डिंडोरी (मप्र): मध्य प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आयोजित सामूहिक विवाह में शादी करने आई कुछ दुल्हनें जांच के दौरान गर्भवती पाई गईं. वहीं, विपक्षी कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने जांच पर सवाल उठाते हुए इसे महिलाओं का अपमान करार दिया है.
एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि यह मामला डिंडोरी जिले के गाड़ासरई कस्बे में शनिवार को ‘‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना’’ के तहत अक्षय तृतीया के मौके पर 219 जोड़ों की शादी से जुड़ा है.
वहीं, इस तरह की जांच को गरीब महिलाओं का अपमान बताते हुए कांग्रेस विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने कहा, ‘‘राज्य सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि इस तरह के गर्भावस्था परीक्षणों के लिए दिशानिर्देश या नियम क्या हैं.’’
माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत डिंडोरी जिले के गाड़ासरई में 219 आदिवासी युवतियों के सामूहिक विवाह से पहले उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाकर उनकी गर्भावस्था की जांच करवाना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आदिवासी और महिला विरोधी आचरण को उजागर करता है; जिसकी चौतरफा निंदा ही नहीं होनी चाहिए बल्कि दोषी अधिकारियों को दंडित करने के साथ ही प्रदेश की भाजपा नीत शिवराज सिंह चौहान सरकार को इसके लिए माफी भी मांगना चाहिए.’’
वहीं, प्रशासन का बचाव करते हुए डिंडोरी के जिलाधिकारी विकास मिश्रा ने ‘भाषा’ को बताया कि गाड़ासरई में शनिवार को होने वाले सामूहिक विवाह में शामिल होने वाले 219 जोड़ों के लिए मेडिकल परीक्षण के द्वारा आनुवांशिक बीमारी ‘सिकलसेल’ की जांच कराए जाने के निर्देश दिए गए थे.
उन्होंने कहा, ‘‘सिकलसेल बीमारी की जांच के दौरान चिकित्सकों ने चार युवतियों की गर्भावस्था की जांच की क्योंकि इन युवतियों ने माहवारी नहीं आने की बात बताई थी.’’
मिश्रा ने बताया, ‘‘इसको लेकर प्रशासन स्तर से कोई निर्देश नहीं थे. यह डॉक्टरों पर निर्भर है कि वे सिकलसेल की बीमारी का पता करने के लिए क्या प्रक्रिया व जांच करवाते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल चिकित्सक की रिपोर्ट के बाद ऐसे चार जोड़ों को सामूहिक विवाह में शामिल नहीं किया गया.’’
‘‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना’’ के तहत राज्य सरकार पात्र जोड़ों को वित्तीय सहायता के रूप में 56,000 रुपये प्रदान करती है.
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