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Friday, 19 April, 2024
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अफगानिस्तान की हाल की घटनाओं से साफ, कट्टरपंथ से लड़ने के लिए SCO बनाए साझा खाका : मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा और विश्वास के लिए जरूरी है बल्कि युवाओं का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है.

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार के एससीओ शिखर सम्मेलन को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि, ‘मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित है. अफगानिस्तान में हाल की घटनाओं ने वर्तमान स्थिति को और भी स्पष्ट कर दिया है. एससीओ को इस संबंध में सक्रिय कदम उठाने की जरूरत है.

ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में चल रही शंघाई सहयोग संगठन की वार्षिक शिखर बैठक को पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया. अध्यक्षता ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने की.

पीएम मोदी ने कहा कि कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा और विश्वास के लिए जरूरी है बल्कि युवाओं का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि मध्य पूर्व में कट्टरपंथ और उग्रवाद से लड़ने के लिए एससीओ को एक साझा खाका विकसित करना चाहिए.

पीएम मोदी ने कहा कि इस वर्ष हम एससीओ की 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. नए मित्र हमारे साथ जुड़ रहे हैं और मैं ईरान का हमारे नए भागीदार के रूप में स्वागत करता हूं. मैं सऊदी अरब, कतर और मिस्र का भी नए संवाद भागीदारों के रूप में स्वागत करता हूं. एससीओ का विस्तार एससीओ के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है.

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प्रधानमंत्री ने कहा कि, यदि हम इतिहास पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र नरम और प्रगतिशील संस्कृति व मूल्यों को का गढ़ रहा है.

मोदी ने कहा कि एससीओ को इस्लाम से जुड़े उदारवादी, सहिष्णु तथा एवं समावेशी संस्थानों और परम्पराओं के बीच मजबूत सम्पर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि भारत मध्य एशिया के साथ अपना सम्पर्क बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. हमारा मानना है कि भारत के विशाल बाजार से जुड़ने से भूमिबद्ध मध्य एशियाई देशों को बहुत फायदा हो सकता है.

ईरान के चाबहार बंदरगाह में हमारा निवेश और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण गलियारे में हमारे प्रयास इसके पक्ष में हैं.

सूफीवाद जैसी परम्पराएं यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं.

भारत सहित एससीओ में हर देश में इस्लाम से संबंधित उदारवादी, सहिष्णु और समावेशी संगठन और परंपराएं हैं. एससीओ को इन संगठनों के बीच एक मजबूत नेटवर्क बनाने के लिए काम करना चाहिए.

पीएम ने कहा कि पिछले वर्षों में भारत ने अपनी विकास यात्रा में तकनीक का सफल सहारा लिया है. चाहे financial inclusion बढ़ाने के लिए UPI और Rupay Card हों, या COVID से लड़ाई में हमारे आरोग्य-सेतु और COWIN जैसे digital platforms, इन सभी को हमने स्वेच्छा से अन्य देशों के साथ भी साझा किया है.

उन्होंने कहा कि हम एससीओ की अध्यक्षता में भारत द्वारा प्रस्तावित गतिविधियों के कैलेंडर में सभी एससीओ देशों से सहयोग और समर्थन की उम्मीद करते हैं.

इनोवेटिव दृष्टिकोण और मानसिकता को बढ़ावा देने के लिए हमें अपने उद्यमियों और स्टार्ट-अप को जोड़ना होगा.
इसी सोच के साथ भारत ने पिछले साल पहले एससीओ स्टार्ट अप फोरम और एससीओ यंग साइंटिस्ट कॉन्क्लेव का आयोजन किया था.

मोदो ने कहा कि कनेक्टिविटी का कोई भी प्रयास वन-वे स्ट्रीट नहीं हो सकता. इसे सुनिश्चित करने के लिए, ऐसी परियोजनाओं को परामर्शी, पारदर्शी और सहभागी होने की आवश्यकता है.

 

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