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Tuesday, 5 November, 2024
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फुसफुसाने की जरूरत नहीं, फर्स्ट एड बॉक्स में अब से महिलाओं के लिए रखें ‘सैनिट्री पैड’

सुनील और उनकी टीम ने मिलकर कुल 500 ऐसे फर्स्ट एड किट तैयार किए हैं जिनमें सेनिट्री पैड रखें गए है, इन्हें फिलहाल हरियाणा में बांटा जाएगा और फिर धीरे-धीरे इस अभियान को अन्य राज्यों में भी चलाया जाएगा.

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नई दिल्ली: नेहा एक कॉर्पोरेट कंपनी में जॉब करती हैं, ऑफिस से एक दिन की छुट्टी लेकर वो अपने एक दोस्त के साथ दिल्ली के पुस्तक मेले में घूमने गई लेकिन थोड़ी ही देर बाद वो अपने पर्स में कुछ ढूंढ़ने लगी और जब उसे अपने पर्स में वो चीज़ नहीं मिली तो वो आस-पास घूम रही अनजान लड़कियों, महिलाओं के पास जाती है और फुस-फुसाकर कुछ पूछती हैं.

नेहा लगातार चार से पांच महिलाओं के पास गई और उनके कान में कुछ धीरे से बोला, आखिर में एक लड़की ने जब उसे छुपाते हुए कोई चीज़ पकड़ाई, तब जाकर उसकी जान में जान आई.

पता है नेहा इन महिलाओं से फुस-फुसाकर क्या पूछ रही थीं? वो उनसे एक सेनेट्री पैड मांग रही थीं.

फर्स्ट एड बॉक्स को अगर इमर्जेन्सी किट कहें तो गलत नहीं होगा क्योंकि इसका इस्तेमाल जरुरत के समय और इमर्जेन्सी में ही किया जाता है. लेकिन क्या इसमें वो चीज़ होती है जो एक महिला के लिए सबसे बड़ी इमर्जेन्सी होती है? 10 साल की बच्ची से लेकर 45 साल की महिला तक को कब किस समय सैनेट्री पैड की जरूरत पड़ेगी कोई नहीं जानता है.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, पीरियड चार्ट, पेडमित्र और सेल्फी विद डॉटर जैसे अभियानों का आगाज कर चुके सुनील जागलान ने 20 मार्च 2023 को महिलाओं से जुड़े एक नए अभियान ‘फर्स्ट एड किट फॉर वुमेन’ की शुरुआत की है.

वह कहते हैं, ‘मुझे लगता है ये चीज़ बहुत पहले ही शुरू हो जानी चाहिए थी, फर्स्ट एड किट इमरजेंसी के लिया होता है और पीरियड किसी भी महिला को कभी भी हो सकता है इसलिए फर्स्ट एड में सेनेट्री नैपकिन होना भी बहुत जरुरी है. अभी भी हमारे देश में पीरियड से जुड़े संकोच दूर नहीं हुए है, सरकार भी इसके बारे में केवल ‘वर्ल्ड मेंस्ट्रुअल हायजीन डे’ जैसे अवसरों पर ही बात करती है.’

‘फर्स्ट एड किट फॉर वुमेन’ | फोटो: विशेष व्यवस्था से

सुनील और उनकी टीम ने मिलकर कुल 500 फर्स्ट एड किट तैयार किए है जिन्हें फ़िलहाल हरियाणा में बांटा जाएगा और फिर धीरे-धीरे इस अभियान को अन्य राज्यों में भी चलाया जाएगा.

हरियाणा के कंवारी गांव के 24 वर्षीय सचिन कहते है, ‘मेरे गांव में भी ये फर्स्ट एड किट बांटे गए और मुझे लगता है गाड़ियों में ये किट रखना अनिवार्य होना चाहिए.’

हिस्ट्री में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहे सचिन ने आगे कहा कि मैं अपने पिताजी की गाड़ी चलाता हूं और मैं इसमें फर्स्ट एड किट जरूर रखता हूं. मैं दूसरों को भी अपनी गाड़ी में किट रखने और खासकर उसमें महिलाओं की जरुरत के लिए पैड रखने को कहता हूं. मुझे इस बारे में बात करने में कोई शर्म नहीं आती और मैं सबको इसके लिए प्रेरित करता हूं.


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सेनिट्री पैड वाले फर्स्ट एड किट

सुनील कहते है, ‘500 लोगो को सेनिट्री पैड वाले किट देते हुए हमने उन्हें अपने परिवार और अन्य लोगों को भी गाड़ी में सेनिट्री नैपकिन रखने के लिए जागरूक करने को कहा.’

जागलान ने आगे कहा कि अभियान के दौरान बांटे जाने वाले इन किट में फर्स्ट एड से जुड़ी सारी चीज़ों के साथ-साथ एक पैड का पैकेट और एक पीरियड चार्ट भी दिया गया है.

जागलान ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान बताया कि उन्हें गाड़ी में पैड रखने का ये आईडिया अपनी बेटियों के कारण आया. उन्होंने कहा कि पीरियड एक नेचुरल चीज़ है, जब हम अपनी बेटियों या घर की किसी भी महिला के साथ सफर करते है तो उन्हें कभी भी सेनिट्री नैपकिन की जरुरत पड़ सकती है. इसलिए मुझे लगा कि अपनी गाड़ी में पैड रखने के लिए लोगो को जागरूक करना बहुत जरुरी है.

