रामेश्वरम (तमिलनाडु), 20 जनवरी (भाषा) श्रीलंकाई नौसेना के कर्मियों ने अपने देश की जल सीमा के पास मछली पकड़ रहे भारतीय मछुआरों के एक समूह पर कथित तौर पर हमला किया। मत्स्यपालन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि कच्चातिवु में श्रीलंकाई नौसेना के जहाज से हुई टक्कर में भारतीय मछुआरों की एक नौका डूब गई। वहीं, नौका पर सवार कम से कम सात मछुआरे समुद्र में गिर गए।
भारतीय मछुआरों पर ताजा हमले के मद्देनजर समुदाय ने यहां सचिवालय में मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन से मुलाकात की और उनसे केंद्र से राजनयिक स्तर पर इस मुद्दे को उठाने तथा इस तरह की घटनाओं को शीघ्र खत्म करना सुनिश्चित करने का अनुरोध किया।
ऑल मेकेनाइज्ड बोट फिशरमेन एसोसिएशन के अध्यक्ष पी. सेसुराजा ने दावा किया, ‘‘मुख्यमंत्री, जिन्होंने धैर्य पूर्वक उन्हें सुना, उन्होंने विषय को केंद्र के समक्ष उठाने का आश्वासन दिया।’’
उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से श्रीलंकाई जेलों में कैद रामेश्वरम, मंडपम और जगन्नाथपट्टिनम के 68 मछुआरों में से 56 की रिहाई और उनकी नौकाएं छुड़ाने का भी आग्रह किया। सेसुराजा ने बताया कि इन 68 मछुआरों में से 12 को श्रीलंका ने रिहा कर दिया है।
इससे पहले, अधिकारी ने बताया कि श्रीलंकाई नौसैनिकों ने भारतीय मछुआरों के जाल काट दिए और उनका पीछा भी किया। अधिकारी ने आरोप लगाया कि श्रीलंकाई नौसैनिकों ने जहाज की टक्कर से समुद्र में गिरे मछुआरों को बचाने की कोशिश तक नहीं की।
मत्स्यपालन विभाग ने बताया कि मछुआरों का एक समूह बुधवार शाम रामेश्वरम से 569 नौकाओं पर सवार होकर मछली पकड़ने के लिए निकला था। हालांकि, श्रीलंकाई नौसेना द्वारा खदेड़े जाने के बाद समूह बृहस्पतिवार तड़के रामेश्वरम लौट आया और मत्स्यपालन विभाग से घटना की शिकायत की।
रामनाथपुरम के सांसद के नवल कणि ने केंद्र से तमिलनाडु के मछुआरों पर हमले का मुद्दा श्रीलंका सरकार के समक्ष उठाने की मांग की। उन्होंने मछुआरों को हुए नुकसान की भरपाई करने को भी कहा।
भाषा सुभाष नरेश
नरेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.