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Friday, 15 November, 2024
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भारत, पाकिस्तान ने सिंधु जल पर की अंतिम दौर की बैठक, दोनों पक्षों का दिखा सकारात्मक रुख

पाकिस्तान में नई सरकार के सत्ता संभालने के बाद से दोनों देश बातचीत को फिर से शुरू करने के विकल्प तलाश रही है लेकिन वो इस बात पर जोर दे रहा है कि भारत पहले जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर 'रियायत' दे.

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नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान ने दो दिवसीय 118वीं स्थायी सिंधु आयोग की मंगलवार को अंतिम बैठक की. दोनों पक्षों ने सकारात्मक संकेत दिए हैं.

इंडस वॉटर ट्रीटी (आईडब्ल्यूटी) 1960 के तहत सालाना आयोजित होने वाली बैठक सोमवार को छह सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल के साथ शुरू हुई थी. इसमें एक महिला भी शामिल थी जो इसमें हिस्सा लेने के लिए भारत आई हैं.

पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल में सैयद मोहम्मद, मेहर अली शाह, साहिबजाद खान, हबीब उल्लाह बोदला, समन मुनीब और खालिद महमूद शामिल हैं.

भारत के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारत के नए सिंधु आयुक्त एके पाल कर रहे हैं.

यह बैठक इस्लामाबाद में हुई पिछली बैठक के तीन महीने के भीतर हो रही है. स्थायी सिंधु आयोग की 117वीं बैठक 1-3 मार्च को इस्लामाबाद में हुई. भारतीय टीम का नेतृत्व भारत के तत्कालीन सिंधु आयुक्त पीके सक्सेना ने किया था.

सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) 1960 के प्रावधानों के अनुसार – सिंधु बेसिन की छह नदियों के पानी के बंटवारे पर भारत और पाकिस्तान के बीच – दोनों देशों में सिंधु आयुक्त और स्थायी सिंधु आयोग है जो हर साल कम से कम एक बार बैठक करते हैं.

गौरतलब है कि सिंधु बेसिन की छह नदियों में से, भारत के पास तीन पूर्वी नदियों – सतलुज, ब्यास और रावी पर अधिकार हासिल है. वहीं, चिनाब, झेलम और सिंधु पर पाकिस्तान का अधिकार है.

23-24 मार्च, 2021 को नई दिल्ली में आयोजित पिछली बैठक में जल विज्ञान और बाढ़ के आंकड़ों पर चर्चा की गई थी. इस दौरान भारत और पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को उसकी वास्तविक भावना से लागू करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी.

दोनों देशों के बीच आखिरी बार दिसंबर 2015 में राजनयिक वार्ता हुई थी, और जब वे बातचीत की बहाली की घोषणा करने में कामयाब रहे, तो पठानकोट हमले के कारण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई.

पाकिस्तान में नई सरकार के सत्ता संभालने के बाद से दोनों देश बातचीत को फिर से शुरू करने के विकल्प तलाश रही है लेकिन इस्लामाबाद इस बात पर जोर दे रहा है कि भारत पहले जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर ‘रियायत’ दे.


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