नई दिल्ली: कोरोना की तीसरी लहर का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों पर पड़ेगा, वैज्ञानिकों द्वारा जताई जा रही इस आशंका के बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के विशेषज्ञों ने देशभर में चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोलने की सिफारिश की है.
आईसीएमआर ने कहा है कोविड-19 से बचाव के कई स्तर वाले उपायों को अपनाते हुए स्कूलों में प्राथमिक क्लासेज से शुरू करते हुए उन्हें चरणबद्ध तरीके से फिर से खोला जाना चाहिए.
‘द इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ में प्रकाशित एक आलेख में विशेषज्ञों ने यूनेस्को की एक रिपोर्ट का हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि भारत में 500 दिन से ज्यादा समय से स्कूल बंद रहने से 32 करोड़ से अधिक छात्र प्रभावित हुए हैं.
इस आलेख में स्कूलों को खोलने के मुद्दे पर भारत और विदेश से प्राप्त वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर विशेषज्ञों ने कहा है कि स्कूलों में संक्रमण की जांच करने से वायरस को फैलने से रोका जा सकता है.
तनु आनंद, बलराम भार्गव और समीरन पांडा के अनुसार साक्ष्य इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कोविड पूर्व काल की तरह ही शिक्षा प्रणाली के कामकाज को जल्द से जल्द बहाल करना वर्तमान भारतीय परिप्रेक्ष्य में बुद्धिमत्तापूर्ण प्रतीत होते हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार स्कूली अध्यापक, कर्मचारी और बच्चों को लाने-ले जाने में शामिल लोगों का टीकाकरण होना चाहिए और उन्हें टीके की खुराक मिल जाने के बाद भी मास्क का उपयोग करना चाहिए.
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कई राज्यों में खोल दिए गए हैं स्कूल
गौरतलब है कि कई राज्यों ने अलग अलग दिशानिर्देशों के साथ स्कूलों को खोल दिया है जिसमें यूपी, दिल्ली, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, बिहार और राजस्थान जैसे राज्य शामिल हैं जहां प्रोटोकॉल के साथ स्कूल खुले हैं.
दिल्ली में जहां 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खोले गए हैं वहीं मध्यप्रदेश और कर्नाटक में छठी से 12वीं तक के स्कूल एक सितंबर से खोल दिए गए हैं. जबकि उत्तर प्रदेश में एक से पांचवीं तक के बच्चों के स्कूल खोल दिए गए हैं. जबकि मध्य प्रदेश में छठी से आठवीं तक की क्लासेज शुरू कर दी गई हैं. फिलहाल यहां छात्रों को 50 फीसदी स्टाफ के साथ बुलया जा रहा है. अब तक हफ्ते में सिर्फ 2 दिन क्लास लग रही थी लेकिन एक सितंबर से हफ्ते के सातों दिन स्कूल खोला जा रहा है.
आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोविड सतर्कता के साथ प्राथमिक स्कूलों को सबसे पहले खोला जाना चाहिए. जबकि माध्यमिक स्कूलों को कुछ समय बाद शुरू किया जा सकता है.
आईसीएमआर के मुख्य संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. समीरन पांडा और डॉ. तनु आनंद ने शोध के बाद कहा है कि ‘कोविड-19 के दौरान लंबे समय तक स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों के विकास पर असर पड़ा है. इसलिए स्कूलों को खोलने की जरूरत है. शुरुआत प्राथमिक विद्यालयों से की जा सकती है. ‘
शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि बीते अगस्त महीने में शहरी क्षेत्रों में केवल 24 फीसदी बच्चे ही रेगुलर क्लास ली .स्कूल बंद होने की वजह से अधिकतर बच्चों ने ऑनलाइन क्लासेज ही लीं. जबकि गांवों और झुग्गी वाले इलाकों में शिक्षा का स्तर बहुत ही खराब रहा. इन क्षेत्रों में करीब आठ फीसदी बच्चे ही क्लास कर पाए..
15 राज्यों में किए गए इस सर्वेक्षण में करीब 1362 बच्चों से बातचीत भी की गई है. वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्हें उस समय हैरानी हुई जब उन्होंने पाया कि सर्वे में शामिल 50 फीसदी से अधिक बच्चे फॉर्म में दिए गए कुछ शब्द तो पढ़ भी नहीं पाए.
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