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Thursday, 21 November, 2024
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इंजीनियर, बिल्डर और दादा भगवान के भक्त गुजरात के नए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का ‘कोई दुश्मन नहीं’ है

पहली बार विधायक बने पटेल को विजय रूपाणी की जगह लेने के लिए चुना गया है, जिन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब पटेल ने उनके साथ काम किया है, लेकिन कभी मंत्री नहीं रहे हैं.

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नई दिल्ली: गुजरात में बतौर मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की जगह पदभार संभालने वाले 59 वर्षीय भूपेंद्र पटेल एक इंजीनियर, बिल्डर और अक्रम विज्ञान आंदोलन—जैन धर्म के शुद्धिकरण अनुष्ठान की तरफ प्रचलित आंदोलन—के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु दादा भगवान के उत्साही भक्त हैं.

पटेल अक्सर अहमदाबाद में दादा भगवान मंदिर में होने वाले धार्मिक आयोजन में शामिल होने पहुंचते हैं और यहां तक कि जब भाजपा विधायक दल के नवनिर्वाचित नेता के रूप में राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मिलने जा रहे थे तो भी वह आशीर्वाद लेने के लिए दिवंगत गुरु के ‘त्रिमंदिर’ में रुके थे.

भाजपा नेताओं और उनके साथ काम करने वाले अन्य लोगों का कहना है कि उन्हें नए मुख्यमंत्री के तौर पर चुने जाने का एक कारण यह भी है कि अपने गुरु दादा भगवान की तरह वह स्वभाव से विनम्र हैं और बिना अहंकार सभी के साथ काम करने में सक्षम हैं.


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मोदी के साथ लंबा रिश्ता

भाजपा आलाकमान की तरफ से शनिवार को जब रूपाणी को इस्तीफा देने के लिए कहा गया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2,000 छात्राओं के आवास की एक परियोजना सरदार धाम के भूमि पूजन समारोह में हिस्सा ले रहे थे. इस परियोजना को पाटीदार ट्रस्ट की तरफ से विकसित किया गया है, जिसके ट्रस्टी भूपेंद्र पटेल हैं.

विधायक बनने से पहले पटेल एक पार्षद, स्कूल बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष और अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे चुके हैं. जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तभी पटेल उनकी गुड बुक में आ गए थे और उन्होंने एयूडीए की स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में भी पदभार संभाला. उन्होंने अहमदाबाद के विकास को लेकर मोदी के दृष्टिकोण पर अमल करते हुए पुल निर्माण, पुनर्विकास और शहर के सौंदर्यीकरण पर ध्यान दिया. भीड़भाड़ घटाने के उद्देश्य से लागू की गई अहमदाबाद रिंग रोड परियोजना उन प्रोजेक्ट में शुमार है जिन्हें एयूडीए ने पटेल की अध्यक्षता में मंजूरी दी थी. इसे मोदी की तरफ से काफी सराहना भी मिली थी.

पटेल ने आनंदीबेन पटेल के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उनके मार्गदर्शन में भी काम किया था, और जब उन्हें राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया तो उन्होंने अपनी (आनंदीबेन की) घाटलोडिया सीट से लड़ने के लिए उनके नाम की ही सिफारिश की थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में भूपेंद्र पटेल ने कांग्रेस के शक्तिकांत पटेल को एक लाख से अधिक मतों से हराया था.

नेता चुने जाने के बाद गुजराती में दिए अपने संबोधन में उन्होंने जहां प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद दिया, वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और इस समय उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से अपनी निकटता छिपाने की कोशिश नहीं की, जिनका उन्होंने कई बार आभार जताया.

अभी हाल में जब पूरी रूपाणी सरकार को कोविड-19 महामारी के दौरान स्वास्थ्य देखभाल के मामले में लापरवाही बरतने का जिम्मेदार ठहराया जा रहा था, पटेल ने अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर और बेड की व्यवस्था करके लोगों की मदद की थी.

‘ऐसा राजनेता जिसका कोई दुश्मन नहीं’

नए मुख्यमंत्री के साथ एयूडीए में काम कर चुके भाजपा नेता अशोक पटेल ने दिप्रिंट को बताया, ‘वह विनम्र स्वभाव वाले हैं और उनके साथ काम करना सहज होता है. (इसीलिए) इस प्रतिष्ठित पद तक पहुंचने में सभी ने उनकी मदद की. पूर्व में किए गए उनके काम ही उनके पक्ष में गए, क्योंकि पार्टी पाटीदार समुदाय से किसी को चुनना चाहती थी.

गुजरात में नए मुख्यमंत्री के एक करीबी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ‘99 फीसदी राजनेता पहले बिजनेसमैन हैं’ और भूपेंद्र पटेल खुद एक बिल्डर हैं. मुख्यमंत्री के इस मित्र का कहना है, ‘उनका परिवार निर्माण व्यवसाय संभालता है. लेकिन नितिन पटेल और अन्य बड़े पाटीदार नेताओं के विपरीत वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनका कोई दुश्मन नहीं है.’

एक अन्य मित्र और भाजपा नेता राजेश पटेल ने कहा, ‘वह राजनीति के छुपे रुस्तम हैं. मोदी की तरह उन्होंने कभी कोई मंत्री पद नहीं संभाला; और सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचे हैं.’

नाम न देने की शर्त पर मुख्यमंत्री के तीसरे दोस्त ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पटेल को कुछ खास उद्देश्य ध्यान में रखकर चुना है, लेकिन यह तो राजनीति का एक हिस्सा ही है. उक्त दोस्त ने बताया, ‘वह विश्व उमिया फाउंडेशन में एक ट्रस्टी हैं. उमिया उत्तरी गुजरात, जहां 2017 में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा था, में पटेल समुदाय की एक देवी हैं. यह एक ऑप्टिक्स हो सकता है लेकिन ऑप्टिक्स राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं. आपको विभिन्न जातियों को खुश करने की जरूरत पड़ती है जैसे भाजपा यूपी में कर रही है.’

लेउवा उप-जाति से संबंध रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के दिग्गज पटेल नेता केशुभाई पटेल के विपरीत भूपेंद्र पटेल उत्तर गुजरात में खासा वर्चस्व रखने वाले कडवा समुदाय से आते हैं.

गुजरात भाजपा के कुछ नेताओं का कहना है कि हो सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने पटेल को इसलिए चुना ताकि मनसुख मंडाविया जैसे अगली पीढ़ी के पाटीदार नेता उनकी प्रोफाइल में शामिल हो सकें और एक या दो साल में पदभार संभालने को तैयार हो जाएं. ये नेता यह भी मानते हैं कि तत्काल किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो दिल्ली के दिशा-निर्देशों के आधार पर काम कर सके और पाटीदार समुदाय के साथ नजदीकी बढ़ाने में मददगार हो.

हालांकि, भाजपा के एक नेता ने कुछ अलग ही तस्वीर पेश की, जिस पर कुछ अन्य ने भी सहमति जताई.

इस नेता ने थोड़ा आगाह करते हुए कहा, ‘आखिरकार, गुजरात ने प्रधानमंत्री के नाम और काम पर वोट किया है. प्रधानमंत्री और अमित शाह का अनुभव पटेल के लिए चीजों को आसान बना देगा. वे कोई ऐसा व्यक्ति चाहते थे जो सबके साथ मिलकर काम कर सके और पटेलों की नाराजगी को भी खत्म कर पाए. लेकिन उनकी अनुभवहीनता भाजपा को भारी पड़ सकती है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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