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Thursday, 18 April, 2024
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कौन हैं रतन लाल? ज्ञानवापी पर पोस्ट के लिए गिरफ्तार ‘मुखर’ प्रोफेसर ‘उत्पीड़ितों की आवाज उठाने में हैं ‘चैंपियन’

ज्ञानवापी में मिली ‘शिवलिंग’ को लेकर प्रोफेसर रतन लाल की सोशल मीडिया पोस्ट पर मिली-जुली प्रतिक्रिया हुई, लेकिन उनके साथी उन्हें अपने विषय का ज्ञाता और जाति संबंधी मुद्दों पर टीका-टिप्पणी के लिए ख्यात बताते हैं.

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नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के हिंदू कॉलेज के गेट सोमवार सुबह बंद हो गए और बाहर कई गार्ड तैनात कर दिए गए. माहौल में तनाव छाया हुआ था और केवल वैध पहचान वाले छात्रों और फैकल्टी सदस्यों को ही प्रवेश करने की अनुमति दी जा रही थी.

पिछले हफ्ते ही कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर रतन लाल के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए मामला दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने एक ‘शिवलिंग’ के संदर्भ में टिप्पणी थी जो कथित तौर पर वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में पाया गया था.

सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल की तरफ से उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के तीन दिन बाद शुक्रवार रात को दिल्ली पुलिस ने प्रोफेसर को गिरफ्तार कर लिया.

दिल्ली की एक कोर्ट ने शनिवार को उन्हें जमानत दे दी, लेकिन इससे पहले डीयू के कई कॉलेजों के छात्रों में हंगामा मचा दिया. उन्होंने लाल की गिरफ्तारी के बाद करीब 24 घंटे तक विरोध प्रदर्शन किया.

यद्यपि ‘शिवलिंग’ पर उनकी पोस्ट की मिश्रित प्रतिक्रिया हुई है, कॉलेज के छात्रों ने उनसे माफी मांगने के लिए भी प्रदर्शन किया. रतन लाल को उनके सहयोगी अपने विषय का महारती बताते हैं और बताया जाता है कि जातिवाद को लेकर बहस इस दलित प्रोफेसर का पसंदीदा विषय है.

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रतन लाल ने अपनी गिरफ्तारी से पहले दिप्रिंट को बताया था कि सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणी ‘व्यंग्यात्मक’ थी और इसका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था.

उन्होंने कहा, ‘गौतम बुद्ध से लेकर अंबेडकर तक, पेरियार से लेकर फुले तक धर्म की आलोचना विमर्श का हिस्सा रही है. मैंने कुछ भी गलत नहीं लिखा है…’


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22 साल से हिंदू कॉलेज के साथ, बिहार में चुनाव लड़ा

50 वर्षीय रतन लाल ने अपनी पढ़ाई के लिए कम उम्र में ही बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित अपने घर को छोड़ दिया था और जल्द ही वह डीयू की छात्र राजनीति का हिस्सा बन गए. यूनिवर्सिटी में उनकी प्रारंभिक शिक्षा का खर्चा पूर्व विधायक हरदयाल सिंह कंबोज ने उठाया था.

रतन लाल ने रामजस कॉलेज से मास्टर डिग्री और पीएचडी की उपाधि हासिल की और 2000 में हिंदू कॉलेज ज्वाइन कर लिया.

अपने करियर के दौरान उन्होंने काशी प्रसाद जायसवाल: द मेकिंग ऑफ ए ‘नेशनलिस्ट’ हिस्टोरियन सहित 10 किताबें लिखी और संपादित की हैं. ट्विटर पर उनके लगभग 80,000 फॉलोअर्स हैं और वह ‘अंबेडकरनामा’ नाम से एक सोशल मीडिया चैनल चलाते हैं, जिसके फेसबुक पेज पर हजारों फॉलोअर्स हैं.

ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी के 40 वर्षीय हिस्ट्री प्रोफेसर सागर तिवारी—जो कॉलेज के दूसरे वर्ष के दौरान उनके संपर्क में आए थे—ने कहा कि डीयू के उच्च जाति के प्रोफेसरों के बीच एक दलित रतन लाल के लिए प्रोफेसर बनने की राह बहुत आसान नहीं थी.

