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Monday, 25 November, 2024
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हिमाचल कांग्रेस प्रमुख प्रतिभा सिंह ने कहा- ‘राहुल, प्रियंका के पास वरिष्ठ नेताओं के लिए समय नहीं है’

प्रतिभा सिंह ने कहा, राहुल को राजनीतिक कुशलता सीखने की ज़रूरत है, और उन्होंने आगे कहा कि अगर गांधी वंशज पार्टी के लिए समय नहीं देना चाहते, तो ऐसे बहुत से नेता और दिग्गज मौजूद हैं जो उस जगह को भर सकते हैं.

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शिमला: राहुल और प्रियंका गांधी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को अहमियत और समय नहीं देते, और इसी कारण पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ रहा है- ये कहना है हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का, जो नवंबर में आगामी प्रदेश चुनावों के लिए पार्टी प्रचार की निगरानी कर रही हैं.

दिप्रिंट के साथ एक इंटरव्यू में, पूर्व हिमाचल मुख्यमंत्री की पत्नी सिंह ने आगे कहा, कि राहुल गांधी को राजनीतिक कुशलता और ये सीखने की ज़रूरत है कि कांग्रेस में पीढ़ी के अंतर को कैसे भरा जाए’.

सिंह के बयान ऐसे समय पर आए हैं जब कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव 17 अक्तूबर को निर्धारित हैं, कई प्रदेश इकाइयों ने पार्टी प्रमुख के तौर पर राहुल के पक्ष में प्रस्ताव पारित कर दिए हैं.

गांधी वंशज 2017 से 2019 के बीच कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे.

जब उनसे ये पूछा गया कि क्या राहुल को फिर से कांग्रेस की बागडोर संभालनी चाहिए, सिंह ने कहा: ‘ये राहुल जी के ऊपर है कि क्या वो पार्टी को समय देना चाहते हैं, या जीवन में दूसरी चीज़ें करना चाहते हैं. ये फैसला उन्हें करना है. अगर वो समय नहीं देना चाहते तो पार्टी के अंदर ऐसे बहुत से नेता और दिग्गज हैं जो उस जगह को भर सकते हैं’.

सिंह ने पार्टी के पुराने और युवा नेताओं के बीच संवाद की समस्याओं पर विस्तार से बात की, और इस पर भी चर्चा की कि वो कौन से मुद्दे हैं जो चुनावों में कांग्रेस की संभावनाओं की राह में बाधा बने हैं, और हिमाचल प्रदेश में पार्टी के लिए क्या अवसर हैं.

2017 के चुनावों में, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कुल 68 में से 44 सीटें जीतकर सरकार बना ली थी, और कांग्रेस को बाहर कर दिया था जो केवल 21 सीटें जीत पाई थी.

सिंह के अनुसार कांग्रेस की मूल समस्या ये है कि ‘वरिष्ठ नेतागण तवज्जो चाहते हैं, और चाहते हैं कि कोई उनकी शिकायतों को सुने, लेकिन वे (युवा नेता) ऐसे नेताओं को तवज्जो नहीं देते’.

‘अपने समय में इंदिरा जी, राजीव जी, और सोनिया जी ने पीढ़ी के इस अंतर का ध्यान रखा था, लेकिन नई पीढ़ी में वो धैर्य और परिपक्वता नहीं है कि इस अंतर को भर सकें’.

सिंह ने कहा, ‘राहुल गांधी को, जो लोकसभा सदस्य के नाते अपने चौथे कार्यकाल में हैं, इन राजनीतिक पैंतरेबाज़ियों को सीखना चाहिए. अगर उन्होंने पार्टी नेताओं को समय दिया होता और उन्हें समय दिया होता, तो कांग्रेस आज कहीं बेहतर स्थिति में होती’.

पीढ़ी का अंतर

सिंह को अप्रैल में हिमाचल इकाई का अध्यक्ष बनाया गया था. अपनी पार्टी के अंदर पीढ़ी के अंतर की व्याख्या करते हुए, उन्होंने पिछले महीने ग़ुलाम नबी आज़ाद के इस्तीफे का ज़िक्र किया, और मौजूदा स्थिति पर अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के रुख़ के बारे में बात की.

उन्होंने कहा, ‘आज के बच्चे उतना टाइम नहीं डिवोट करते हैं तो निराशा होती है. आज़ाद जी जैसे बहुत से लोगों ने पार्टी छोड़ दी है. उन्होंने लंबे समय तक पार्टी की सेवा की…एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलकर कहा कि मेरी बात नहीं सुनी जाती, वेट करना पड़ता है’.

