scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होममत-विमतदेश में लाउडस्पीकर को लेकर हो रही राजनीति क्या असल मुद्दों से भटकाने की कोशिश है

देश में लाउडस्पीकर को लेकर हो रही राजनीति क्या असल मुद्दों से भटकाने की कोशिश है

भाजपा के लिए आने वाले चुनाव बहुत महत्वपूर्ण और इनमें खासकर गुजरात, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे बड़े राज्य शामिल हैं जो भाजपा के गढ़ हैं या कभी रहे हैं, जिन्हे भाजपा कभी हल्के में नहीं लेगी.

Text Size:

भारत में चल रहे गर्मी के मौसम से जहां आम जनमानस का जीवन त्रस्त है तो वहीं राजनीति का तापमान भी इस वक्त काफी गरम है. देश की राजनीति में लाउडस्पीकर का मुद्दा बेहद चर्चा में है जिसने पूरे देश की राजनीति का तापमान बढ़ाया हुआ है.

देशभर में लाउडस्पीकर के ऊपर चल रही राजनीति की गूंज आपको महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार से लेकर कर्नाटक तक में सुनाई देगी. वैसे भी लाउडस्पीकर का काम आवाज को दूर तक पहुंचाना होता है और महाराष्ट्र से शुरू हुआ ये विवाद भी दूर तक पहुंच चुका है.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने गुड़ी पड़वा पर दिए अपने भाषण में ‘मराठी मानुष’ से सीधा ‘हिंदू हृदय सम्राट’ बनते हुए महाराष्ट्र सरकार को मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का अल्टीमेटम दे डाला और न हटाने पर उनके सामने हनुमान चालीसा का पाठ करने का नया राजनीतिक पैंतरा चल दिया. उनके इस राजनीतिक दांव ने उन्हें और लाउडस्पीकर दोनों को पूरे देश में चर्चाओं के केंद्र में ला दिया.

रामनवमी और हनुमान जयंती की शोभायात्रा के दौरान हुई हिंसा की घटनाओं ने देश भर में लाउडस्पीकर की राजनीति को और ज्यादा लाउड कर दिया. भाजपा नेता जहां इस मुद्दे को हाथों हाथ ले रहे हैं तो वहीं विपक्षी नेता इसे देश की गंगा जमुनी तहज़ीब पर हमला बता रहे है. जहां भाजपा की सरकार है वहां भी और जहां भाजपा की सरकार नहीं है वहां भी इस पूरे विवाद से नए राजनीतिक समीकरण बनते और बिगड़ते नज़र आ रहे हैं.


यह भी पढ़ें: सोनिया-राहुल के बीच असहमति का संकेत! हरियाणा अध्यक्ष पर सुरजेवाला की नाराजगी कांग्रेस के लिए नई चुनौती


‘धर्म संकट’ में उद्धव सरकार

‘हिंदुत्व की नई प्रयोगशाला’ बने उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने सबसे आगे निकलते हुए अब तक 45,773 धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर को हटवा दिया है जबकि 58,861 स्थलों पर स्पीकर की आवाज़ को कम करवा दिया है. जिसकी राज ठाकरे ने तारीफ कर महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार को यूपी सरकार से प्रेरणा लेने की बात कही. और औरंगाबाद में जनसभा कर 3 मई तक लाउडस्पीकर हटाने के अल्टीमेटम को फिर से दोहरा कर महाराष्ट्र सरकार को चैलेंज कर दिया. जिससे महाराष्ट्र का माहौल और ज्यादा तनावपूर्ण हो गया है. पहले कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करने वाली और अब गठबंधन के सहारे चलने वाली उद्धव ठाकरे सरकार ‘धर्म संकट’ में फंस गई है.

वहीं दूसरी तरफ बिहार की राजनीति भी इस मुद्दे से गरमाई हुई है लेकिन वहां मामला थोड़ा उल्टा है. बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद जहां इस मुद्दे से उत्साही और लाउडस्पीकर हटाने को आतुर नज़र आये तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मुद्दे को फालतू करार दिया है और कहा कि धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतरवाने और इनके उपयोग पर रोक लगाने की बात फालतू है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में इन सब चीजों से हम लोग सहमत नहीं हैं और यहां लाउडस्पीकर पर रोकथाम जैसा कुछ होने वाला नहीं है. भाजपा से गठबंधन के बावजूद मुस्लिमों के बीच अपनी खास इमेज रखने वाले नीतीश कुमार भाजपा की लाउडस्पीकर के मुद्दे पर आक्रामक राजनीति से खुद को असहज महसूस कर रहे हैं इसलिए इफ्तार के बहाने विपक्ष के नेताओं से लगातार हो रहा उनका मेलजोल नए राजनीतिक समीकरणों को हवा दे रहा है.

