(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, चार फरवरी (भाषा) पाकिस्तानी सेना ने शुक्रवार को कहा कि भारत के साथ 2021 में हुए संघर्ष विराम समझौते को एक की ताकत या दूसरे की कमजोरी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और उसने भारतीय थल सेना प्रमुख के इस दावे को ‘भ्रामक’ बताया कि संघर्ष विराम इसलिए जारी है कि भारत ने बेहद मजबूत स्थिति के साथ बातचीत की।
भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने सीमा पर तनाव घटाने के मकसद से बीते साल 25 फरवरी को घोषणा की थी कि वे 2003 के संघर्ष विराम समझौते पर प्रतिबद्धता जताते हुए नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर गोलीबारी बंद कर देंगी।
पाक सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार की यह टिप्पणी भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे के नयी दिल्ली में एक संगोष्ठी में दिए उस बयान के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम को लेकर कहा था कि यह जारी है ‘‘क्योंकि हमने (भारत ने) मजबूत स्थिति के साथ बातचीत की है।’’
इफ्तिखार ने ट्विटर पर लिखा, ‘भारतीय थल सेना प्रमुख का यह दावा ‘भ्रामक’ है कि एलओसी पर संघर्ष विराम इसलिए जारी है, क्योंकि उन्होंने बेहद मजबूत स्थिति के साथ बातचीत की। एलओसी के दोनों ओर रहने वाले कश्मीरियों की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान की चिंताओं के कारण ही संघर्ष विराम पर सहमति बनी थी। किसी भी पक्ष को इसे अपनी ताकत और दूसरे की कमजोरी के रूप में नहीं देखना चाहिए।’
इस बीच, पाकिस्तान की सीनेट ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए वादे के अनुसार आत्मनिर्णय का अधिकार हासिल करने के प्रयासों में कश्मीर के लोगों को देश का पूर्ण समर्थन देने का भरोसा दिलाया गया है।
संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अली मुहम्मद खान द्वारा पेश इस प्रस्ताव में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित हनन का संज्ञान लेने और इसके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है।
भारत ने पाकिस्तान से बार-बार कहा है कि ‘जम्मू-कश्मीर हमेशा से ही देश (भारत) का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा।’ भारत ने पाकिस्तान को हकीकत को स्वीकार करने और भारत विरोधी दुष्प्रचार बंद करने की सलाह भी दी है।
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पारुल सुभाष
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