मुंबई, 13 फरवरी (भाषा) देश का गैर-वित्तीय क्षेत्र का कर्ज चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर 11.9 प्रतिशत बढ़कर 371 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 170.2 प्रतिशत पर पहुंच गया। सर्वाधिक वृद्धि सरकार के सामान्य कर्ज में हुई है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि इस दौरान परिवारों पर कर्ज के बोझ में मामूली कमी आई है।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में कर्ज इससे अधिक यानी जीडीपी का 180.2 प्रतिशत था। बीते वित्त वर्ष में मौजूदा कीमत पर जीडीपी में तीन फीसदी की गिरावट आई थी। कर्ज का यह आंकड़ा सर्वाधिक था। इससे पहले वित्त वर्ष 2019-20 में यह 155 प्रतिशत था।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 की जून तिमाही में ऋण से जीडीपी अनुपात घटकर 170.2 प्रतिशत रह गया। वहीं मौजूदा मूल्य पर जीडीपी का सामान्यीकरण हुआ और इसकी वृद्धि 14.7 प्रतिशत रही।
सितंबर तिमाही में सामान्य सरकारी कर्ज (केंद्र और राज्यों का मिलाकर) 16.1 प्रतिशत की दर से बढ़ा जबकि गैर-सरकारी, गैर-वित्तीय कर्ज 7.7 प्रतिशत की धीमी गति से बढ़ा।
सितंबर, 2021 में गैर-वित्तीय क्षेत्र का कुल कर्ज 371 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो मार्च, 2021 में 356 लाख करोड़ रुपये और जून, 2021 में 361 लाख करोड़ रुपये था।
बीती कुछ तिमाहियों में कर्ज में अधिक वृद्धि के पीछे मुख्य कारण सरकारी कर्ज है। सामान्य सरकारी कर्ज सितंबर, 2021 में 16.1 फीसदी की दर से बढ़ता रहा।
दूसरी ओर, गैर-सरकारी और गैर-वित्तीय कर्ज चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 7.7 प्रतिशत या जीडीपी के 83.5 प्रतिशत बढ़ा। यह बीते वित्त वर्ष की समान तिमाही के 90.9 प्रतिशत के उच्चस्तर से काफी कम है। यह इसका नौ तिमाहियों का सबसे ऊंचा स्तर था।
इस दौरान परिवारों के कर्ज की वृद्धि की रफ्तार भी कम होकर पांच तिमाही के निचले स्तर 9.1 प्रतिशत पर आ गई।
परिवारों पर कर्ज चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर जीडीपी के 34.9 प्रतिशत पर आ गया, जो पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 38.1 फीसदी के उच्चस्तर पर पहुंच गया था।
गैर-वित्तीय कॉरपोरेट कर्ज भी जीडीपी का 48.6 प्रतिशत रहा, जो बीते वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 52.8 प्रतिशत के उच्चस्तर पर पहुंच गया था।
भाषा मानसी अजय
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