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Friday, 22 November, 2024
होमडिफेंस‘भारत-चीन संबंध बाकी दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण, सीमा पर शांति जरूरी’, डोभाल की चीनी समकक्ष को नसीहत

‘भारत-चीन संबंध बाकी दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण, सीमा पर शांति जरूरी’, डोभाल की चीनी समकक्ष को नसीहत

विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, बैठक में NSA डोभाल ने बताया कि 2020 से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर स्थिति ने रणनीतिक विश्वास और रिश्ते के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार को खत्म कर दिया है.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने दक्षिण अफ्रीका में BRICS समूह की बैठक के दौरान शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी से मुलाकात की. इस दौरान दोनों अधिकारियों की बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई और दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं.

डोभाल और वांग यी के बीच बैठक 24 जुलाई को जोहान्सबर्ग में BRICS के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक के दौरान हुई. BRICS ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक समूह है. विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, बैठक में NSA डोभाल ने बताया कि 2020 से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति ने रणनीतिक विश्वास और रिश्ते के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार को खत्म कर दिया है.

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “NSA ने स्थिति का पूरी तरह से समाधान निकालने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए निरंतर प्रयासों के महत्व पर जोर दिया, ताकि द्विपक्षीय संबंधों को लेकर आने वाली दिक्कतों को दूर किया जा सके. दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि क्षेत्र और दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण है.”

इससे पहले, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 15 जुलाई को इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित आसियान क्षेत्रीय मंच (ARF) मंत्रिस्तरीय बैठक के मौके पर वांग यी से मुलाकात की थी. वांग यी ने चीनी विदेश मंत्री किन गैंग के स्थान पर आसियान बैठकों में भाग लिया था, जो अस्वस्थ होने के कारण इसमें शामिल नहीं हो सके थे.

वांग यी सीपीसी केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य और केंद्रीय विदेशी मामलों के आयोग के निदेशक हैं.

जयशंकर ने बैठक के बारे में ट्विटर पर पोस्ट किया और कहा कि चर्चा “सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और शांति से संबंधित मुद्दों” पर हुई. जयशंकर ने कहा, “हमारी बातचीत का एजेंडा BRICS का भविष्य और इंडो-पैसिफिक जैसे विषयों पर था.”

बता दें कि भारत और चीन को बार-बार सीमा पर तनाव का सामना करना पड़ रहा है और यह 1962 से लगातार चल रहा है. दोनों देशों के बीच हाल में सबसे बड़ी झड़प जून 2020 में हुई थी, जब भारतीय और चीनी सैनिक गलवान घाटी में एक दूसरे से भिड़ गए थे.

इससे पहले 24 जुलाई को, डोभाल ने जोहान्सबर्ग में ‘BRICS’ देशों की बैठक में भाग लिया था और सूत्रों के अनुसार, उन्होंने इस बात पर जोड़ डाला कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी विघटनकारी टेक्नोलॉजी के आने से साइबर खतरे में बढ़ोतरी होगी.

बैठक के दौरान NSA डोभाल ने साइबर सुरक्षा से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला.

सूत्रों ने कहा कि उन्होंने साइबर अपराधियों और आतंकवादियों के बीच संबंधों की ओर इशारा किया, जिसमें वित्तपोषण, मनी लॉन्ड्रिंग, कट्टरपंथीकरण, भर्ती और सुरक्षित संचार के लिए साइबर स्पेस का उपयोग शामिल है.

इस दौरान NSA अजित डोभाल ने BRICS के बाकी मित्र देशों के अपने समकक्षों के साथ कई द्विपक्षीय बैठकें भी की.


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