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Friday, 22 November, 2024
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भीमा कोरेगांव मामले की चार्जशीट में NIA ने कहा- गौतम नवलखा के पाकिस्तान के ISI से संबंध थे

एनआईए का कहना है कि अमेरिका में रहने वाले ‘पाकिस्तानी कश्मीरी अलगाववादी’ नबी फई की कश्मीरी अमेरिकी परिषद की तरफ से कश्मीर पर आयोजित हुए कुछ सेमिनार में हिस्सा लेने के लिए नवलखा ने अमेरिका का दौरा किया था.

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नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने भीमा कोरेगांव मामले में दायर एक पूरक आरोपपत्र में कहा है कि एक्टिविस्ट गौतम नवलखा के कथित तौर पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के साथ रिश्ते रहे हैं.

एनआईए सूत्रों के अनुसार, नवलखा की ऐसी भूमिका की बात ‘सीपीआई (माओवादी) कैडर के साथ गोपनीय सूचनाओं के आदान-प्रदान’ में सामने आई है, जो उन्होंने कई बार किए थे.

एनआईए के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘उन्हें बुद्धिजीवियों को सरकार के खिलाफ एकजुट करने का जिम्मा सौंपा गया था.’

उन्होंने आगे कहा, ‘वह कुछ फैक्ट फाइंडिंग समितियों का हिस्सा थे और उन्हें सीपीआई (माओवादी) की छापामार गतिविधियों के लिए कैडर भर्ती का काम सौंपा गया था.’

एनआईए ने इस साल जुलाई में अमेरिका के ‘पाकिस्तानी कश्मीरी अलगाववादी’ सैयद गुलाम नबी फई, जिन्हें 2011 में संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने गिरफ्तार किया था और बाद में दो साल की सजा सुनाई गई थी, के साथ कथित संबंधों को लेकर नवलखा से पूछताछ की थी.

सूत्रों ने दावा किया कि नवलखा से विशेष तौर पर अमेरिकी अटॉर्नी नील एच मैकब्राइड की तरफ से 2011 में एफबीआई जांच के आधार पर तैयार हलफनामे के बाबत पूछताछ की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि फई ने एजेंसी के निर्देश पर भर्ती के लिए नवलखा की मुलाकात एक आईएसआई जनरल से कराई थी.

एनआईए सूत्रों के मुताबिक, नवलखा ने कुछ मौकों पर कश्मीर मसले को लेकर फई की कश्मीरी अमेरिकी परिषद (केएसी) की तरफ से आयोजित सेमिनार में हिस्सा लेने के लिए अमेरिका का दौरा भी किया था.

अपनी चार्जशीट में एनआईए ने आनंद तेलतुंबडे, गौतम नवलखा, हनी बाबू, सागर गोरखे, रमेश गाइछोर, ज्योति जगताप, स्टेन स्वामी और मिलिंद तेलतुंबडे के खिलाफ आपराधिक साजिश, देशद्रोह और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धाराओं के तहत आरोप लगाए हैं.


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कम्युनिकेशन के लिए ‘गोपनीय’ कोड का इस्तेमाल

एनआईए का दावा है कि उसने आरोपियों के पास से उनके अन्य माओवादी कैडर के साथ ‘गोपनीय संदेशों के आदान-प्रदान’ समेत तमाम पुख्ता दस्तावेज जब्त किए हैं, जो कि ‘उनकी चाक-चौबंद रणनीति के तहत भीमा कोरेगांव में हिंसा की साजिश से जुड़े हैं.’

जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया कि उसने ‘माओवादी कैडर द्वारा संवैधानिक रूप से स्थापित सरकार के खिलाफ लामबंदी’, ‘राज्य को भारी नुकसान पहुंचाने के इरादे से सुरक्षा बलों के मूवमेंट के बारे में जानकारी’ से जुड़े दस्तावेज भी बरामद किए हैं.

ऊपर उद्धृत एनआईए अधिकारी ने कहा कि सुरक्षा बलों को उनकी साजिश और योजनाओं की भनक न लगे इसलिए आपसी बातचीत के लिए बेहद सावधानी से गोपनीय संदेशों का आदान-प्रदान किया गया.

