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Thursday, 10 October, 2024
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सोनिया-राहुल के बीच असहमति का संकेत! हरियाणा अध्यक्ष पर सुरजेवाला की नाराजगी कांग्रेस के लिए नई चुनौती

कांग्रेस महासचिव का कहना है कि कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस की हरियाणा इकाई के सर्वश्रेष्ठ अध्यक्ष होते. उनका ये बयान सोनिया के उदय भान को राज्य इकाई के प्रमुख चुनने के कुछ दिनों बाद आया है. सवाल उठाया जा रहा है कि क्या उनके विचारों को राहुल का समर्थन मिला है.

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नई दिल्ली: राहुल गांधी के विश्वासपात्र माने जाने वाले कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की हरियाणा इकाई के प्रमुख की पसंद को लेकर सार्वजनिक रूप से अपनी असहमति व्यक्त की है. उनका बयान जहां विपक्षी दल के लिए एक शर्मिंदगी के रूप में सामने आया है, वहीं राज्य में नेताओं के बीच आंतरिक कलह का संकेत भी देता है.

कांग्रेस के कई पदाधिकारी हैरान हैं कि क्या सोनिया गांधी के फैसले की आलोचना करने वाले सुरजेवाला को इस मामले में राहुल गांधी का समर्थन था. लेकिन कोई भी ऑन रिकार्ड इस मसले पर बोलने के लिए तैयार नहीं है.

रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में  सुरजेवाला ने कहा कि आदमपुर के विधायक कुलदीप बिश्नोई एक बहुत ही काबिल और प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं. कांग्रेस को उनके जैसे नेताओं की जरूरत है.

उन्होंने कहा, ‘कुलदीप बिश्नोई सर्वश्रेष्ठ राज्य इकाई के अध्यक्ष होते, लेकिन यह पार्टी का फैसला है कि कौन प्रदेश इकाई का प्रमुख बनेगा.’ वह आगे कहते हैं कि उन्हें विश्वास है कि पार्टी आलाकमान बिश्नोई के साथ बातचीत करेगा.

कुलदीप बिश्नोई पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे हैं. उन्होंने 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ मतभेदों के बाद अपने पिता की नई पार्टी, हरियाणा जनहित कांग्रेस में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी. 2016 में राहुल गांधी उन्हें कांग्रेस में वापस लेकर आए थे.

पिछले बुधवार को सोनिया ने हरियाणा इकाई का पुनर्गठन किया और पूर्व कांग्रेस प्रमुख कुमारी शैलजा की जगह दलित नेता और पूर्व विधायक उदय भान को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मदारी दी थी. उदय भान को पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा का करीबी माना जाता है. इसे पूरे हरियाणा में जनाधार वाले एकमात्र कांग्रेस नेता हुड्डा को राज्य का पूर्ण प्रभार देने के उनके प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. प्रदेश में 2024 में चुनाव होने वाले हैं.

उदय भान की नियुक्ति बिश्नोई के लिए एक निराशा के रूप में सामने आई है क्योंकि हुडा के साथ बिश्नोई के संबंध मधुर नहीं रहे हैं. उधर एक अन्य आकांक्षी सुरजेवाला ने हुड्डा को निशाना बनाने के लिए बिश्नोई के साथ हाथ मिला लिया.

जनवरी 2019 में जींद विधानसभा उपचुनाव हारने के बाद सुरजेवाला के पद के दावे को झटका लगा और फिर नौ महीने बाद वह विधानसभा चुनावों में अपना गृह क्षेत्र कैथल हार गए. लेकिन उनकी लगातार चुनावी हार ने राहुल गांधी के साथ उनके समीकरणों को कभी प्रभावित नहीं किया. पहले की तरह पार्टी के संगठनात्मक मामलों में उनकी पूछ होती रही.