‘पार्टी के लोगों को जो चीज़ चाहिए वो है थोड़ा सम्मान. काम होता है या नहीं होता ये एक अलग मामला है, लेकिन ज़्यादातर लोग संतुष्ट हो जाते हैं अगर आप उन्हें सम्मान दें, और उनकी शिकायतें सुनने के लिए उन्हें मिलने का समय दें. लेकिन ये नई पीढ़ी समझती है कि अब ये ‘हमारे नेतृत्व का समय है’.

सिंह ने कहा, ‘जब मैंने ग़ुलाम नबी आज़ाद वाले क़िस्से को देखा, और देखा कि कांग्रेस से विदा होते समय उन्होंने किस तरह बात की, तो मैं समझ गई कि वो काफी समय से पार्टी से नाराज़ चल रहे थे. लेकिन अगर आपने (युवा नेताओं) ने उन्हें बुलाकर कहा होता कि आईए, बैठकर मामले को सुलटाते हैं, तो स्थिति कहीं ज़्यादा बेहतर हो सकती थी’.

एक सवाल पूछने पर कि वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने पिछले महीने हिमाचल प्रदेश संचालन समिति की अध्यक्षता से इस्तीफा क्यों दिया, उन्होंने दिप्रिंट से कहा: ‘आनंद शर्मा को भी लगा होगा कि ‘मैं इतना वरिष्ठ नेता हूं जो पिछले 30-40 साल से कांग्रेस के लिए काम कर रहा है’. (वो) यूपीए सरकार में वाणिज्य मंत्री थे, लेकिन उन्हें पार्टी से सम्मान नहीं मिला. इसलिए अपनी नाराज़गी का इज़हार करते हुए उन्होंने पार्टी छोड़ दी’.

उन्होंने आगे कहा कि ‘जब मैंने उन्हें कॉल किया और उनसे प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में शरीक होने के लिए कहा, तो उन्होंने मुझसे कहा ‘चूंकि आपने बुलाया है इसलिए मैं आ जाउंगा’.

शर्मा और आज़ाद जी-23 या कांग्रेस के ‘असंतुष्टों के ग्रुप’ में शामिल थे, जो संगठन के पुनर्गठन और उसके नेतृत्व में सुधार की मांग उठाते आ रहे हैं.

ये पूछने पर कि क्या उन्होंने सोनिया गांधी को पार्टी की स्थिति के बारे में सलाह दी थी, सिंह ने दिप्रिंट से कहा: ‘सोनिया जी एक बड़ी नेता हैं और लंबे समय से (पार्टी) अध्यक्ष हैं. मैं उन्हें सुझाव नहीं दे सकती लेकिन राहुल को सीखना चाहिए. मैं ये नहीं कह रही कि मैं उन्हें सलाह दे रही हूं, लेकिन ये पार्टी के हित में है. काग्रेस को ऐसी स्थिति का सामना न करना पड़ता, अगर उन्होंने वरिष्ठ नेताओं को सुना होता’.


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हिमाचल में चुनौतियां

कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में अपने प्रचार का आग़ाज़ पूरे राज्य में जगह जगह, प्रमुखता के साथ पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की तस्वीरें लगाकर किया है.

सिंह ने कहा, ‘वीरभद्र सिंह जी अभी भी लोगों की यादों में हैं, और उनके तथा उनके किए हुए कार्य चुनाव प्रचार में चर्चा का मुद्दा रहेंगे’.

‘प्रदेश पार्टी नेताओं ने कहा था कि लोग पोस्टरों की ओर नहीं देखेंगे, अगर उनमें वीरभद्र सिंह की फोटो नहीं होगी. हिमाचल के लोग बहुत भावुक होते हैं…एक नेता जिसने कांग्रेस को 60 साल दिए, अगर आप उसका सम्मान नहीं कर रहे, तो चुनावों में इसका उल्टा असर हो सकता है’.

सिंह ने हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के सामने दो चुनौतियों का ज़िक्र किया: संसाधनों की कमी और बीजेपी का ज़ोर-शोर से अभियान.