राजस्थान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने पार्टी के सत्ता में आने पर लाउडस्पीकर हटाने की बात कही. वहीं राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि लाउडस्पीकर का मुद्दा कोई मुद्दा नहीं है. जनता को जाति और धर्म के आधार पर भड़काना बहुत आसान है, कोई नहीं जानता कि यह देश किस ओर जा रहा है. साथ में उन्होंने देश की मौजूदा स्थिति को खतरनाक बताया.


यह भी पढ़ें: दिल्ली के हर मतदान केंद्र पर पैनल बनाने के साल भर बाद BJP अपने 30 फीसदी सदस्यों से जुड़ने में असमर्थ


क्या असल मुद्दों से ध्यान भटकाना मकसद है?

लाउडस्पीकर पर सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में दिए अपने आदेश में किसी भी सार्वजनिक स्थल पर रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक शोर करने वाले उपकरणों पर पाबंदी लगाई हुई है. कुछ खास मौकों पर रात 12 बजे तक लाउडस्‍पीकर बजाने की इजाजत दी जा सकती है.

शीर्ष अदालत ने कहा था कि ऊंची आवाज यानी तेज शोरगुल सुनने के लिए मजबूर करना मौलिक अधिकार का हनन है, सार्वजनिक स्थल पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज क्षेत्र के लिए तय शोर के मानकों से ज्यादा नहीं होगी. आवाज की अधिकतम सीमा 75 डेसिबल तय की गयी है जिसका उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान है.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश हर प्रकार के ध्वनि प्रदूषण के लिए था लेकिन सवाल ये बनता है कि धर्म की राजनीति में लगे नेताओं को सिर्फ मस्जिद पर लगे लाउडस्पीकर ही क्यों नज़र आते है.

हिंदू धर्म के धार्मिक आयोजनों, जागरण, नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा माता की चौकी की स्थापना के लिए मां दुर्गा की प्रतिमा ले जाने के दौरान, गणेश प्रतिमा की स्थापना से लेकर विसर्जन तक में बजने वाले डीजे से भी तो ध्वनि प्रदूषण फैलता है. कांवड़ यात्रा के दौरान तो कांवड़िये अपनी गाड़ियों पर धड़ल्ले से डीजे बजाते हुए गुजरते हैं जिनपर यूपी की योगी सरकार हेलीकॉप्टर से फूल तक बरसाने का काम करती है.

इसलिए कई लोगों का मानना है कि यह केवल लाउडस्पीकर को लेकर राजनीति की जा रही है वो इसलिए कि जल्द ही महाराष्ट्र में बीएमसी का चुनाव होने वाला है और शिवसेना से खार खाई बैठी भाजपा को भी महाराष्ट्र में एक ऐसा सहयोगी चाहिए जो शिवसेना के वोटों में सेंध लगा सके. राज ठाकरे यदि शिवसेना के पांच प्रतिशत वोट भी तोड़ देते हैं तो भाजपा के लिए महाराष्ट्र जीतना बहुत आसान हो जायेगा.

भारतीय राजनीति में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से राजनीति के मापदंड पूरी तरह बदल चुके हैं. अब एक चुनाव खत्म होते ही दूसरे चुनावों की तैयारी शुरू हो जाती है इसलिए दो महीने पहले हुए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के चुनाव में मिली सफलता से उत्साही भाजपा ने आने वाले चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है.

भाजपा के लिए आने वाले चुनाव बहुत महत्वपूर्ण और इनमें खासकर गुजरात, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे बड़े राज्य शामिल हैं जो भाजपा के गढ़ हैं या कभी रहे हैं, जिन्हे भाजपा कभी हल्के में नहीं लेगी.

देश में इस वक्त बढ़ते पेट्रोल, गैस सिलेंडर के दाम, बेरोजगारी, महंगाई ऐसे मुद्दे हैं जिसपर विपक्ष लगातार भाजपा को घेरे हुए है. इनका कोई नुकसान आने वाले चुनावों में ना हो इसके लिए भी भाजपा पूरी तरह इनसे ध्यान भटकाने के लिए सचेत नज़र आ रही है. इसलिए कुछ समय के लिए ही सही इन सब रोजमर्रा के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा के पास लाउडस्पीकर और हनुमान चालीसा से बेहतर विकल्प और क्या हो सकता था.

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और बहुजन आंदोलन के जानकार हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)


यह भी पढ़ें: देश के गरीब बुजुर्ग को मोदी सरकार का तोहफा- अब घर तक पहुंचेगी पूर्वोत्तर में बनी बांस की छड़ी


 

share & View comments