उन्होंने आगे कहा, ‘जाति को लेकर अपने विश्लेषण के कारण रतन लाल को अक्सर एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर जाना जाता है जो हर मुद्दे पर जाति की बात करता है. अंबेडकरनामा को लेकर उन पर कभी अल्पसंख्यकों को लुभाने और हर बातचीत को अल्पसंख्यक मुद्दे से जोड़ देने का आरोप लगा था. मैंने उनके चैनल पर उनके साथ एक लाइव शो भी किया और इस पर बात की कैसे उन्होंने जातियों की सीमाओं से परे जाकर हर उत्पीड़ित व्यक्ति के लिए काम किया. यहां मैं एक उच्च जाति का छात्र था, जो उनके विचारों से बहुत प्रभावित हुआ.’

उनके मुताबिक, रतन लाल की कक्षाएं विचारोत्तेजक थीं, और जाति के मामलों पर उनके गहरे अध्ययन के साथ-साथ इतिहास को समकालीन राजनीति से जोड़ने की उनकी क्षमता ‘अभूतपूर्व है और यह उन पर एक गहरा प्रभाव छोड़ गई.’

तिवारी ने कहा, ‘प्रोफेसर लाल के साथ वाद-विवाद और विचार-विमर्श क्लासरूम के बाहर भी जारी रहता था. उनके तर्कों ने मुझे एक ऐसी दुनिया से परिचित कराया जिसने मेरे मन-मस्तिष्क पर गहरा असर डाला और मुझे इतिहास को एक विषय और व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया.’

प्रोफेसर लाल की ट्विटर टाइमलाइन में अंबेडकरनामा के वीडियो और दलित और अल्पसंख्यक मुद्दों पर ट्वीट शामिल हैं. कुछ ट्वीट्स से पता चलता है कि इस साल फरवरी में यूट्यूब पर यह चैनल हैकिंग का शिकार हो गया था और कई बार लिखित अनुरोधों के बाद ही बहाल हो पाया था.

अंबेडकरनामा पर अधिकांश वीडियो जाति संबंधी मुद्दों पर केंद्रित होते हैं. उदाहरण के तौर पर इसी साल उत्तर प्रदेश चुनावों के दौरान वीडियो में आरोप लगाया गया है कि ‘दलित तुष्टीकरण की राजनीति की जगह अब ब्राह्मण तुष्टिकरण ने ले ली है.’ पंजाब पर एक वीडियो में दलित सिख, चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने पर चर्चा की गई. किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान रतन लाल की भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद और किसान नेता राकेश टिकैत के साथ बातचीत वाले वीडियो भी इस चैनल पर उपलब्ध है.

कॉलेज के समय से रतन लाल के दोस्त और अब स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में प्रोफेसर सूरज मंडल ने बताया, ‘उन्होंने 2015 में बिहार की पाटेपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. शुरू में राजद ने उन्हें टिकट देने का वादा किया था लेकिन बाद में उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इसके बाद उन्होंने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने का फैसला किया और तीसरे स्थान पर रहे.’

उन्होंने कहा, ‘वास्तव में, वह राजद के साथ इतनी सक्रियता से जुड़े थे कि उन्होंने ही (डीयू के प्रोफेसर) मनोज कुमार झा (जो अब राज्यसभा में राजद सांसद हैं) को पार्टी में शामिल होने के लिए मनाया था.’


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‘एक लोकप्रिय छात्र’

मंडल रतन लाल को ‘राजनीतिक स्तर पर सक्रिय एक लोकप्रिय छात्र’ के रूप में याद करते हैं.

उन्होंने बताया, ‘मैं (आरएसएस की छात्र इकाई) एबीवीपी में था, जबकि रतन का झुकाव उत्पीड़ित और पिछड़े वर्गों के बारे में बोलने की ओर था. हालांकि, हमारी विचारधाराएं कभी किसी मतभेद का आधार नहीं रही हैं.’

मिरांडा कॉलेज की प्रोफेसर आभा देव हबीब ने लाल को ओपिनियन-मेकर बताया. उन्होंने कहा, ‘वह प्रासंगिक सामाजिक मुद्दों को उठाते हैं और उनके बारे में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बात करते हैं.’