हरियाणा कांग्रेस पिछले आठ सालों से नेताओं के बीच आपसी कलह को देखती आ रही है. इसके चलते ही पार्टी को 2014 से लगातार चुनावी हार का सामना करना पड़ा है. 2014 की शुरुआत में राहुल गांधी ने पूर्व युवा कांग्रेस नेता अशोक तंवर को हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. तंवर का अपने साढ़े पांच साल के कार्यकाल में हुड्डा के साथ विवाद बना रहा था. उन्होंने कथित तौर पर पूर्व सीएम को कमजोर करने की कोशिश की थी. तंवर बाद में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए और अब आम आदमी पार्टी के नेता हैं.

तंवर की उत्तराधिकारी शैलजा भी उनके नक्शेकदम पर चलीं क्योंकि उन्होंने हुड्डा को संगठनात्मक मामलों से बाहर रखने की मांग की थी. लेकिन पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में ये बदलाव हुड्डा के पक्ष में क्या गया. वह  जिस तरह से वह तंवर के नेतृत्व वाली और तत्कालीन शैलजा के नेतृत्व वाली राज्य इकाइयों के समर्थन के बिना प्रभावशाली सभाओं के साथ सरकार विरोधी रैलियां और कार्यक्रम आयोजित करते रहे, उसे देखकर तो ऐसा ही लगता है.


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मैं भी गुस्से में हूं : बिश्नोई

भान की नियुक्ति के कुछ समय बाद बिश्नोई ने ट्विटर पर कहा कि लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर समर्थन व्यक्त करते हुए संदेश भेजे हैं. उन्होंने लिखा ‘आपकी तरह गुस्सा मुझे भी बहुत आया है.’ उन्होंने अपने अनुयायियों से अनुरोध किया कि जब तक वह राहुल गांधी से बात नहीं कर लेते, तब तक वे कोई कदम न उठाएं.

तब से  बिश्नोई अपने ट्विटर टाइमलाइन पर क्रिप्टिक मैसेज् को पोस्ट और रीट्वीट करते रहे हैं. उनमें से एक में लिखा है: ‘मैं थोड़ा डूबूंगा, मगर मैं फिर से तैर आऊंगा. ऐ जिंदगी, बस तुम देखो, मैं फिर जीत जाऊंगा.’

वह पार्टी कार्यकर्ताओं के ट्वीट को भी रीट्वीट करते रहे हैं. उन्होंने एक में कहा है: ‘अगर दुश्मन को युद्ध घोष पसंद है, तो हमें एक चुनौती पसंद है.’

दिप्रिंट ने फोन पर उनसे संपर्क किया तो बिश्नोई ने कहा कि वह इस मामले पर और चर्चा नहीं करना चाहते.

हमारे बीच कोई दरार नहीं : भान

कांग्रेस की हरियाणा इकाई के नए प्रमुख उदय भान ने उनके और बिश्नोई के बीच अनबन की सभी अफवाहों को खारिज कर दिया. उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि बिश्नोई राज्य के एक वरिष्ठ नेता हैं. अगर उन्हें कोई शिकायत है, तो उन्हें राहुल गांधी से बात करनी चाहिए क्योंकि यह उनका अधिकार है.

वह कहते हैं ‘उन्होंने मेरे खिलाफ न तो कुछ कहा और न ही मेरे बारे में ट्वीट किया. उन्होंने कहा है कि वह राहुल गांधी से बात करेंगे. सभी को इसका इंतजार करना चाहिए. हमारे बीच कोई दुश्मनी नहीं है. मैं उनके परिवार से लंबे समय से जुड़ा रहा हूं.’

कांग्रेस की हरियाणा इकाई अंदरूनी कलह का गवाह रही है. जुलाई 2021 में  हरियाणा कांग्रेस के 31 में से 22 विधायक दल बदलने और हुड्डा के लिए एक बड़ी भूमिका की मांग करने के लिए दिल्ली पहुंचे थे. उस समय शैलजा राज्य इकाई की प्रमुख थीं. विधायकों के अनुसार, संगठन चरमरा गया था और राज्य में पार्टी के पास एकमात्र जन नेता हुड्डा ही थे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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