नई दिल्ली: मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इकाई कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने और विधानसभा चुनावों से पहले सत्ता विरोधी लहर को मात देने के लिए पार्टी के गुजरात जीतने के फॉर्मूले से एक-दो कदम उठा रही है, जहां चुनाव छह महीने से भी कम समय दूर है. इसमें अपने 38 लाख रजिस्टर्ड कार्यकर्ताओं को आईडी कार्ड बांटना करना और वोटिंग लिस्ट के सूक्ष्म प्रबंधन के लिए ‘पन्ना (पेज) समितियों’ की स्थापना करना शामिल है.
पार्टी सूत्रों ने कहा कि चुनावी तैयारियों में और अधिक ऊर्जा भरने के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद 27 जून को राज्य की अपनी यात्रा के दौरान मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 10 लाख कार्यकर्ताओं को “प्रेरित” करेंगे.
दिप्रिंट से बात करते हुए, राज्य भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा, “हमने 38 लाख कार्यकर्ताओं के पते और फोन नंबर सत्यापित किए हैं और उन्हें डिजिटल डेटाबेस पर रजिस्टर्ड किया है.”
उन्होंने कहा, “कार्यकर्ता पहले शिकायत करते थे कि उन्हें विभिन्न स्थानों पर सत्यापन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन अब, हम अन्य क्षेत्रों के पेशेवरों की तरह, अपने पैदल सैनिकों को आईडी कार्ड के साथ सशक्त बना रहे हैं. इससे न केवल पार्टी के साथ उनका रिश्ता मजबूत होगा, बल्कि उन्हें अथक परिश्रम करने की प्रेरणा भी मिलेगी.”
कार्यकर्ताओं की इस सेना में से एमपी बीजेपी में 9.5 लाख बूथ समिति अध्यक्ष और सदस्य हैं, साथ ही 16 लाख “पन्ना प्रमुख” हैं जो मतदाता सूची के एक पन्ना या पृष्ठ की देखरेख करते हैं. एमपी इकाई अब प्रत्येक पन्ना के लिए एक समर्पित पृष्ठ “समिति” को शामिल करने के लिए इस संरचना का विस्तार कर रही है. प्रत्येक समिति का सदस्य मतदाताओं के एक विशिष्ट समूह को भाजपा का समर्थन करने के लिए मनाने पर ध्यान केंद्रित करेगा. आमतौर पर, प्रत्येक पृष्ठ पर 30-40 मतदाता होते हैं.
इस रणनीति का श्रेय गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल को दिया जाता है, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने राज्य में कम से कम 82 लाख पन्ना समिति के सदस्य बनाए थे. आईडी कार्ड से लैस, इन समर्पित प्रभावशाली लोगों ने पिछले साल गुजरात में भाजपा के लिए ऐतिहासिक जनादेश हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. पार्टी ने राज्य विधानसभा की 182 सीटों में से 156 सीटें जीतीं – 1985 में माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व वाली राज्य कांग्रेस द्वारा निर्धारित 149 सीटों के पिछले रिकॉर्ड को भी इसने पीछे छोड़ दिया.
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा के संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों बुधनी और खजुराहो में कार्यकर्ताओं को आईडी कार्ड देने का काम शुरू हो गया है.
पार्टी की योजना विधानसभा चुनाव से पहले अन्य सभी पन्ना प्रमुखों, बूथ अध्यक्षों और अन्य सदस्यों को आईडी कार्ड देने की है.
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एक कार्ड, कईं लक्ष्य
पार्टी सूत्रों ने कहा कि सरकार और पार्टी के बीच समन्वय की कमी के कारण भाजपा कार्यकर्ताओं में थकान आगामी विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है. उन्हें बहुत उम्मीदें हैं कि कार्ड बांटने और कार्यकर्ताओं को भूमिकाएं और लक्ष्य निर्धारित कर देने से इसकी भरपाई करने और समग्र एकता को बढ़ाने में मदद मिलेगी.
भाजपा 2003 से मध्य प्रदेश में सत्ता में है – केवल दिसंबर 2018 में कांग्रेस ने अल्पकालिक सरकार बनाई थी. वर्तमान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने चौथे कार्यकाल की सेवा कर रहे हैं.
सत्ता विरोधी भावनाओं का सामना करने के बावजूद, पार्टी का लक्ष्य एक मजबूत संगठनात्मक ढांचे के माध्यम से और सीएम चौहान की छवि को कल्याणकारी उपायों के साथ जोड़कर नवंबर चुनाव में स्थिति को अपने पक्ष में करना है.
आईडी कार्ड के जरिए “सशक्तिकरण” से सरकारी योजनाओं के लिए अधिक लाभार्थियों को आकर्षित करने के कार्यकर्ताओं के प्रयासों को सुविधाजनक बनाने की उम्मीद है.
