नयी दिल्ली, तीन फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) द्वारा अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं किये जाने पर बृहस्पतिवार को नाखुशी प्रकट की और कहा कि यदि वह संसाधनों का प्रबंधन नहीं कर सकती है उसे ‘दुकान बंद’ कर देनी चाहिए।
उच्च न्यायालय ने कहा कि वह उनके लिए ईडीएमसी को व्यवस्थित नहीं कर सकता है और यदि वह एक निजी कंपनी होती, तो वह उससे अपना बोरिया बिस्तर समेटने के लिए कहता।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ निगम के अध्यापकों, अस्पताल कर्मियों, सफाईकर्मियों एवं अभियंताओं को तनख्वाह और पेंशन का भुगतान नहीं किये जाने संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
जब पीठ ने एक वकील के अनुपलब्ध रहने के कारण सुनवाई 28 फरवरी तक टाली तब ईडीएमसी के वकील ने अदालत से छोटी तारीख देने की अपील की। उन्होंने अदालत से कहा कि निगम के कुछ डॉक्टर वेतन के गैर-भुगतान को लेकर हड़ताल पर हैं।
निगम के वकील ने कहा कि ईडीएमसी ने अपने संसाधनों को बढ़ाने का प्रयास कर रही है तथा डॉक्टरों एवं सफाईकमियों को वेतन भुगतान उसकी शीर्ष प्राथमिकता है लेकिन वे सही उदाहरण पेश नहीं कर रहे हैं।
अदालत ने कहा, ‘ किस आधार पर हम उन्हें काम पर लौटने के लिए कह सकते हैं? वे अपने आप को (कोविड-19 के सामने) रख रहे हैं। आपको चीजें व्यवस्थित करने की जरूरत है। ’’
पीठ ने कहा , ‘‘ हम आपका घर व्यवस्थित नहीं कर सकते। दो महीने का वेतन बकाया चौंकाने वाली बात है…यदि यह निजी कंपनी होती हो हमने आपसे से बोरिया बिस्तर समेटने के लिए कह दिया होता। यदि आप संसाधनों का प्रबंधन नहीं कर सकते तो दुकान बंद कर दीजिए। उन्हें अपने परिवार की देखभाल करना है।’’
अदालत ने जब आयुक्त और उपायुक्त को वेतन भुगतान के बारे में पूछा तो वकील ने कहा कि सफाई कर्मचारियों के अलावा सभी कर्मचारियां को अक्टूबर तक का वेतन दिया जा चुका है।
भाषा
राजकुमार अनूप
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