नई दिल्ली: कांग्रेस इस महीने चिंतन शिविर के दौरान पार्टी द्वारा चिन्हित किए गए विशेष ध्यान वाले क्षेत्रों वाली रणनीति के अनुरूप अपने सार्वजनिक संपर्क को बढ़ावा देने के साथ-साथ सदस्यों के उचित मूल्यांकन के उद्देश्य से जल्द ही चुनाव में जाने वाले गुजरात में अपने कार्यकर्ताओं के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च कर रही है.
कांग्रेस के गुजरात प्रभारी डॉ रघु शर्मा के मुताबिक ‘सत्याग्रह एप’ के पहले चरण की शुरुआत 1 जून से होगी. इस चरण के दौरान, इस ऐप को अगले छह महीने में राज्य के 40 आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के उपयोग के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा.
पार्टी सूत्रों ने कहा कि दिसंबर 2022 के लिए निर्धारित विधानसभा चुनावों को देखते हुए इस ऐप का उपयोग पार्टी द्वारा कुछ अन्य विचाराधीन अभियानों- राज्य के युवाओं और किसानों पर लक्षित- के लिए भी किया जाएगा और अंततः इसके तहत राज्य के सभी 182 निर्वाचन क्षेत्रों को कवर किया जायेगा.
पार्टी का यह आउटरीच (लोगों तक पहुंचने का) कार्यक्रम इसके स्वयंसेवकों द्वारा चलाया जाएगा, जो अपने बूथ वाले इलाके में घर-घर जाएंगे और प्रत्येक घर और उनकी शिकायतों का विवरण दर्ज करने के लिए इस ऐप का उपयोग करेंगे. पार्टी को चुनाव से पहले राज्य में 1 करोड़ घरों तक पहुंचने की उम्मीद है.
चिंतन शिविर में बोलते हुए कांग्रेस सांसद और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि पार्टी को भारत के लोगों के साथ अपने संबंध को पुनर्जीवित करने की जरूरत है. शर्मा ने कहा कि इस चिंतन शिविर से ठीक दो दिन पहले, 11 मई को गुजरात के दाहोद में आयोजित एक रैली में राहुल ने यह भी घोषणा की थी कि राज्य में घरों तक पहुंचने और कार्यकर्ताओं का आकलन करने के लिए एक अनुभवजन्य प्रणाली का उपयोग किया जाएगा.
शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, ‘उन्होंने कहा था कि हम लोगों की राय जानने के लिए व्यवस्थित रूप से घर-घर जाएंगे और इस सिलसिले में अच्छा काम करने वालों की पार्टी सराहना करेगी. इस प्रोजेक्ट को पार्टी आलाकमान और शीर्ष नेतृत्व का पूरा समर्थन प्राप्त है.’
चिंतन शिविर के अंत में स्वीकृत ‘उदयपुर घोषणापत्र’ पार्टी कार्यकर्ताओं के बेहतर मूल्यांकन का आह्वान करता है. यह एक एक ऐसी व्यवस्था है जिसे कांग्रेस महासचिव (संगठन) के तहत खड़ा किया जाना है.
बाद में 17 मई को दिल्ली में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने कहा कि संगठनात्मक पदों पर रहने वाले सभी लोगों को, चाहे उनका पद अथवा हैसियत कुछ भी हो, कुछ ‘कार्य’ सौंपें जाएंगे और इसी आधार पर यह मूल्यांकन किया जाएगा कि क्या वे इन कार्यों को ठीक से पूरा करते हैं अथवा नहीं.
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परीक्षण वाला चरण
शर्मा ने कहा कि सत्याग्रह ऐप का पहला चरण कार्यकर्ता-स्वयंसेवकों के लिए 15-दिवसीय प्रशिक्षण अवधि के साथ शुरू होगा. इसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 120 लोगों को यह बताया जायेगा कि इस ऐप का उपयोग कैसे करें.
गुजरात स्थित एक कांग्रेस पदाधिकारी, जो ‘आदिवासी सत्याग्रह’ अभियान पर काम कर रहे हैं और कार्यकर्ताओं द्वारा इस ऐप के उपयोग की निगरानी करेंगे, ने बताया कि राज्य में 27 एसटी-आरक्षित विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों और ‘एसटी आबादी के प्रभाव’ वाले 13 ऐसे निर्वाचन क्षेत्रों को छह महीने तक चलने वाले अभियान के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है.