अधिकारी ने कहा, ‘जांच के दौरान माओवादियों के एक व्यवस्थित नेटवर्क का भी पता चला, जिसने हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति के लिए भारत और भारत से बाहर विभिन्न प्रतिबंधित संगठनों के साथ घनिष्ठ संबंध बना रखे हैं.’

अधिकारी ने कहा, ‘जांच में माओवादियों की अपने अग्रणी संगठनों के जरिये तथाकथित शहरी क्रांति को अंजाम देने के लिए अपनाई जा रही रणनीति और हथकंडों का भी पता चला. वहीं, माओवादी कैडर और ग्रामीण के साथ-साथ शहरी इलाकों में भी माओवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए उनसे सहानुभूति रखने वालों की फंडिंग गतिविधियों के बारे में भी पता चला.’


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‘साजिश’

एनआईए के अनुसार, जांच में पता चला कि आरोपियों- आनंद तेलतुंबडे, गौतम नवलखा, हनी बाबू, सागर गोरखे, रमेश गाइछोर, ज्योति जगताप और स्टेन स्वामी- ने ‘अन्य आरोपियों के साथ मिलकर आतंकवादी संगठन सीपीआई (माओवादी) की विचारधारा को आगे बढ़ाने, हिंसा और नफरत फैलाने और सरकार के खिलाफ लोगों को उकसाने की साजिश रची.’

एनआईए ने आगे दावा किया कि इन लोगों ने ‘धर्म, जाति और समुदाय के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा दिया.’

एनआईए अधिकारी ने कहा, ‘फरार आरोपी मिलिंद तेलतुंबडे ने अन्य आरोपियों को हथियार चलाना सिखाने के लिए प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किए.’

एनआईए का दावा है कि आनंद तेलतुंबडे ‘भीमा कोरेगांव शौर्य दिवस प्रेरणा अभियान’ के संयोजकों में एक था और 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवार वाडा में मौजूद था, जहां एलगार परिषद कार्यक्रम आयोजित हुआ था.

अधिकारी ने आगे कहा, ‘उसने अन्य माओवादी कैडर के साथ मिलकर सक्रिय भूमिका निभाई और संगठन की गतिविधियों को अंजाम देने के लिए उनसे धन हासिल किया.’

एनआईए ने दावा किया, दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हनी बाबू ने सीपीआई (माओवादी) क्षेत्रों में विदेशी पत्रकारों के दौरों की व्यवस्था की थी और उन्हें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में प्रतिबंधित संगठन रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट (आरडीएफ) के मौजूदा और भावी कार्यों का जिम्मा सौंपा गया था.

अधिकारी ने कहा, ‘वह मणिपुर के प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन कंगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) के संपर्क में थे और सीपीआई (माओवादी) के निर्देश पर सजायाफ्ता अभियुक्त जी.एन. साईबाबा की रिहाई की कोशिशों में जुटे थे और उसके लिए धन जुटाने में भी लगे थे.’

अधिकारी ने आगे दावा किया कि सागर गोरखे, रमेश गाइछोर और ज्योति जगताप सीपीआई (माओवादी) के प्रशिक्षित कैडर हैं और इसके अग्रणी संगठन कबीर कला मंच के सदस्य हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘एकदम चाकचौबंद साजिश के तहत उन्होंने एलगार परिषद कार्यक्रम के आयोजन के सिलसिले में अन्य आरोपियों के साथ बैठकों में हिस्सा लिया. उन्होंने सीपीआई (माओवादी) के एजेंडे को प्रचारित-प्रसारित किया, पूरे महाराष्ट्र के संदर्भ में योजनाएं बनाईं और उसके लिए समन्वय भी बनाया.’

एनआईए का दावा है कि स्टेन स्वामी का अन्य सीपीआई (माओवादी) कैडर के साथ कम्युनिकेशन बना हुआ था और उसने ही यह बात जाहिर की कि देश के विभिन्न हिस्सों, खासकर महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में कैडर की गिरफ्तारी से सीपीआई (माओवादी) को भारी नुकसान पहुंचा है.

एनआईए ने स्वामी पर आरोप लगाया कि उसे सीपीआई (माओवादी) की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए अन्य माओवादी कैडर से धन मिला था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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