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Friday, 26 April, 2024
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स्कूल बस में, क्लास में, बाहर रहने पर! कब पहनना चाहिए बच्चों को मास्क? जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

कोविड संक्रमणों की संख्या के कम होते हीं स्कूलों को फिर से खोलने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, पर इसके साथ-साथ बच्चों को मास्क पहनाने के बारे में भी बहस बढ़ रही है – खासकर इसे लेकर कि क्या उन्हें मास्क पहनना चाहिए और कितने छोटे बच्चों को मास्क पहनाया जा सकता है.

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नई दिल्ली: किसी भी युवा बालक की देखरेख करने वाला हर व्यक्ति यह जानता है कि बच्चों से मास्क के नियमों का पालन करवाना कितना मुश्किल होता है. जैसे-जैसे स्कूल फिर से छात्रों के लिए अपने दरवाजे खोलने की दिशा में काम कर रहे हैं, वैसे-वैसे कई सवाल– जैसे कि किसी भी बच्चे को कितनी देर तक मास्क लगाना है? और किस बिंदु पर उन्हें इसे हटाने की अनुमति दी जा सकती है?– वाद-विवाद का कारण बन गए हैं.

इस मुद्दे पर जारी किए गये दिशा-निर्देश पूरी दुनिया में अलग-अलग हैं और साथ ही सरकार द्वारा दी जा रही सलाहों के बारे में बाल रोग विशेषज्ञों की राय भी.

हमारे देश में सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुदेशों का पालन कर रही है, जो पांच साल या उससे कम उम्र के बच्चों को मास्क लगाने की सलाह नहीं देता है. लेकिन डॉक्टरों का दावा है कि तीन साल से कम उम्र के बच्चे भी मास्क के प्रति ठीक-ठाक रूप से सामंजस्य बिठा लेते हैं और उनके संक्रमणग्रस्त होने और इसे दूसरों तक पहुंचाने (पास ऑन) के संभावित ख़तरों को देखते हुए उन्हें भी इनका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.

इस महीने की शुरुआत में, द अटलांटिक पत्रिका में एक उत्तेजनात्मक शीर्षक वाले लेख में, हेमेटोलॉजिस्ट (रुधिर रोग विशेषज्ञ) विनय प्रसाद, जो कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय सैन फ्रांसिस्को में महामारी विज्ञान (एपिडीमीआलजी) और बायोस्टैटिस्टिक्स के सहयोगी प्रोफेसर हैं, ने तर्क दिया है कि यह संभव है कि बच्चों को मास्क पहनाने से होने वाले नुकसान उन संभावित जोखिमों से कहीं अधिक हो जिनका वे चेहरे को ना ढंकने के कारण सामना कर सकते हैं.

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और हार्वर्ड में महामारी विज्ञान के सहायक प्रोफेसर.डॉ के.एस.रेड्डी कहते हैं, ‘यहां मुद्दा यह है कि बच्चों को मास्क पहनाने के पीछे उद्देश्य क्या है? किस वातावरण में और किस उम्र में?’

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वे कहते हैं, ‘बच्चों के घर पर या घर के बाहर भी कई तरह के हालात में बेनकाब रहने की संभावना है. वे बिना मास्क पहने भी बाकी लोगों से मिल सकते हैं और इसलिए उनमें संक्रमण की संभावना अभी भी बनी हुई है. यहां यह मुद्दा सामने आता है कि क्या उनकी वजह से दूसरों को होने वाले संक्रमण के जोखिम को पूरी तरह से ख़त्म करना संभव है?’

उन्होंने कहा कि छह साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों को मास्क लगाना सर्वथा ‘उचित’ है.

उन्होंने कहा, ‘उन्हें स्कूल जाते समय परिवहन के दौरान और कक्षाओं में मास्क लगाना चाहिए, लेकिन तब नहीं जब वे बाहर हों. कक्षाओं में जितना हो सके खुली हवा का प्रवाह (वेंटिलेशन) होना चाहिए. वयस्कों के टीकाकरण के प्रतिशत से भी अंतर पड़ता है. उदाहरण के लिए, जब 70 प्रतिशत वयस्कों को टीका लगाया जाता है तो यदि बच्चे दूसरों तक वायरस पास-ऑन करते हैं, तो भी गंभीर रूप से बीमारी होने के जोखिम बहुत कम होते हैं.’


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उन्होंने कहा कि जब समुदाय में मामले कम आ हो रहे हों, तो बच्चों की मास्क संबंधित आवश्यकताओं में भी अधिक ढील दी जा सकती है.

परंतु, डॉ. रेड्डी के विचार पांच साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों को मास्क पहनाए जाने के सम्बध में सरकार की सिफारिश से अलग हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, ‘5 वर्ष और उससे कम उम्र के बच्चों के लिए मास्क की सिफारिश नहीं की जाती है. 6 से 11 वर्ष की आयु के बच्चे अपने माता-पिता/अभिभावकों की प्रत्यक्ष देखरेख में और सुरक्षित एवम् उचित रूप से मास्क का उपयोग करने की अपनी क्षमता के आधार पर मास्क पहन सकते हैं. 12 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों को बाकी सभी वयस्कों की तरह ही मास्क पहनना चाहिए. उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि मास्क को संभालते समय हाथों को साबुन और पानी अथवा अल्कोहल आधारित हैंड रब (सॅनिटाइज़र) से साफ रखा जाए.‘

कुछ बाल रोग विशेषज्ञों को लगता है कि पांच साल के बच्चों के लिए मास्किंग प्रोटोकॉल शुरू करने में अब बहुत देर हो चुकी है, ख़ासकर बच्चों के अंदर उपस्थित हाई वायरल लोड और सार्स-कॉव-2 वायरस के डेल्टा संस्करण (वेरियेंट), जो इसके पहले वाले संस्करण की तुलना में अधिक संक्रामक होता है, को फैलाने में इसकी भूमिका को देखते हुए.

