नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन के साथ ऐतिहासिक सुरक्षा समझौते में शामिल होने के उसके फैसले का मकसद हिंद-प्रशांत को सुरक्षित बनाना और उन क्षमताओं का विकास करना है जो क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाले व्यवहार को रोकने में भारत और अन्य देशों के साथ मिलकर योगदान दे सकें.
हिंद-प्रशांत में चीन के प्रभाव को रोकने के प्रयास के तौर पर देखी जा रही इस साझेदारी के तहत अमेरिका और ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियां विकसित करने की प्रौद्योगिकी मुहैया कराने में मदद करेंगे.
भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ’फैरेल ने कहा कि परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियों के जरिए ऑस्ट्रेलिया की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करके देश सुरक्षित एवं समृद्ध हिंद-प्रशांत में अपना योगदान देगा.
उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच ‘ऑकस’ साझेदारी की घोषणा से पहले ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने भारत में अपने समक्षकों से बात करके उन्हें इस फैसले से अवगत कराया था.
ओ’फैरेल ने कहा, ‘यह निर्णय और अधिक चुनौतीपूर्ण सामरिक माहौल को प्रतिबिम्बित करता है, ऐसा माहौल जिसमें हमारे साथ भारत भी शामिल है, जहां अधिक शक्ति की प्रतिस्पर्धा तेज हो रही है, जहां दक्षिण चीन सागर, ताइवान और अन्य स्थानों में क्षेत्रीय तनाव और चुनौतीपूर्ण बन रहा है.’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सेना की तैनाती अभूतपूर्व दर से बढ़ रही है और इसके लिए निस्संदेह चीन जिम्मेदार है, जिसका सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम दुनिया में सबसे बड़ा है.
ओ’फैरेल ने कहा, ‘इसलिए परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियों के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना एक सुरक्षित और समृद्ध हिंद-प्रशांत में ऑस्ट्रेलिया के योगदान का हिस्सा होगा और यह क्षमता ऑस्ट्रेलिया की रणनीतिक क्षमता बढ़ाएगी और अपने क्षेत्र के भविष्य के मार्ग को और अधिक प्रभावी ढंग से आकार देने में हमारी मदद करेगी.’
उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने गहन और गंभीर चिंतन के बाद यह फैसला किया है. ओ’फैरेल ने कहा, ‘यह बदलती रणनीतिक परिस्थितियों के चलते किया गया फैसला है और यह क्षेत्र में हमारे द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और चतुष्पक्षीय संबंधों का भी हिस्सा है.’
उच्चायुक्त ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया एक समावेशी क्षेत्रीय व्यवस्था बनाए जाने की कोशिश कर रहा है, जहां सभी देशों के अधिकारों का सम्मान किया जाता है, भले ही वे बड़े देश हों या छोटे देश.
उन्होंने चीन का स्पष्ट जिक्र करते हुए कहा, ‘हम रणनीतिक आश्वासन देने के उन कदमों में योगदान देना चाहते हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी देश यह न समझे कि वह संघर्ष के जरिए अपनी रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ा सकता है.’
ओ’फैरेल ने कहा, ‘इसका मकसद किसी विशेष क्षेत्रीय ताकत को उकसाना नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हम में भारत एवं अन्य देशों के साथ मिलकर उस व्यवहार को रोकने में योगदान देने की क्षमता है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा के लिए वर्तमान और भविष्य में खतरा पैदा करता है.’
यह भी पढ़ें: अफगानिस्तान की हाल की घटनाओं से साफ, कट्टरपंथ से लड़ने के लिए SCO बनाए साझा खाका : मोदी