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Thursday, 25 April, 2024
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बिहार की चुनावी दौड़ में करोड़पति उम्मीदवारों की बढ़ी संख्या, ज्यादातर को RJD और BJP ने दिया टिकट

ऐसे राज्य के लिए जिसकी प्रति व्यक्ति आय भारत में सबसे कम है- 43,822 रुपए जबकि राष्ट्रीय औसत 1,26,406 रुपए है, बिहार में पहले दो चरणों के चुनावों में 600 से अधिक करोड़पति उम्मीदवार मैदान में हैं.

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नई दिल्ली: देश के कुछ सबसे गरीब प्रांतों में शुमार होने के बावजूद बिहार के तीन चरणों के चुनाव में करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या काफी तादाद में है.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के जमा किए हुए डेटा के मुताबिक, जो चुनाव आयोग में दाखिल किए गए उम्मीदवार के हलफनामे पर आधारित होता है, पहले दौर में बिहार के समृद्ध उम्मीदवारों की औसत आय एक करोड़ है, जो दूसरे दौर में बढ़कर 3.86 करोड़ हो गई. एडीआर के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि तीसरे दौर के उम्मीदवारों का ब्यौरा अभी तैयार किया जा रहा है.

पहले दौर में जिसका मतदान 28 अक्टूबर को होगा, कुल 1,064 उम्मीदवारों के 33 प्रतिशत (375 उम्मीदवार) की संपत्ति एक करोड़ से अधिक की है.

दूसरे चरण में, जिसका मतदान 3 नवंबर को होगा, कुल 1,464 उम्मीदवारों में से 59 प्रतिशत (258 उम्मीदवार) करोड़पति हैं.

दोनों चरणों के उम्मीदवारों में से अधिकांश विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से हैं, जिनमें 45 करोड़पति हैं, जिसके बाद 41 उम्मीदवार बीजेपी से हैं.

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चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामों के मुताबिक, दूसरे दौर के चुनावों की 94 सीटों के लिए 437 उम्मीदवारों में से 258 करोड़पति हैं, जिनकी औसत आमदनी 3.86 करोड़ है.

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, प्रति व्यक्ति आय के मामले में बिहार देश के कुछ सबसे पिछड़े राज्यों में शुमार है. 2018 वित्त वर्ष में 1,26,406 रुपए के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले इस सूबे में ये आंकड़ा 43,822 रुपए दर्ज किया गया.


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दूसरे चरण की अमीरों की सूची

कांग्रेस के संजीव सिंह, जो वैशाली सीट से लड़ रहे हैं, 56.6 करोड़ की संपत्ति के साथ दूसरे दौर के सबसे धनी उम्मीदवार हैं. 1997 में सीबीआई जांच के दौरान, सिंह का नाम बिहार इंजीनियरिंग घोटाले में सामने आया था, उनके साथ ही पूर्व मंत्री और लालू प्रसाद के करीबी सहयोगी, बृज बिहारी प्रसाद का नाम भी उछला था. मुकदमा अभी अदालत में है.

एक समय संजय सिंह बिहार में पार्टी के आईटी सेल के प्रभारी थे. उन्हें राज्य में युवा कांग्रेस अध्यक्ष भी चुना गया था लेकिन घोटाला विवाद के चलते उन्हें ये पद नहीं दिया गया था.

49 करोड़ की संपत्ति के साथ आरजेडी के देव कुमार चौरसिया दूसरे सबसे अमीर उम्मीदवार हैं. वो हरिपुर चुनाव क्षेत्र से लड़ रहे हैं. कभी सीएम नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी रहे चौरसिया हाल ही में जनता दल (युनाइटेड) छोड़कर आरजेडी में शामिल हुए हैं.

एक और कांग्रेस उम्मीदवार अनुनय सिंह के पास 46 करोड़ की संपत्ति है और वो मुज़फ्फरपुर पारू सीट से लड़ रहे हैं, जो फिलहाल बीजेपी के अशोक सिंह के पास है.

जेडी(यू) के सबसे धनी उम्मीदवारों में सुनील कुमार (42 करोड़) हैं, जो हाल ही में बतौर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, भारतीय पुलिस सेवा से रिटायर हुए हैं. अधिकारी के नाते उन्हें सीएम नीतीश कुमार का करीबी माना जाता था और रिटायर होते ही वो जेडी(यू) में शामिल हो गए.

चुनावों में अभी तक के सबसे धनी उम्मीदवार हैं, डॉन से राजनेता बने आरजेडी के अनंत सिंह, जो फिलहाल यूएपीए के आरोपों में जेल में बंद हैं. मोकामा से चुनाव लड़ रहे सिंह के पास 68 करोड़ की संपत्ति है.

वहीं बारू राज सीट से चुनाव लड़ रहे ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लेमीन (एआईएमआईएम) के उम्मीदवार विक्की राम जिन के पास ज़ीरो संपत्ति है. रंधीर कुमार पासवान जिनके पास कुल 8,000 रुपए की संपत्ति है, प्लूरल्स पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. बिहपुर में प्लूरल्स पार्टी के एक और उम्मीदवार ने 10,000 रुपए की संपत्ति घोषित की है.


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प्रवृत्ति पर नज़र

जिन राजनीतिक विशेषज्ञों से दिप्रिंट ने बात की, उनका कहना है कि बिहार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए ये प्रवृत्ति चकित करती है.

एडीआर के अध्यक्ष त्रिलोचन शास्त्री ने कहा, ‘बिहार में बाहुबल और धन बल की ये प्रवृत्ति दिन ब दिन हर चुनाव में बढ़ती जा रही है. हैरत ये है कि जिस सूबे में कोई उद्योग नहीं हैं, जहां आय कम है, जो सबसे गरीब राज्यों में से एक है वहां उम्मीदवारों की संपत्तियां बढ़ रही हैं…राजनीति के अपराधीकरण का विस्तार हो रहा है’.

एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ के पूर्व डायरेक्टर, डीएम दिवाकर का कहना था कि काफी कुछ पैसा ज़मीनों की बढ़ी कीमतों से आया है. ‘हाल के सालों में अपराधियों ने ज़मीनों में निवेश किया और डेवलपर्स बनकर मॉल्स और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स खड़े कर दिए…इससे वो करोड़पति बन गए हैं. और ये सिर्फ घोषित संपत्ति है…ज़रा सोचिए (इन लोगों की) बेनामी और अघोषित संपत्ति कितनी होगी’.

शास्त्री ने कहा कि इस उछाल का कारण ये है कि इसे कम करने के लिए कोई कारगर कानून नहीं हैं. उन्होंने कहा, ‘हम सिर्फ लोगों में प्रचार करते हैं कि अपराधियों को वोट न दें. एक मात्र रास्ता यही है कि सुप्रीम कोर्ट के ज़रिए धन बल और बाहुबल के इस्तेमाल को कम किया जाए या फिर लोग तय कर लें कि ऐसे उम्मीदवारों को वोट नहीं देना है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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