इस समय, पार्टी 10 लाख आदिवासी परिवारों तक पहुंचना चाहती है और कम-से-कम 5,000 ऐसे समर्पित कार्यकर्ताओं को शामिल करना चाहती है जो आउटरीच कार्यक्रम के लिए इस ऐप का उपयोग करेंगे.
अपना नाम न बताने की शर्त पर इस कांग्रेस पदाधिकारी ने कहा, ‘हमारे कार्यकर्ता इन 40 निर्वाचन क्षेत्रों में घर-घर जाएंगे और प्रत्येक आदिवासी परिवार को एक ‘आदिवासी पत्र’ देंगे. इसके बाद वे इस ऐप पर ऐसे परिवारों के विवरण के साथ ही आदिवासी मुद्दों के बेहतर प्रतिनिधित्व के लिए उनके सुझावों को नोट करेंगे. इसके बाद इस ‘आदिवासी पत्र’ को प्रत्येक घर के बाहर जाकर चिपका दिया जाएगा.’
उन्होंने कहा कि पत्र में उन नीतियों को सूचीबद्ध किया जाएगा जिन्हें कांग्रेस सत्ता में आने पर लागू करने का वादा करती है और उन मुद्दों का भी उल्लेख किया जाएगा जिन्हें पार्टी अपने अभियान के माध्यम से उठाएगी.
इनमें वन अधिकार अधिनियम (फारेस्ट राइट्स एक्ट- एफआरए), जो जंगल में रहने वाले आदिवासी समुदायों के वन संसाधनों के अधिकारों को मान्यता देता है, पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम (पेसा), जो भारत के अनुसूचित क्षेत्रों में पारंपरिक ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिश्चित करता है और कॉर्पोरेट्स द्वारा आदिवासी भूमि के ‘अवैध कब्जे’ के खिलाफ एक अभियान चलाया जाना, आदि शामिल हैं.
जो कार्यकर्ता ज्यादा-से-ज्यादा घरों तक पहुंच बनाते हैं उन्हें ‘संविधान के सिद्धांतों और इसकी कार्यवाही के बारे में प्रशिक्षित’ किया जाएगा, जिसके बाद उनसे आउटरीच संबंधी उद्देश्यों के लिए अपने बूथों में ‘संविधान चौपाल’ या सार्वजनिक बैठकें आयोजित करने की उम्मीद की जाएगी. इस ऐप के जरिए इन चौपालों पर नजर भी रखी जाएगी.
‘आदिवासी सत्याग्रह’ अभियान के तहत अगले छह महीनों में पार्टी का लक्ष्य ऐसे 10,000 चौपालों को आयोजित करने का है.
इस पदाधिकारी ने कहा, ‘एक बार यह हो जाने के बाद, चुनाव से ठीक पहले इस आउटरीच कार्यक्रम से हमें जो फीडबैक मिलता है, उसी पर आधारित जनजातीय कल्याण के लिए हमारी दूरदृष्टि (विज़न) को ‘इंदिरा कार्ड’ के माध्यम से 10 लाख घरों में फिर से बांटा जायेगा.’
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कॉमन थीम
पदाधिकारी ने कहा कि इसी ऐप का इस्तेमाल अन्य सामाजिक समूहों पर लक्षित अभियानों के लिए भी किया जाएगा. इन सभी अभियानों में ‘सत्याग्रह’ एक कॉमन थीम होगा, यही वजह है कि ऐप का नाम भी वही रखा गया है.
उन्होंने कहा, ‘सत्याग्रह एक बहुत ही ‘कांग्रेसी’ विचार है. यह गांधी जी का विचार है और चूंकि हमारे पास ज्यादा संसाधन नहीं हैं, इसलिए हम इसी से अपनी लड़ाई लड़ेंगे. जैसे अभी हमारे पास ‘आदिवासी सत्याग्रह’ है, वैसे ही युवाओं के लिए ‘युवा सत्याग्रह’, किसानों के लिए ‘किसान सत्याग्रह’ आदि भी होंगे. अंत-अंत तक हम राज्य के 1 करोड़ घरों तक पहुंचना चाहते हैं.’
यह कांग्रेस द्वारा अपनी जड़ों की ओर लौटने- अर्थात वह करना जो गांधी इन हालात में करते- के बारे में हुई व्यापक चर्चा के साथ भी जुड़ा हुआ है.
