नहीं किया था. अदालत ने कहा कि “इसके विपरीत, जो सबूत रिकॉर्ड पर आए हैं, उनसे पता चलता है कि मृतक गीतिका शर्मा का परिवार और आरोपी ए-1 गोपाल गोयल कांडा का परिवार एक-दूसरे के साथ काफी अच्छे संबंध थे और एक साथ विभिन्न स्थानों पर घूमने जाते थे.”

शर्मा के भाई और पिता ने अदालत को बताया था कि कांडा के फोन आने के बाद वह तनावग्रस्त हो जाती थी और उसने एक मौके पर चड्ढा से उससे बात न करने के लिए भी कहा था. हालांकि, अदालत ने पाया कि उनकी गवाही विश्वास को प्रेरित नहीं करती है, क्योंकि शर्मा “विभिन्न रेस्तरां में पार्टियों में भाग लेकर उनके (चड्ढा) साथ मेलजोल बढ़ाती थी.”

अदालत ने कहा कि कांडा और शर्मा के बीच उनकी आत्महत्या से 7-8 महीने पहले और चड्ढा के साथ उनकी मृत्यु से लगभग एक महीने पहले तक कोई टेलीफोन पर बातचीत नहीं हुई थी.

यह भी पाया गया, “यह तथ्य भी रिकॉर्ड पर स्थापित करता है कि आरोपी व्यक्तियों के पास मृतक गीतिका शर्मा को आत्महत्या के लिए सीधे तौर पर उकसाने का कोई अवसर नहीं था.”

फैसले में अन्य संभावनाओं की भी बात की गई है जिसके कारण पूर्व एयर होस्टेस की आत्महत्या हुई होगी. उदाहरण के लिए, इसमें उल्लेख किया गया है कि शर्मा ने चड्ढा के संदर्भ पर एक क्लिनिक से मार्च 2012 में गर्भपात कराया था. अदालत ने तब महसूस किया कि वह इस संभावना से इनकार नहीं कर सकती कि चड्ढा और कांडा ने शर्मा की मां को गर्भपात के बारे में बताया था, जिसके कारण आत्महत्या से पहले मां-बेटी के बीच झगड़ा हुआ था.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: अलमिना खातून)


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