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Friday, 22 November, 2024
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EC के नए प्रमुख राजीव कुमार ‘लो-प्रोफाइल अधिकारी, पब्लिक पॉलिसी और कानूनी मामलों के एक्सपर्ट भी हैं

फरवरी 2020 में वित्त सचिव के पद से रिटायर हुए राजीव कुमार मोदी सरकार की कई प्रमुख परियोजनाओं के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी अहम भूमिका निभा चुके हैं, और उन्होंने बैंकिंग और पेंशन सुधारों की निगरानी की जिम्मेदारी भी संभाली थी.

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नई दिल्ली: भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार झारखंड कैडर के 1984 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं, जिनके साथ पूर्व में काम कर चुके कार्यरत और सेवानिवृत्त सिविल सेवकों का कहना है कि वह वित्त, कॉर्पोरेट, सार्वजनिक नीति और कानूनी मामलों के विशेषज्ञ हैं.

राजीव कुमार फरवरी 2020 में केंद्र सरकार में वित्त सचिव के पद से रिटायर हुए हैं. उसी वर्ष अप्रैल में उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से सार्वजनिक उपक्रम चयन बोर्ड (पीईएसबी) के नेतृत्व का जिम्मा सौंपा गया था. यह निकाय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के लिए तमाम शीर्ष पदों पर सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति के लिए नामों को मंजूरी देता है. फिर, अगस्त 2020 में अशोक लवासा के पद छोड़ने के बाद रिक्ति को भरने के लिए उन्हें चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया गया. लवासा ने केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के साथ काफी समय तक चलती रही तनातनी के बाद एशियाई विकास बैंक में शामिल होने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

राजीव कुमार 15 मई को सुशील चंद्रा की जगह कार्यभार संभालेंगे और बतौर सीईसी आगामी राज्य विधानसभा चुनावों के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनाव भी कराएंगे. चुनाव आयुक्त छह साल के कार्यकाल के लिए या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, तक कार्य करते हैं. 62 वर्षीय राजीव कुमार अब तक अब तक लगभग दो वर्ष चुनाव आयोग में बिता चुके हैं और प्रभावी तौर पर वह कम से कम तीन वर्षों के लिए सीईसी रहेंगे.

वित्त मंत्रालय के एक पूर्व अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘नौकरशाही हलकों में उन्हें (राजीव कुमार को) वित्त, कॉर्पोरेट मामलों और कानून से संबंधित मामलों में विशेषज्ञता रखने वाले एक टेक्नोक्रेट के तौर पर देखा जाता है. ऑफिस में वह हमेशा बेहद लो प्रोफाइल रहते थे. वह मीडिया से नहीं जुड़ते हैं और टकरावों और विवादों से हमेशा बचते रहे हैं.’

अधिकारी ने बताया कि राजीव कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में प्रधानमंत्री जनधन योजना और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना जैसी कई प्रमुख परियोजनाओं के विभिन्न पहलुओं पर काम किया.


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अहम जिम्मेदारियां संभाली

विज्ञान और कानून में स्नातक और पब्लिक पॉलिसी एंड सस्टेनिबिलिटी में पोस्ट-ग्रेजुएट डिग्री रखने वाले राजीव कुमार के बारे में पब्लिक डोमेन में उपलब्ध सेवा रिकॉर्ड के मुताबिक, उन्होंने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग और केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय के साथ काम किया है.

इससे अलावा, वह बिहार में प्राथमिक शिक्षा और उद्योग (झारखंड को अलग राज्य बनाए जाने से पहले) जैसे विभागों के प्रभारी रहे हैं, झारखंड के कई जिलों में कलेक्टर, जिला विकास आयुक्त और उप-मंडल मजिस्ट्रेट के तौर पर भी कार्यरत रहे हैं.

वित्त सचिव के तौर पर राजीव कुमार ने खासकर बैंकिंग, बीमा और पेंशन सुधारों से जुड़े सभी कार्यों की निगरानी की. भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) की वेबसाइट पर जारी एक प्रेस नोट के मुताबिक, उन्होंने 2017 और 2020 के बीच वित्त मंत्रालय में अपने कार्यकाल के दौरान मुखौटा कंपनियों पर कार्रवाई की और तीन लाख से अधिक ऐसी फर्मों के बैंक खाते सील कर दिए.

उन्होंने सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये की योजना पर भी काम किया.
प्रेस नोट में आगे बताया गया है कि राजीव कुमार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को सुव्यवस्थित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें 18 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को अपने निवेश के लिए पसंदीदा पेंशन फंड चुनने की अनुमति मिली.

प्रेस नोट में बताया गया है कि वित्त मंत्रालय में उनके कार्यकाल के दौरान कुछ अन्य पहल में अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 को पारित करना, चिट फंड जैसी अवैध जमा लेने वाली योजनाओं की चुनौतियों से निपटने के दौरान जमाकर्ताओं को संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए एक कानून लाना और पीएमसी बैंक घोटाला मामले जैसे गलत कार्यों से बचने के लिए सहकारी बैंकों पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की नियामक शक्तियों को मजबूती से लागू करने के लिए बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन शामिल है.

राजीव कुमार के साथ काम कर चुके झारखंड सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘अपने (कुमार के) अधीन काम करने वाले अधिकारियों के लिए वह हमेशा बहुत सुलभ रहे हैं, लेकिन वह काफी लो-प्रोफाइल रखना पसंद करते हैं.’

केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि राजीव कुमार को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत बेहद पसंद हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘उन्हें भक्ति गीतों का भी शौक है और जब काम नहीं कर रहे होते हैं तो काफी समय ध्यान भी लगाते हैं. उनके करीबी लोग इस बारे में जानते हैं.’

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पिछले कई सालों से राजीव कुमार लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और पश्चिमी घाट जैसी जगहों पर ट्रैकिंग के लिए जाते रहे हैं.

‘कई चुनौतियों का सामना कर रहे’

चुनाव आयोग के एक पूर्व अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि राजीव कुमार को ‘इस समय कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.’

अधिकारी ने कहा, ‘ये ऐसा समय हैं जब चुनाव आयोग की स्वायत्तता और उसके अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाले मामलों में सत्तारूढ़ सरकार के दखल के बीच स्पष्ट रेखा कुछ धुंधलाती जा रही है.’

उन्होंने आगे जोड़ा, ‘ये ऐसा समय भी हैं जब कई चरणों में होने वाले चुनाव और सोशल मीडिया की भूमिका ने आयोग के लिए चुनाव से पहले प्रचार रोकना और मॉडल कोड जैसे नियमों को लागू कराना मुश्किल बना दिया है, जिसे लेकर अक्सर गंभीर चिंताएं जताई जाती हैं और तत्काल सुधारों की आवश्यकता महसूस होती है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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