पदाधिकारी ने आगे बताया, ‘आम तौर पर, राजनीति में हम देखते हैं कि निर्णय लेना बहुत व्यक्तिगत विषय होता है, लेकिन यह (ऐप) इस अर्थ में इस प्रक्रिया में व्यवधान पैदा कर रहा है कि अब डेटा का उपयोग करके एक कार्यकर्ता के ‘आउटपुट’ का आकलन किया जा सकता है. कार्यकर्ताओं को यह इस अर्थ में एक तरह की सुरक्षा का एहसास दिलाता है कि कोई मेरा काम खा नहीं जाएगा.’
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टिकट बंटवारे से है जुड़ा
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के डेटा और एनालिटिक्स विभाग के एक सदस्य, जिन्होंने इस ऐप को बनाया है और इसके माध्यम से प्राप्त डेटा को संभाल रहा है, ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि यह डेटा राज्य के आगामी चुनावों में टिकट के बंटवारे से ‘सीधे तौर पर जुड़ा होगा.’
विभाग के सदस्य ने कहा, ‘चूंकि यह ऐप जीपीएस-इनेबल्ड है, इसलिए इसमें धोखाधड़ी करने का एकमात्र तरीका यह है कि यदि कार्यकर्ता या टिकट का आकांक्षी व्यक्ति स्वयं नहीं जाते हैं और किसी अन्य को उनके स्थान पर फोन के साथ भेज देते हैं. फिर भी, किसी-न-किसी को पार्टी की ओर से आउटरीच कार्यक्रम करना ही होगा और उस व्यक्ति को ऐप में एक प्रश्नावली भरनी होगी जो घरों और उनकी शिकायतों का विवरण मांगती है.’
‘सत्यापन का अतिरिक्त स्तर’ जोड़ने के लिए घरों के पंजीकरण की अवधि समाप्त होने के बाद एक ‘इन-कॉल, आउट-कॉल’ अभियान की योजना भी बनाई जा रही है.
विभाग के सदस्य ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य उन सभी परिवारों को कॉल करना है जिन्हें हमने पंजीकृत किया है ताकि उनके नाम के सामने लिखी गई चिंताओं को सत्यापित किया जा सके और इस बात को भी सत्यापित किया जा सके कि क्या कोई उम्मीदवार वास्तव में उस घर में गया है या नहीं. हमें इससे यह भी फीडबैक मिलेगा कि उन्हें कौन सा उम्मीदवार ज्यादा पसंद है या किसने उन्हें ज्यादा आकर्षित किया.’
इस फीडबैक को एकत्र किया जाएगा और (उम्मीदवारों के) नाम पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) को भेजे जाएंगे. पार्टी द्वारा किया गया सामान्य सर्वेक्षण भी एक नाम की सिफारिश करेगा. जैसा कि हर चुनाव में होता है, टिकट वितरण के लिए एक स्क्रीनिंग कमेटी का भी गठन किया जाएगा.‘ यदि नाम पर सर्वसहमति है, तो सीईसी द्वारा उस पर कोई चर्चा नहीं की जाएगी. यदि नहीं, तो उनके द्वारा ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
इस ऐप का एक ऐसा ही संस्करण हिमाचल प्रदेश, जो गुजरात के साथ ही चुनाव में जाने वाला है, के साथ-साथ भविष्य में अन्य राज्यों में होने वाले चुनाव के लिए भी किया जा सकता है.
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सदस्य संख्या को बढ़ाना
गुजरात और हिमाचल प्रदेश जैसे चुनावी राज्यों ने 15 अप्रैल को समाप्त हुए पार्टी के डिजिटल सदस्यता अभियान में बहुत कम सदस्यता संख्या दर्ज करवाई थी. डेटा और एनालिटिक्स विभाग के एक अन्य सूत्र ने कहा कि नया ऐप सदस्यता अभियान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ऐप का एक उन्नत संस्करण है. इस सूत्र ने कहा कि आउटरीच के लिए स्वयंसेवकों की भर्ती के नए अभियान के साथ-साथ इन चुनावी राज्यों में सदस्यों की कम संख्या के वजह से एक संशोधित ऐप की आवश्यकता थी.
पार्टी ने कहा था कि वे सदस्य (जिन्हें नामांकनकर्ता कहा जाता है) जिन्होंने पार्टी की सदस्यता ऐप पर सबसे अधिक लोगों को पंजीकृत किया है, वे ही आगामी प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी), एआईसीसी और राज्य स्तरीय चुनावों में टिकट के लिए पात्र होंगे.
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