राज्य भाजपा उपाध्यक्ष भगवानदास सबनानी ने दिप्रिंट को बताया, “ऐसे कार्ड पहचान में सहायता करते हैं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं को सशक्त बनाते हैं. जब अधिकारियों को पहचान की ज़रूरत पड़ेगी तो कार्डधारक उन्हें दिखा सकते हैं.”
उन्होंने कहा, “ये आईडी कार्ड धारक कार्यकर्ता गांवों के भीतर सरकारी योजनाओं में लाभार्थियों का नामांकन करने में सहायता करेंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि पार्टी अपने संबंधित बूथों के हर कोने में पकड़ बना सके. यह, बदले में, अधिक लोगों को पार्टी का सदस्य बनने के लिए प्रोत्साहित करेगा.”
सबनानी ने कहा कि मान्यता प्राप्त, कार्ड ले जाने वाले सदस्यों द्वारा दी गई वैधता पार्टी के साथ कार्यकर्ताओं के “भावनात्मक बंधन” को और मजबूत बनाएगी.
मध्य प्रदेश के एक पूर्व मंत्री और राज्य इकाई के वरिष्ठ नेता ने भी कहा कि आईडी कार्ड से कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश भाजपा देश में पार्टी की सबसे मजबूत संगठनात्मक इकाइयों में से एक रही है. वाजपेयी, विजया राजे सिंधिया, सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी और कुशाभाऊ ठाकरे जैसे प्रमुख नेता, जो बाद में भाजपा अध्यक्ष बने, उन सभी ने मध्य प्रदेश में काम किया है. हालांकि, जब से पार्टी पिछले 20 वर्षों से राज्य में सत्ता में है, कुछ सत्ता विरोधी भावना स्वाभाविक रूप से विकसित हुई है और कार्यकर्ता थक गए हैं.”
उन्होंने कहा, “इसका मुकाबला करने के लिए पार्टी को चुनाव से पहले ज़मीनी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करना चाहिए. यह कदम उनकी प्रेरणा बढ़ाने में सहायक होगा.”
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मोदी को बढ़ावा
पूर्व मंत्री ने दावा किया कि पीएम मोदी के 27 जून को राज्य के दौरे के दौरान कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने में अहम भूमिका निभाने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मध्य प्रदेश में एक रैली में 10 लाख कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे.”
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की केंद्र सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक महीने तक चलने वाले अभियान का एक हिस्सा, प्रधानमंत्री मोदी की मध्य प्रदेश की यात्रा में वह पांच वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को हरी झंडी दिखाएंगे.”
इसके अतिरिक्त, मोदी नमो ऐप के माध्यम से चुने गए 3,000 विस्तारकों (बूथ कार्यकर्ताओं) से मिलेंगे. ये कार्यकर्ता अपने निर्धारित लोकसभा क्षेत्रों में तैनात होने से पहले बूथ कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए मध्य प्रदेश सहित विभिन्न चुनाव वाले राज्यों में रहेंगे,
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, जो पहले से ही मध्य प्रदेश में हैं, ने सोमवार को चयनित 3,000 विस्तारकों के साथ बातचीत की थी.
मुख्यमंत्री चौहान भी जिला अध्यक्षों और कोर कमेटी के सदस्यों को प्रेरित करने, अंदरूनी कलह को कम करने और राज्य इकाई में बेहतर तालमेल को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से उनसे जुड़ रहे हैं.
‘गुजरात फॉर्मूले’ ने कैसे की BJP की मदद?
गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल ने पिछले लोकसभा चुनावों से पहले पन्ना प्रमुख मॉडल को सफलतापूर्वक लागू किया था, जिसमें एक व्यक्ति को मतदाता सूची के एक पृष्ठ का प्रबंधन करने का काम सौंपा गया था.
2019 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र नवसारी में एक और मॉडल भी आज़माया. इस पद्धति में प्रत्येक मतदाता पृष्ठ का प्रबंधन एक ‘प्रमुख’ द्वारा नहीं बल्कि पांच या छह लोगों की एक पूरी समिति द्वारा किया जाता था, प्रत्येक को अपने रिश्तेदारों और करीबी सहयोगियों को भाजपा के लिए वोट करने के लिए मनाने का काम सौंपा जाता था. उस चुनाव में उन्होंने भारी अंतर से जीत हासिल की, जो कि सबसे ज़्यादा अंतर था – लगभग 6.9 लाख वोटों का.
पन्ना समिति पद्धति को बाद में 2021 में गुजरात नागरिक चुनावों और 2022 में विधानसभा चुनाव के लिए बड़े पैमाने पर तैनात किया गया था.
पाटिल ने पहले दिप्रिंट को बताया था कि गुजरात इकाई 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भी पन्ना समिति की रणनीति को लागू करने की योजना बना रही है, जहां उसने राज्य की सभी 26 सीटों को पांच लाख वोटों के अंतर से जीतने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है.
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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