‘हम जिस मुख्य चुनौती का सामना कर रहे हैं वो है संसाधनों (की कमी). हमारी पार्टी के पास उस तरह के संसाधन नहीं है जैसे बीजेपी के पास हैं. इसके अलावा, मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए बीजेपी ने उनसे बड़े बड़े वादे किए हैं, हालांकि उन्होंने उनपर अमल करना शुरू नहीं किया है’.

मंडी सांसद ने कहा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी ने हिमाचल के दौरे शुरू कर दिए हैं, लेकिन लोगों ने उनका (बीजेपी का) कार्यकाल भी देखा है. उन्होंने महंगाई पर क़ाबू पाने और रोज़गार देने में कोई सहायता नहीं की. उन्होंने (मोदी) अपनी रैली में महंगाई का ज़िक्र तक नहीं किया…बीजेपी का कार्यकाल देखने के बाद लोग हमारे लिए वोट करेंगे’.

कांग्रेस बीजेपी से क्या सीख सकती है

ये पूछने पर कि कांग्रेस बीजेपी से क्या सीख सकती है, सिंह ने दोनों विरोधियों के विपरीत भाग्य के बारे में बात की- ‘इतनी अधिक संख्या में सांसद’ और ‘हम केवल दो प्रांतों में हैं’.

उन्होंने स्वीकार किया कि ‘बीते कुछ वर्षों में हमारा पतन हुआ है’, और कहा कि ‘अगर हम सुधार लाने के लिए प्रयास नहीं करेंगे, तो चीज़ें ठीक कैसे होंगी’.

उन्होंने कहा, ‘बात एक परिवार की नहीं है. हज़ारों लोग हैं जो कांग्रेस के साथ जुड़े रहे हैं. बीजेपी से पूछिए कि जेलों में किसने समय बिताया? पंडित जवाहरलाल नेहरू ख़ुद सालों तक जेल में रहे…उन्होंने (कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं) ने अपनी ज़िंदगियां जेल में गुज़ार दीं, लेकिन अब मोदी जी कहते हैं कि 70 वर्षों में कोई काम नहीं हुआ. आप इस तरह से कैसे बात कर सकते हैं?’

बीजेपी के इस आरोप पर कि कांग्रेस एक ‘वंशवादी पार्टी’ है, और वो किसी ग़ैर-गांधी को पार्टी नेतृत्व के लिए क्यों नहीं चुन सकी, सिंह ने कहा: ‘मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगी कि वरिष्ठ नेता क्या सोच रहे हैं, लेकिन देश में कांग्रेस की दशा को देखते हुए उन्हें कोई फैसला करना ही होगा’.

‘हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस (गांधी) परिवार ने अपने नेताओं का बलिदान दिया है…इंदिराजी ने अपने जीवन की बलि दे दी. राजीव गांधी ने अपना जीवन क़ुर्बान कर दिया. मैं पूछना चाहती हूं कि बीजेपी में कितने लोगों ने अपने जीवन की बलि दी है?’

उनका मानना है कि वंशवाद के राज का तर्क ‘निराधार’ है और ‘बहुत से देशों में वंशवाद का राज चल रहा है’.

आप की संभावनाएं

सिंह को लगता है कि आम आदमी पार्टी (आप) का हिमाचल प्रदेश में ‘कोई भविष्य नहीं है’ क्योंकि इस सूबे की राजनीति बाईपोलर है.

आप ने ऐलान किया है कि वो हिमाचल प्रदेश में सभी 68 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, और मतदाताओं को लुभाने के लिए स्कीमों और रिआयतों के वादे कर रही है.

सिंह ने कहा, ‘उन्हें हिमाचल में कोई तवज्जो नहीं मिलेगी. मैंने बहुत सी सीटों का दौरा किया है, और लोगों को आप के बैरे में ज़रा भी परवाह नहीं है. (आप के लिए) एकमात्र जगह दिल्ली है’.

‘(आप प्रमुख) अरविंद केजरीवाल जी ने वादा किया है कि ‘मैं शिक्षा व्यवस्था को सुधार दूंगा’, लेकिन हिमाचल में शिक्षा व्यवस्था पहले से ही अच्छी है. इस राज्य में साक्षरता दर ऊंची है, इसलिए यहां के लोग ऐसे वादों से प्रभावित नहीं होते. आप में सिर्फ वही लोग शामिल होंगे, जिन्हें (चुनाव) टिकट्स नहीं मिल पाएंगे’.

सिंह ने ज़ोर देकर कहा, ‘लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच में है’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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