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Thursday, 21 November, 2024
होमहेल्थकोविड की दूसरी लहर के पहले भारत के पास टीकाकरण का मौका था, पर लाभ नहीं लिया गयाः मणिपाल हॉस्पिटल चीफ

कोविड की दूसरी लहर के पहले भारत के पास टीकाकरण का मौका था, पर लाभ नहीं लिया गयाः मणिपाल हॉस्पिटल चीफ

मणिपाल हॉस्पिटल के चीफ एच सुदर्शन बल्लाल ने कहा, 'अगली लहर का असर उन लोगों पर पड़ेगा जो लोग पहली और दूसरी लहर में बच गए थे. अब देश को बच्चों और किशोरों के लिए टीके लगाने की प्रक्रिया में तेजी लाने की ज़रूरत है.'

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नई दिल्ली: देश की दूसरे सबसे बड़े हॉस्पिटल चेन मणिपाल हॉस्पिटल्स के प्रमुख के अनुसार, ‘भारत के पास अपने टीकाकरण अभियान में तेजी लाने का अच्छा अवसर था, लेकिन वह इसका लाभ लेने में असमर्थ रहा.’

मणिपाल अस्पतालों के मालिकाना समूह मणिपाल हेल्थ एंटरप्राइजेज के अध्यक्ष डॉ एच सुदर्शन बल्लाल ने कहा, ‘अगर भारत ने कोविड के हिसाब से उचित व्यवहार का पालन किया होता और अधिक लोगों को टीका लगाया होता, तो ‘दूसरी लहर का असर कम हद तक होता’.

इस साल की शुरुआत में, भारत में कोविड के रोज़ाना के मामलों की संख्या घटकर 10,000 से नीचे आ गई. सितंबर के बाद से लगातार गिरावट के बाद 15 फरवरी को यह संख्या 9,121 दर्ज की गई. हालांकि, यह संख्या अप्रैल और मई में रिकॉर्ड उच्च स्तर तक पहुंच गई. इन महीनों में रोज़ाना कोरोना के मामले 4 लाख तक पहुंच गए.

दिप्रिंट को दिए एक साक्षात्कार में, बल्लाल ने कहा कि ‘यह एक अपवाद है कि दुनिया को सिर्फ 10 महीने में कोविड-19 की वैक्सीन मिल गई, लेकिन दुर्भाग्य से, हम इसका लाभ उठाने में असमर्थ रहे.’

नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी के निदेशक के रूप में भी कार्य करने वाले नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ बल्लाल ने कहा, ‘जब कोविड-19 के मामले कम थे, तब हमें वैक्सीन अभियान में तेज़ी लानी चाहिए थी, लेकिन हम एक एक बड़ी जनसंख्या का वैक्सिनेशन करने की स्थिति में नहीं थे.

उन्होंने कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि कोविड-19 के मामलों में गिरावट हो रही थी, इसलिए यह सोचना, कि हम कोविड-19 के खिलाफ जीत गए थे, गलत था. ‘हमे यह हमेशा याद रखना चाहिए कि खतरा बना हुआ है, भले ही कोविड-19 की संख्या में कमी आ रही हो. इसके प्रति सावधानी को कम कर देना हमारी पहली गलती थी.’

‘तीसरी लहर आने से पहले बच्चों के हेल्थकेयर सुविधा के बुनियादी ढांचे का निर्माण करें’

दिप्रिंट से बात करते हुए बल्लाल ने कहा कि भारत को तीसरी लहर के पहले बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि काफी बच्चों को अभी भी टीका लगना बाकी है.

उन्होंने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आयोजित साक्षात्कार में कहा, ‘भारत को तीसरी लहर के आगमन से पहले बच्चों के लिए विशेष आइसीयू और आपातकालीन कक्षों सहित बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल के बुनियादी ढांचे को तैयार करने की जरूरत है.’

बल्लाल ने कहा, ‘मैं मुश्किल से सोच पाता हूं कि कहीं पर बच्चों के लिए आपातकालीन कमरे या आईसीयू और हाई-डिपेंडेंसी यूनिट (एचयूडी) मौजूद है. बल्लाल ने कहा, ‘छोटे शहरों और सुदूर इलाकों की बात छोड़ दीजिए, बड़े शहरों और बड़े अस्पतालों में भी इस तरह की सुविधाएं नहीं उपलब्ध हैं.’

उन्होंने कहा, ‘कोविड वापस आता रहेगा.’ केंद्र सरकार को दूसरी लहर से मिली सीख को तीसरी लहर के आने के पहले तेज़ी से लागू करना होगा.

उन्होंने कहा, ‘अगली लहर का असर उन लोगों पर पड़ेगा जो लोग पहली और दूसरी लहर में बच गए थे. अब देश को बच्चों और किशोरों के लिए टीके लगाने की प्रक्रिया में तेजी लाने की ज़रूरत है.’


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‘मेडिकल फील्ड के लोगों के लिए चुनौती भरा समय’

डॉ बल्लाल ने अपने करियर की शुरुआत अमेरिका में सेंट लुइस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन से मेडिसिन के प्रोफेसर के रूप में की थी. उन्हें मेडिसिन में योगदान के लिए लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन की फेलोशिप से नवाजा गया है.

बल्लाल ने कहा, ‘कोविड संकट, मेडिकल की फील्ड में काम कर रहे लोगों के लिए काफी परेशानी वाला और चुनौतीपूर्ण समय है, जो कि मैने पिछले पांच दशकों में देखा है.

आगे उन्होंने कहा, ‘यह पहली बार था जब हमें लोगों का इलाज इस आधार पर करना पड़ा कि किसके जिंदा रहने की ज्यादा संभावना है. किसी भी डॉक्टर के लिए यह काफी मुश्किल भरा क्षण होता है और ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहि कि किसी भी डॉक्टर को इससे दुबारा नहीं इलाज राशन था, जहां हम रोगी जो अधिक जीवित रहने या इलाज पाने के लिए पात्र है चुनने के लिए किया था. उन्होंने कहा कि यह एक डॉक्टर के लिए बहुत मुश्किल फैसला है और ऐसी स्थिति नहीं आनी चाहिए कि किसी भी डॉक्टर को दुबारा इससे गुजरना पड़े.

‘लाचारी की भावना काफी भयावह थी… हम लोग आपातकालीन कमरे या एंबुलेंस में बेड पाने का इंतज़ार कर रहे लोगों को भी कोई सहायता देने में असमर्थ रहे. हम अपने उन मरीजों की भी मदद नहीं कर पाए जो पिछले 10-20 वर्षों से हमारे साथ जुड़े हुए थे.

उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग दवाएं पाने में मदद चाह रहे थे तो कुछ सांस लेने के लिए के लिए हांफते हुए, ऑक्सीजन की तलाश कर रहे थे. ‘हम हर किसी की मदद करना चाहते थे, लेकिन संकट काफी बड़ा था.’

इस साल कोलंबिया एशिया के अधिग्रहण के बाद मणिपाल अस्पताल बिस्तर क्षमता के मामले में आपोलो के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी मल्टी स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल चेन बन गया है.

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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