नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में इंडिया गेट पर पिछले 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति का शुक्रवार को नेशनल वॉर मेमोरियल पर जल रही लौ में विलय किया जाएगा. सेना के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.
सेना के अधिकारियों ने बताया कि अमर जवान ज्योति का शुक्रवार दोपहर को नेशनल वॉर मेमोरियल पर जल रही लौ में विलय किया जाएगा जो कि इंडिया गेट के दूसरी तरफ केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है.
बता दें कि इसको लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सवाल उठाए थे उन्होंने सरकार से पूछा था कि आखिर क्यों अमर जवान ज्योति को बुझाया जा रहा है. हालांकि, इस पर सरकारी सूत्रों का कहना था कि अमर जवान ज्योति को लेकर तमाम तरह की गलत धारणाएं फैलाई जा रही हैं दरअसल इसे बुझाया नहीं जा रहा बल्कि इसे नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ के साथ मिलाया जा रहा है.
बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा।
कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…
हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएँगे!— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 21, 2022
उन्होंने कहा कि यह अजीब बात है कि अमर जवान ज्योति 1971 और अन्य युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि देती है लेकिन उनमें किसी का नाम वहां अंकित नहीं है जबकि नेशनल वॉर मेमोरियल में सभी युद्धों के शहीदों का नाम दर्ज है. यही हमारे उन हीरोज़ को वास्तविक श्रद्धांजलि होगी.
The flame of Amar Jawan Jyoti is not being extinguished. It is being merged with flame at National War Memorial. It was an odd thing to see that the flame at Amar Jawan Jyoti payed homage to martyrs of 1971 & other wars but none of their names are present there: GoI Sources
— ANI (@ANI) January 21, 2022
सरकार ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि सात दशकों तक सत्ता में रहने के बावजूद भी उन्होंने कभी इस बारे में नहीं सोचा जबकि नरेंद्र मोदी की सरकार ने पहले ही कार्यकाल में जनवरी 2019 में नेशनल वॉर मेमोरियल का निर्माण करवाया. फरवरी 2019 में इसका उद्घाटन किया गया था,जहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं..
अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी जोकि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे. इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था.
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