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Friday, 22 November, 2024
होमदेश'पालतू जानवर भावनात्मक कमी पूरी करते हैं', मुंबई कोर्ट ने 3 कुत्ते पालने वाली महिला को दिलाया गुजारा भत्ता

‘पालतू जानवर भावनात्मक कमी पूरी करते हैं’, मुंबई कोर्ट ने 3 कुत्ते पालने वाली महिला को दिलाया गुजारा भत्ता

2021 में दंपत्ति अलग हो गए. महिला ने खराब स्वास्थ्य, आय की कमी और अपने कुत्तों का हवाला देते हुए गुजारा भत्ता मांगा. पति ने पालतू जानवरों के भरण-पोषण के महिला के दावे के खिलाफ दलील दी.

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नई दिल्ली: पालतू जानवर इंसानों को टूटे हुए रिश्तों की भावनात्मक कमी का सामना करने में मदद करते हैं, मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 55 वर्षीय एक महिला को अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश देते हुए ये बातें कहीं है. इस महिला ने अपने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और अपने आश्रितों, तीन रॉटवीलर का हवाला देकर भरण-पोषण की मांग की थी.

अदालत ने पति को आदेश दिया कि वह पत्नी को उसके आवेदन दाखिल करने की तारीख से लेकर उसकी मुख्य याचिका पर फैसला आने तक अंतरिम भरण-पोषण के रूप में 50,000 रुपये प्रति माह का भुगतान करे.

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोमलसिंह राजपूत ने कहा कि, “पालतू जानवर भी एक सभ्य जीवनशैली का अभिन्न अंग हैं.”

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा, इंसानों के लिए स्वस्थ जीवन जीने के लिए पालतू जानवर आवश्यक हैं क्योंकि वे टूटे रिश्तों के कारण होने वाली भावनात्मक कमी को पूरा करते हैं.

आदेश 20 जून को पारित किया गया था, लेकिन हाल ही में उपलब्ध हुआ.

महिला ने इस कानून के तहत राहत पाने के लिए घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत एक आवेदन दायर किया था.

दिप्रिंट द्वारा देखे गए आदेश के अनुसार, इस जोड़े की शादी सितंबर 1986 में हुई थी और उनकी दो बेटियां हैं. हालांकि, कुछ मतभेदों के कारण, पति ने 2021 में पत्नी को मुंबई भेज दिया. आदेश में यह भी कहा गया है कि पत्नी ने आरोप लगाया है कि शादी के दौरान उसे घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा.

महिला ने अपने स्वास्थ्य मुद्दे, आय के स्रोत की कमी और अपने कुत्तों पर भरोसा करते हुए प्रति माह 70,000 रुपये के भरण-पोषण की मांग की है.

उसने दावा किया कि अलग होते समय पति ने उसे भरण-पोषण और अन्य बुनियादी जरूरतें मुहैया कराने का आश्वासन दिया था. हालांकि, उसने अब मजिस्ट्रेट से कहा कि वादा पूरा नहीं किया गया.

घरेलू हिंसा के आरोपों से इनकार करते हुए, उस व्यक्ति ने दावा किया कि उसे अपने व्यवसाय में घाटा हुआ है और वह उसे भरण-पोषण नहीं दे पाएगा.

अदालत ने पति की दलीलों को खारिज कर दिया. बयान में कहा गया है कि, “हालांकि, इस बात से इनकार किया गया है कि प्रतिवादी को व्यावसायिक नुकसान हुआ है और वह रखरखाव प्रदान करने में असमर्थ है, लेकिन ऐसे किसी भी निष्कर्ष को निकालने के लिए कोई ठोस सामग्री तैयार नहीं की गई है. इसके अलावा, भले ही यह मान लिया जाए कि उन्हें ऐसा कोई नुकसान हुआ है, यह तथ्य ही दायित्व से इनकार करने के लिए पर्याप्त नहीं है.”

उस व्यक्ति ने अपनी पत्नी के तीन पालतू जानवरों के भरण-पोषण के दावे के खिलाफ भी दलील दी थी, लेकिन अदालत ने महसूस किया कि यह राशि कम करने का आधार नहीं हो सकता.

अदालत ने पाया कि, “पुरुष अच्छा पैसे वाला है और उसकी वित्तीय पृष्ठभूमि अच्छी है. इसलिए वो गुजारा भत्ता देने में सक्षम है इसलिए और वह भी उसके लिए उपयुक्त जीवनशैली और आवश्यकताओं के साथ.”

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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