महिलाओं के साथ- साथ हमारे लिए भी मददगार

अभियान के दौरान 33 वर्षीय बलवान को भी किट दिया गया जिसके बाद उन्होंने कहा, ‘इसको गाड़ी में रखने के कई फायदे होंगे. ये हमारे घर की महिलाओं के साथ-साथ अन्य महिलाओं की मदद करने में भी काम आएगा.’

बलवान एक ड्राइवर हैं और उन्होंने किट के फायदे को बताते हुए आगे कहा कि अब से मैं हमेशा इस किट को अपनी गाड़ी में रखूंगा क्योंकि ये महिलाओं के लिए तो काम आएगा साथ ही इसमें और भी जरुरी सामान है जैसे सर दर्द की दवाई या अन्य चीज़ जो हमारे भी काम आएंगे.

सुनील जागलान हरियाणा के बलवान को फर्स्ट एड किट देते हुए | फोटो: विशेष व्यवस्था से

हरियाणा के जींद ज़िले के बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान महिलाओं और बेटियों से जुड़े कई राष्ट्रीय और अतंरराष्ट्रीय अभियान चला चुके हैं और इस बार भी उन्होंने महिलाओं के लिए ये अभियान शुरू किया जिसके तरह वे लोगों को अपनी गाड़ियों में रखे फर्स्ट एड किट में सैनिट्री नैपकिन रखने के लिये प्रोत्साहित और जागरूक कर रहे हैं.

जागरूकता की शुरुआत अपने घर से

सुनील जागलान के साथ उनके इस मिशन से जुड़ी सोनिया कहती है कि वो सुनील के साथ उनके कई अभियानों से जुड़ी रही है और उन्हें इस बार भी लोगों को अपनी गाड़ियों में फर्स्ट एड किट और सेनेट्री नैपकिन रखने के लिए प्रोत्साहित करने में बहुत ही खुशी हुई.

हरियाणा में बीए सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रही सोनिया कहती हैं, ‘मैंने हमेशा से किसी भी अभियान की जागरूकता अपने घर से ही शुरू की और इस बार भी मैंने सबसे पहले अपने पापा की गाड़ी के फर्स्ट एड किट में सेनेट्री पैड रखवाया.’

वह आगे कहती है, ‘सुनील जी ने हमारे गांव में कई अभियान चलाये है जिसके बाद से हमारे में बहुत जागरूकता भी आई है साथ ही अब लोग धीरे-धीरे पीरियड से जुड़ी चीज़ो के बारे में जागरूक भी हो रहे है और बात भी करते है.’

इस अभियान के दौरान बांटे जाने वाले इन किट में फर्स्ट एड से जुड़ी सारी चीज़ो के साथ-साथ एक सेनिट्री पैड का पैकेट और एक पीरियड चार्ट भी दिया गया.

सोनिया ने आगे बताया कि अभियान के दौरान उन्हें कुछ ऐसे लोग भी मिले जिन्होंने इसके लिए उन्हें धन्यवाद कहा और इस आईडिया की काफी तारीफ की.

सोनिया कहती है, ‘हमें कुछ ऐसे लोग भी मिले जिनके गाड़ियों में फर्स्ट एड किट तो थे लेकिन उनमें पैड नहीं थे जब हमने उन्हें इसमें पैड रखने का आईडिया दिया तो उन्होंने इसे रखा और कहा, ये बहुत अच्छा आईडिया है हमने कभी ऐसा सोचा नहीं था.’

सरकार का सहयोग

जागलान कहते है सरकार को पीरियड से जुड़े मुद्दों पर बात करनी चाहिए और विभिन्न तरीकों से जागरूकता फैलानी चाहिए. वैसे तो रेश्यो के हिसाब से अधिकतर पुरुष ही गाड़ियां चलाते है लेकिन जो महिलाएं गाड़ियां चलाती है वो खुद भी गाड़ी में पैड नहीं रखती है इसलिए इसकी जागरूकता बहुत जरुरी है.

सुनील से जब पूछा गया कि बहुत सारे लोग अपनी गाड़ियों में फर्स्ट एड किट भी नहीं रखते है तो उन्हें पैड रखने के लिए कैसे जागरूक किया जाएगा. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि इसमें सरकार हमारा सहयोग कर सकती है जब गाड़ियों के लाइसेंस एवं अन्य कागज़ चेक किए जाते है तो उनकी गाड़ी में फर्स्ट एड किट है या नहीं इसकी भी जांच होनी चाहिए.

‘आज तक इस देश में कोई ऐसा प्रधानमंत्री नहीं बना है जिसने मेंस्ट्रुअल हायजीन पर सार्वजनिक मंच से बात की हो.’

जागलान कहते है, ‘अगर प्रधानमंत्री मोदी इस बारे में बात करेंगे तो ये अभियान और बड़ा एवं कारगर हो जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘हमारे इस अभियान से उन लोगो में भी जागरूकता आएगी जो फर्स्ट एड किट नहीं रखते है. हमारा मकसद केवल गाड़ियों में पैड रखवाना नहीं है, बल्कि स्कूल, कॉलेज, ऑफिस जिन जगहों में भी फर्स्ट एड किट रखे जाते है वहां सभी जरुरी चीज़ो के साथ सेनिट्री नैपकिन भी होना चाहिए.’


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