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Wednesday, 6 November, 2024
होमराजनीतिबिहार चुनाव'नीतीश को हराना है, कोरोना को बाद में हराएंगे'- बिहार चुनाव प्रचार में जमकर उड़ी COVID-19 प्रोटोकॉल की धज्जियां

‘नीतीश को हराना है, कोरोना को बाद में हराएंगे’- बिहार चुनाव प्रचार में जमकर उड़ी COVID-19 प्रोटोकॉल की धज्जियां

प्रोटोकॉल का उल्लघंन करने वाले उम्मीदवारों और आयोजकों को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 और भादंसं की संबंधित धाराओं के तहत दो साल तक के कारावास का सामना करना पड़ सकता है.

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पटना/भागलपुर/गया: बिहार विधानसभा के पहले चरण के चुनाव के लिए चल रहा प्रचार थम गया है. 28 अक्टूबर को 16 जिलों की 71 सीटों के लिए मतदान होना है. आज खत्म हो रहे प्रचार के मद्देनजर स्टार प्रचारक और प्रत्याशी जी जान से अपने क्षेत्रों में जुटे नजर आए. लेकिन इस बीच चुनाव आयोग द्वारा जारी कोविड-19 प्रोटोकॉल की बिहार चुनाव में धज्जियां जम कर उड़ी.

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, बिहार के भाजपा प्रभारी देवेंद्र फडणवीस, पूर्व केंद्रीय मंत्री और छपरा के सांसद राजीव प्रताप रूडी, गया के सांसद विजय मांझी, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन और राज्य के पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह सहित कई वरिष्ठ नेता कोविड- 19 से पीड़ित हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के अपने चरम पर पहुंचने के बीच चुनाव आयोग की कोविड- 19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी को अनसुनी करते हुए चुनावी रैलियों में भारी तादाद में लोग सामाजिक दूरी का पालन नहीं करते हुए बिना मास्क पहने इकट्ठा हो रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार को डेहरी, गया एवं भागलपुर में और कांग्रेस नेता राहुल गांधी की हिसुआ एवं कहलगांव में जनसभाओं के दौरान कोविड- 19 को लेकर प्रोटोकॉल को बनाए रखा गया था, लेकिन अन्य रैलियों में अति उत्साहित भीड़ द्वारा इसका पालन नहीं किया जा रहा है .


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चुनाव आयोग ले सकता है एक्शन

चुनाव आयोग ने 21 अक्टूबर को बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और जिला प्रशासन को कोविड- 19 को लेकर आपदा प्रबंधन अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत ‘उचित और प्रासंगिक दंडात्मक प्रावधानों को लागू करने’ का निर्देश दिया था.

इस तरह की जनसभाओं के उदाहरण आयोग के ध्यान में आए हैं, जहां सामाजिक दूरी का उल्लंघन करते बिना मास्क पहने हुए बड़ी संख्या में भीड़ इकट्ठी हुई है और राजनीतिक नेता अथवा रैली के आयोजक दिशानिर्देशों की पूरी अवहेलना कर सभा को संबोधित कर रहे हैं.

ऐसे मामलों में निर्देशों का उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों और आयोजकों को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 और भादंसं की संबंधित धाराओं के तहत दो साल तक के कारावास का सामना करना पड़ सकता है.

सैकड़ों लोग अभी भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्षी महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव सहित शीर्ष नेताओं की रैलियों में शिरकत करते हैं और बिना मास्क पहने रैलियों में स्थान पाने के लिए एक-दूसरे को धक्का देते नजर आते हैं .

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘लोगों से मास्क नहीं होने के बारे में पूछने पर वे बताते हैं कि मास्क अपने घर पर भूल गए अथवा अपनी जेब में होने और बहुत गर्मी होने की वजह से नहीं पहनने की दलील पेश करते हैं .’

अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजय कुमार सिंह ने कहा कि रैली स्थलों पर तैनात दंडाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे कोविड- 19 मानदंडों को सख्ती से लागू करें, जिसमें मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाए रखना शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘हम चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं. यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर सामाजिक दूरी के मापदंड का उल्लंघन करने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा.’

उन्होंने कहा कि कोविड- 19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन सटीक संख्या साझा करने में असमर्थता व्यक्त की .

चुनावी रैलियों को कवर करने वाले पत्रकारों ने भी पाया कि नेताओं ने मास्क पहन रखा था और एक-दूसरे से उचित शारीरिक दूरी बनाए रखी थी, लेकिन लोग हेलीकॉप्टरों के रैली मैदान में उतरने पर नेताओं के करीब पहुंचने के लिए एक-दूसरे से टकराते दिखे .

भागलपुर की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मंगलवार को सनोखा में तेजस्वी यादव की जनसभा में मंच पर बहुत भीड़ दिखी. तेजस्वी यादव जिंदाबाद के नारे लगाते हुए उनके एक समर्थक ने कहा, ‘अभी हमें नीतीश कुमार को हराना है. हम बाद में कोरोना को हरा सकते हैं.’ ऐसा ही कुछ स्थिति भोजपुरी गायक-अभिनेता और उत्तर पूर्वी दिल्ली के भाजपा सांसद मनोज तिवारी की कहलगांव के शारदा स्कूल परिसर की रैली में हुआ था.

भाजपा प्रत्याशी पवन कुमार यादव ने बताया कि कई लोगों ने मास्क पहन रखे थे लेकिन सर्किल बना दिए जाने के बावजूद भारी भीड़ के कारण सामाजिक दूरियां बरकरार नहीं रखी जा सकीं.

नीतीश कुमार हर दिन 4-5 रैलियों को संबोधित कर रहे हैं.

गोपालगंज जिले के भोरे में नीतीश कुमार की रैली में शामिल एक व्यक्ति ने कहा, ‘कोरोना राज्य को जंगल राज में बदल देने वाले लालू प्रसाद और उनके दल के लोगों पर हमला करेगा.’

मधेपुरा के बिहारीगंज के एसबीजे हाई स्कूल में एक महागठबंधन रैली में अराजकता दिखी जहां समाजवादी दिग्गज शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं.

औरंगाबाद में तेजस्वी यादव की रैली में मास्क नहीं पहनने के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में महागठबंधन के एक समर्थक ने कहा, ‘अगर वे सत्ता में आते हैं तो हमें नौकरी मिलेगी. क्या हमारे जैसे लोगों के लिए इससे बड़ा कोई मुद्दा हो सकता है जिनके पास नौकरी नहीं है?


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कुछ पर हुई कार्रवाई

ऐसे से कुछ उदाहरण सामने आए हैं, जहां कोविड -19 मानदंडों के उल्लंघन के लिए ऐसी रैलियों के आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई की गयी है.

गया जिला प्रशासन ने 11 अक्टूबर को भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा की एक रैली के आयोजकों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की, जहां सामाजिक दूरी के मानदंडों का कथित रूप से उल्लंघन किया गया था.

अंचल अधिकारी राजीव रंजन की शिकायत पर उक्त प्राथमिकी दर्ज की गई थी.

गोपालगंज में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के साला साधु यादव के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई थी. वह बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

बिहार में सत्ताधारी राजग में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि उनकी पार्टी रैलियों से पहले लोगों के बीच सैनिटाइजर और मास्क वितरित कर रही थी और साथ ही उनसे सामाजिक दूरी बनाए रखने की अपील कर रही है लेकिन कभी-कभी लोग सब कुछ भूल जाते हैं और मंच पर आने के लिए कुछ धक्का देने और शोर शराबा मचाने की कोशिश करते हैं.

बिहार में 25 अक्टूबर तक कोरोनावायरस संक्रमण के मामले 2.12 लाख से अधिक थे और ठीक होने की दर 94.69 प्रतिशत थी.


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