नयी दिल्ली, 19 जुलाई (भाषा) विदेशी बाजारों में गिरावट के बीच दिल्ली तेल- तिलहन बाजार में मंगलवार को सोयाबीन, पामोलीन और कच्चे पामतेल की कीमतों में गिरावट आई, जबकि मांग होने के कारण विदेशों में गिरावट का असर सरसों, मूंगफली तेल पर नहीं दिखा। इनके भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
नमकीन बनाने वाली कंपनियों की मांग के कारण बिनौला तेल कीमतों में सुधार आया।
बाजार सूत्रों ने कहा कि शिकॉगो एक्सचेंज में लगभग 2.50 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि मलेशिया एक्सचेंज में लगभग आधा प्रतिशत की गिरावट है। इस गिरावट के कारण आयातित तेल-तिलहन टूटते दिखे।
सूत्रों ने कहा कि सरकार के खाद्य तेलों के आयात शुल्क में कमी करने का उद्देश्य यह था कि इन तेलों की वैश्विक कीमतों में आई गिरावट का लाभ आम उपभोक्ताओं तक पहुंच सके। आयात किये जाने वाले सोयाबीन डीगम तेल के आयात शुल्क में 6.20 रुपये प्रति किलो की छूट दी गई और सूरजमुखी तेल पर यह छूट सात रुपये प्रति किलो की दी गई है। उन्होंने कहा कि देश के कांडला बंदरगाह पर सूरजमुखी तेल का भाव 120 रुपये लीटर बैठता है और अधिभार सहित यह भाव 125-130 रुपये लीटर बैठेगा और इसका अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) ज्यादा से ज्यादा 140-145 रुपये लीटर होना चाहिये। सरकार को इसके खुदरा बाजार का भाव जांचना चाहिये कि वास्तव में यह तेल किस भाव से बिक रहा है।
सूत्रों ने कहा कि उपभोक्ताओं के लिए सोयाबीन प्रसंस्करण कर उसकी बिक्री करने के लिए प्रसंस्करणकर्ताओं को सालाना 20 लाख टन सोयाबीन डीगम का शुल्क-मुक्त आयात करने की सरकार ने छूट दी है और बाकी आयातक शुल्क के साथ इसका आयात कर सकते हैं। कांडला बंदरगाह पर शुल्क से छूट प्राप्त सोयाबीन डीगम तेल 115.50 रुपये किलो के भाव बिक रहा है जबकि बगैर आयातशुल्क छूट वाला सोयाबीन डीगम (कच्चातेल) 117 रुपये किलो के भाव बिक रहा है। ऐसे में यह सोचने की बात है कि छूट प्राप्त और बिना रियायत वाले तेल की कीमतों का अंतर इतना कम क्यों है? जबकि स्थिति यह होनी चाहिये कि जो तेल शुल्क-मुक्त हैं उन तेलों की कीमत, सामान्य रूप से आयातित तेल के मुकाबले काफी कम होनी चाहिये।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दी गई छूट के हिसाब से सूरजमुखी तेल 140 रुपये लीटर होना चाहिये लेकिन खुदरा बाजार में यह लगभग 190 रुपये लीटर के भाव बिक रहा है। इसी प्रकार सोयाबीन तेल का भाव 130-135 रुपये लीटर होना चाहिये लेकिन इसका बाजार भाव लगभग 160-165 रुपये लीटर है। सरसों तेल का भाव अधिकतम 150 रुपये लीटर होना चाहिये पर यह लगभग 185-190 रुपये लीटर के भाव बिक रहा है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने जिस पैमाने पर आयातको को शुल्क से छूट दी है, देखा जाये तो तेल कंपनियों द्वारा खाद्य तेल कीमतों में की गई कमी ‘बेहद मामूली’ है।
उन्होंने कहा कि इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकाला गया तो देश का तेल-तिलहन उद्योग, तिलहन किसान और उपभोक्ता हमेशा के लिए आयात पर निर्भर हो जायेंगे क्योंकि स्थानीय किसानों की फसल सस्ते आयात के सामने पूर्णतया घुटने टेक चुकी होगी।
मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 7,170-7,220 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,905 – 7,030 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,260 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,710 – 2,900 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 14,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,280-2,360 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,320-2,425 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,700 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 11,100 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,800 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 11,700 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 6,300-6,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 6,075- 6,150 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
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