रतन लाल के एक अन्य सहयोगी और हिंदू कॉलेज में अंग्रेजी के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रेम कुमार विजयन की राय भी कुछ इसी तरह की है. उन्होंने कहा, ‘प्रोफेसर लाल फैकल्टी के एक मुखर सदस्य हैं और सक्रिय तौर पर स्टाफ एसोसिएशन और कॉलेज के मामलों से जुड़े रहते हैं. वह छात्रों और फैकल्टी सदस्यों के बीच काफी चर्चित हैं.’

रतन लाल की गिरफ्तारी पर विजयन ने कहा, ‘यह मामला वास्तव में बोलने की आजादी और किसी व्यक्ति के अपने विचार रखने के अधिकार से जुड़ा है. अगर किसी व्यक्ति की सोशल मीडिया पोस्ट आपके लिए आपत्तिजनक है, तो आप सोशल मीडिया पर उसका विरोध करते हुए अपनी राय रखते हैं. जो आपसे सहमत नहीं है, उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू करने की कोई आवश्यकता नहीं है.’

उन्होंने कहा कि ‘लाल अपनी राय बहुत सीधे-सपाट और काफी मुखर तरीके से व्यक्त करते हैं जो शायद हर किसी के गले नहीं उतर पाती.’

हालांकि, हिंदू कॉलेज की प्रिंसिपल अंजू श्रीवास्तव ने प्रोफेसर या उनकी गिरफ्तारी पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा, ‘यह कॉलेज के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय है. हमारी परीक्षाएं चल रही हैं, हमें निरीक्षण और मूल्यांकन पर ध्यान देना होगा.’

छात्र दो खेमों में बंटे

‘शिवलिंग’ पर प्रोफेसर लाल की पोस्ट और उनकी गिरफ्तारी को लेकर छात्र समुदाय दो वर्गों में बंटा हुआ है.

अधिकांश छात्रों ने जहां उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ आंदोलन किया, वहीं, हिंदू कॉलेज के संस्कृत विभाग के छात्रों के एक समूह ने सोमवार को कॉलेज के गेट पर प्रदर्शन किया, जिनकी मांग थी कि प्रोफेसर को अपनी सोशल मीडिया पोस्ट के लिए माफी मांगनी चाहिए.

विरोध प्रदर्शन में शामिल रहे 21 वर्षीय छात्र अभिषेक त्रिपाठी ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम हिंदू हैं और प्रो. लाल की तरफ से की गई सोशल मीडिया पोस्ट से नाखुश हैं. हम चाहते हैं कि वह इसके लिए माफी मांगें और कॉलेज से उन्हें उनके पद से हटाए.’

कॉलेज की एक अन्य छात्रा ने नाम बताने से इनकार करते हुए कहा कि रतन लाल एक जाना-पहचाना चेहरा है और इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है.

छात्रा ने कहा, ‘मैंने उनकी क्लास में तो हिस्सा नहीं लिया है इसलिए मुझे नहीं पता कि वह वहां कैसे पढ़ाते हैं लेकिन पहचान मिलने के साथ ही जिम्मेदारी भी आती है. उन्हें लोगों की भावनाओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए. इस तरह की टीका-टिप्पणियां केवल नाम ही खराब करती हैं. मुझे लगता है कि उन्हें अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए.’

उसकी दोस्तों के एक समूह ने एक सुर में कहा, ‘वामपंथी और दक्षिणपंथी छात्र दल इस पूरे मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं. कोई भी इसे बुद्धिमत्तापूर्ण या तटस्थ नजरिये से नहीं देख रहा है.’

विरोध में शामिल एक मुस्लिम छात्र ने पूछा कि ‘आखिर पोस्ट का मतलब है क्या’

नाम न छापने की शर्त पर छात्र ने कहा, ‘हमारे धर्म में खतना की प्रथा है. हमारे पैगंबर ने इसकी वकालत की और हम इसका पालन करते हैं. इस पर इतने हास्यास्पद ढंग से मजाक बनाने का क्या मतलब है?’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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