नेफ्रॉन क्लीनिक के चेयरमैन डॉ. संजीव बगई ने दिप्रिंट को बताया, ‘बच्चे भी दूसरों की तरह ही वायरल लोड को वहन करते हैं … बच्चे संक्रमण को उतना ही प्रसारित करते हैं जितना कि वयस्क और वर्तमान में देश में सभी बच्चे बिना कॉविड के टीके हैं. हालांकि बिना किसी अन्य गंभीर बीमारी (कोमोरबिदीटीएस) वाले बच्चों के मामले में उन्हें शरीर की जन्मजात प्रतिरक्षा प्रणाली से काफी अच्छी सुरक्षा मिलती है (हालांकि डेल्टा संस्करण इसे भी भेद सकता है) और इस तरह वे संक्रमण के भंडार हैं.’

उन्होंने हमारे देश में बच्चों के आकार में एन95 मास्क उपलब्ध कराने की तत्काल आवश्यकता की ओर इशारा करते हुए कहा कि ‘वे अपने माता-पिता और दादा-दादी तक इस वायरस को पहुंचा सकते हैं. हमने देखा है कि तीन साल से अधिक उम्र के बच्चे टीकों के प्रति अभ्यस्त हो जाते हैं, सिवाए इसके कि जब वे बाहर होते हैं या फिर उन बड़े बच्चों के मामले में जो पेशेवर रूप से खेल रहे होते हैं. मैं कहूंगा कि कक्षा के अंदर के वातावरण में तीन साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों को मास्क पहनाना महत्वपूर्ण है. इज़राइल जैसे देशों में, और अमेरिका के कुछ राज्यों में भी, जब शुरू में मास्क अनिवार्य नहीं किए गये थे तो उन्हें स्कूल बंद करने पड़े.’

बच्चों को मास्क पहनानें के बारे में अलग-अलग सलाह

बच्चों को मास्क पहनाने को लेकर कई अलग-अलग तरह के विचार हैं, हालांकि डब्ल्यूएचओ अपने इस रुख में काफी हद तक कायम रहा है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों को इससे छूट दी जानी चाहिए. पिछले महीने ही यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) ने बच्चों को मास्क पहनाने पर जोर देने के लिए डेल्टा वेरिएंट के प्रसार का हवाला दिया.

इसका कहना था कि ‘वर्तमान में फैल रहे और अत्यधिक संक्रामक डेल्टा संस्करण के कारण सीडीसी टीकाकरण की स्थिति की परवाह किए बिना सभी छात्रों (उम्र 2 और उससे अधिक), कर्मचारियों, शिक्षकों और के-12 स्कूलों में आने वाले आगंतुकों द्वारा यूनिवर्सल इनडोर मास्किंग (अंदर रहने वाले सभी लोगों के लिए मास्क पहनने की अनिवार्यता) की सिफारिश करता है.’

हालांकि डब्ल्यूएचओ, 6 से 11 वर्ष के आयु वर्ग में भी अनिवार्य तौर पर मास्क पहनाने पर जोर नहीं देता है. इसका कहना है कि इन बच्चों को मास्क पहनाना समुदाय में संक्रमण के स्तर, क्या बच्चा मास्क से संबंधित प्रोटोकॉल और स्वच्छता का पालन करने में सक्षम है? क्या उसे मास्क पहनते या उतारते समय पर्याप्त रूप से वयस्क लोगों की देख-रेख प्राप्त है? और यह भी कि इसका उसके सीखने और मनोसामाजिक व्यवहार पर क्या संभावित प्रभाव पड़ता है, जैसे कारकों पर आधारित होना चाहिए. इनमें से अंतिम तर्क वहीं बिंदु है जो डॉ विनय प्रसाद द्वारा दि अटलांटिक में लिखे गये लेख में प्राथमिक तर्क था.

यूके की स्वास्थ्य एजेंसी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड भी 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए ‘स्वास्थ्य और सुरक्षा कारणों से’ फेस कवरिंग (चेहरे को ढकने) की सिफारिश नहीं करती है. यह 11 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए अतिरिक्त ढील के साथ मास्किंग प्रोटोकॉल की भी सलाह देता है.

डेनमार्क का स्वास्थ्य प्राधिकार बच्चों को मास्क पहनने से मिलने वाली छूट के प्रति और भी अधिक उदार है. इसका द्वारा जारी की गई सलाह (एडवाइजरी) में लिखा गया है, ‘यदि आप 12 वर्ष से कम उम्र के किसी ऐसे बच्चे के अभिभावक हैं जो फेस मास्क नहीं पहन सकता है, तो आप इसके बजाय अपने बच्चे को अपने हाथ साफ रखने में मदद कर सकते हैं, और आप इस बात पर भी नज़र रख सकते हैं कि आपका बच्चा कॉविड-19 के लक्षण प्रदर्शित कर रहा है या नहीं.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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