scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशकेंद्र के साथ चार जनवरी की वार्ता विफल होने पर सख्त कदम उठाने की किसान संगठनों ने दी चेतावनी

केंद्र के साथ चार जनवरी की वार्ता विफल होने पर सख्त कदम उठाने की किसान संगठनों ने दी चेतावनी

सिंघु बोर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने अपनी मुख्य मांगों के पूरा नहीं होने पर कदमों की चेतावनी दी.

Text Size:

नई दिल्ली: तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की अपनी मांगों पर दृढ़ किसान यूनियनों ने शुक्रवार को कहा कि अगर सरकार चार जनवरी को हमारे पक्ष में फैसला नहीं लेती है तो वे कड़े कदम उठाएंगे.

सिंघु बोर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने अपनी मुख्य मांगों के पूरा नहीं होने पर कदमों की चेतावनी दी.

उन्होंने कहा कि सरकार के साथ अब तक हुई बैठकों में किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों में से केवल पांच प्रतिशत पर चर्चा हुई है.

किसान नेता विकास ने संवाददाताओं से कहा, ‘अगर सरकार के साथ चार जनवरी की बैठक में गतिरोध दूर नहीं होता है तो हम हरियाणा में सभी मॉल, पेट्रोल पंपों को बंद करने की तारीखों की घोषणा करेंगे.’

स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि हरियाणा-राजस्थान सीमा पर शाहजहांपुर में प्रदर्शन कर रहे किसान भी राष्ट्रीय राजधानी की ओर आगे बढ़ेंगे.

एक अन्य नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि अगर अगले दौर की बातचीत में कोई ठोस फैसला नहीं हुआ तो छह जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा.

बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता में सरकार और किसान संगठनों के बीच बिजली की दरों में वृद्धि और पराली जलाने पर जुर्माना को लेकर किसानों की चिंताओं के हल के लिए कुछ सहमति बनी. लेकिन तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के मुद्दों पर गतिरोध कायम रहा.

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हजारों किसानों के 41-सदस्यीय प्रतिनिधि समूह और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच वार्ता के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि चार विषयों में से दो मुद्दों पर पारस्परिक सहमति के बाद 50 प्रतिशत समाधान हो गया है और शेष दो मुद्दों पर चार जनवरी को दोपहर दो बजे चर्चा होगी.

कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन में ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा के हैं.

सरकार का कहना है कि नए कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को आशंका है कि नए कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था ‘कमजोर’ होगी तथा किसान बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे.


यह भी पढ़ें: भारतीय सेना में अपने आप सुधार नहीं होंगे, संसदीय भूमिका का कमज़ोर होना चिंता का बड़ा कारण


 

share & View comments