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Saturday, 20 April, 2024
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शोपीस बने नवी मुंबई एयरपोर्ट से 2024 तक उड़ान भरने लगेंगे विमान, डेवलपर ने लिखित आश्वासन दिया

नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड ने दो महीने पहले ‘मील का एक और पत्थर’ पार कर लिया जिससे अधिकारियों में काफी ज्यादा समय से लंबित यह परियोजना दिसंबर 2024 तक पूरी होने का भरोसा बढ़ा है.

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मुंबई: कई बार निर्धारित समयसीमा से पिछड़ जाने के बाद नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट के दिसंबर 2024 से ऑपरेशनल हो जाने की संभावना बढ़ी है. इसकी आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में रखी थी.

परियोजना ने दो माह पूर्व मील का एक और पत्थर पार कर लिया जब रियायतग्राही नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (एनएमआईएएल) फाइनेंशिएल क्लोजर की स्थिति में पहुंच गया, जिससे कार्यान्वयन अधिकारियों में इस बार समयसीमा के भीतर काम पूरा होने का भरोसा बढ़ा है.

परियोजना से जुड़े राज्य के कार्यान्वयन प्राधिकरण, सिटी एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (सिडको) के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संजय मुखर्जी ने दिप्रिंट को बताया, ‘फाइनेंशियल क्लोजर का मतलब है कि इस प्रोजेक्ट के लिए फंड फ्लो को अंतिम रूप दे दिया गया है. जाहिर है, इससे सुनिश्चित होगा कि परियोजना के लक्ष्य पूरे किए जाएं और इसे समय पर पूरा किया जा सके. सभी मंजूरी मिल चुकी हैं. सिडको का प्री-डेवलपमेंट कार्य भी पूरा हो चुका है.’

एनएमआईएएल अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है और सिडको के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट डेवलप कर रही है.

नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट को दुनिया के सबसे बड़े ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट में से एक माना जाता है, जिसमें 3,700 मीटर के दो समानांतर रनवे और 1,550 मीटर की दूरी पर पूरी लंबाई वाले टैक्सीवे होंगे.

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निर्माण के लिए ग्रीनफील्ड साइट तैयार करने में प्री-डेवलपमेंट कार्य काफी अहम था. 2017 में शुरू हुए इस काम में एक पहाड़ी को समतल करना, फिर दलदली भूमि तैयार करना और निर्धारित जगह से एक नदी को मोड़ना आदि शामिल था.

मुखर्जी ने कहा कि रियायतग्राही कंपनी ने सिडको को लिखित में सूचित किया है कि एयरपोर्ट 31 दिसंबर 2024 को या उससे पहले ऑपरेशनल हो जाएगा.

मुखर्जी ने कहा कि अगले कदम के तौर पर जमीन के स्तर को 8.5 मीटर ऊपर उठाने के साथ टर्मिनल भवन, एप्रन और रनवे का निर्माण करना शामिल है.

उन्होंने कहा कि इस पूरी परियोजना का सबसे जटिल हिस्सा यानी परियोजना से प्रभावित लोगों का पुनर्वास भी पूरा हो गया है. उन्होंने कहा, ‘केवल चार संरचनाएं (साइट पर) बची हैं. इन्हें, बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों के मुताबिक, डेवलपर्स की तरफ से हटाया जाना है.’

नवी मुंबई एयरपोर्ट के लिए भूमि अधिग्रहण—जो 12 गांवों और करीब 1,160 हेक्टेयर क्षेत्र तक फैला है—परियोजना का विरोध करने वाले ग्रामीणों के कारण सबसे अधिक समय लेने वाला रहा.

सिडको ने अंततः एक शानदार मुआवजा मॉडल के माध्यम से भूमि का अधिग्रहण किया जिसमें उनकी भूमि के 22.5 फीसदी के बराबर विकसित भूमि का हस्तांतरण, मौजूदा निवास के आकार से तीन गुना बड़ा वैकल्पिक आवास प्रदान करना, और अन्य प्रोत्साहनों के साथ बच्चों को नौकरी की गारंटी शामिल है.


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निर्माण शुरू में लंबा समय लगा

मौजूदा छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लगातार बढ़ते यातायात के मद्देनजर मुंबई में एक अन्य एयरपोर्ट की तत्काल आवश्यकता महसूस की जा रही थी.

भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मुंबई एयरपोर्ट ने 2021-22 में अन्य सभी भारतीय एयरपोर्ट के मुकाबले यात्री यातायात में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की, जो करीब 97 प्रतिशत रही, क्योंकि इस वित्तीय वर्ष में एयरपोर्ट पहुंचने वाले अंतरराष्ट्रीय और घरेलू यात्रियों का आंकड़ा दो करोड़ रहा.

नवी मुंबई एयरपोर्ट की परिकल्पना पहली बार 1997 में की गई थी, जब केंद्र सरकार ने माना कि मुंबई को दूसरे एयरपोर्ट की जरूरत है.

हालांकि, पर्यावरणीय बाधाओं, भूमि अधिग्रहण के मुद्दों और प्री-डेवलपमेंट कार्यों के साथ परियोजना को उस चरण तक पहुंचने में करीब दो दशक का समय लग गया, जब निर्माण कार्य शुरू हो पाया. 2006-07 में एयरपोर्ट की लागत 4,766 करोड़ रुपये के मूल अनुमान से बढ़कर 16,000 करोड़ रुपये हो गई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में जब परियोजना की आधारशिला रखी, तो इससे एक माह पहले ही सिडको ने लंबी निविदा प्रक्रिया के बाद नए एयरपोर्ट के डेवलपमेंट और संचालन के लिए जीवीके समूह के साथ रियायत संबंधी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने काफी उम्मीदों के साथ 2019 तक एयरपोर्ट पूरा होने की समयसीमा निर्धारित की थी.

हालांकि, प्रोजेक्ट में काफी विलंब हो गया जिसमें पहले कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के कारण बाधा आई. फिर मूल रियायतग्राही जीवीके समूह पर वित्तीय दबाव बढ़ने की वजह से 2020 में प्रबंधन में बदलाव करना पड़ा जब अडानी समूह ने यह जिम्मेदारी संभाली.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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