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Friday, 22 November, 2024
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मन की बात में पीएम मोदी ने कहा- कोरोना के खिलाफ लड़ाई जनता लड़ रही है जहां सावधानी हटी, दुर्घटना घटी

पीएम मोदी ने कहा कोरोनावायरस के कारण कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिले. हमारे काम करने के तरीके, हमारी जीवन-शैली और हमारी आदतों में भी स्वाभाविक रूप से अपनी जगह बना रहे हैं. इनमें सबसे पहला है मास्क पहनना और अपने चेहरे को ढककर रखना.

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नई दिल्ली: देश में कोरोनावायरस का संकट और लॉकडाउन के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह रेडियों कार्यक्रम मन की बात से देश को संबोधित किया. अपने संबोधन में पीएम ने कहा, आज दो गज की दूरी बहुत जरुरी है. उन्होंने लोगों को सावधान करते हुए कहा कि मैं आपसे आग्रह करूंगा कि हम कतई ज्यादा आत्मविश्वास में न फंस जाएं. हम यह भ्रम न पालें कि हमारे यहां कोरोना नहीं पहुंचा, इसलिए अब नहीं पहुंचेगा. ऐसी गलती न करें. हमारे यहां कहा जाता है सावधानी हटी, दुर्घटना घटी. हमारे पूर्वजों ने कहा है, हल्के में लेकर छोड़ दी गई आग, कर्ज और बीमारी, मौका पाते ही दोबारा बढ़कर खत्म हो जाती है. इसलिए इसका पूरी तरह उपचार जरूरी होता है.

मन की बात में पीएम मोदी ने कहा, आज हमारे समाज में एक बड़ी जागरूकता यह आई है कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने के क्या नुकसान हो सकते हैं. अब, यह थूकने की आदत को छोड़ देनी चाहिए. ये बातें जहां बेसिक हाइजीन का स्तर बढ़ाएंगी वहीं, कोरोना बीमारी को फैलने से रोकने में मदद करेगी. सोशल मीडिया पर हम देख रहे हैं कि लोग लॉकडाउन के दौरान अपने साथियों को याद कर रहे हैं, उनकी मदद भी कर रहे हैं और उन पर लिख रहे हैं. लोग सफाई कर्मचारियों पर पुष्पवर्षा कर रहे हैं. आज हमारे डॉक्टर और पुलिस व्यवस्था को लेकर आम लोगों की सोच में काफी बदलाव हुआ है. पहले पुलिस के बारे में सोचते ही नकारात्मकता के अलावा कुछ नजर नहीं आता था.आज हमारे पुलिस कर्मचारी लोगों तक खाना पहुंचा रहे हैं.


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पीएम मोदी ने कहा, कोरोनावायरस के कारण कई सकारात्मक बदलाव भी देखने को मिले. हमारे काम करने के तरीके, हमारी जीवन-शैली और हमारी आदतों में भी स्वाभाविक रूप से अपनी जगह बना रहे हैं. इनमें सबसे पहला है मास्क पहनना और अपने चेहरे को ढककर रखना. जब मैं मास्क की बात करता हूं तो मुझे पुरानी बात याद आती हैं. एक जमाना था कि हमारे देश के कई ऐसे इलाके होते थे कि वहां अगर कोई नागरिक फल खरीदता हुआ दिखता था, तो लोग उसको जरुर पूछते थे क्या घर में कोई बीमार है. आज समय बदला और ये धारणा भी बदली है. अब मास्क सभ्य समाज का प्रतीक बन जाएगा. मेरा सुझाव तो रहता है कि गमछा का प्रयोग करें. पहले यहां-वहां थूक देना आम बात बन गई थी. हम इस समस्या को जानते थे. लेकिन यह समस्या समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही थी. अब समय आ गया है कि इस बुरी आदत को समाप्त कर दिया जाए.

मोदी ने लोगों को संबोधन करते हुए कहा, आज देश में गली मोहल्लों में जगह-जगह पर लोग एक दूसरे की सहायता के लिए आगे आ रहे हैं. गरीबों के लिए खाने से लेकर, राशन की व्यवस्था हो, लॉकडाउन का पालन हो, अस्पतालों की व्यवस्था हो, मेडिकल इक्विपमेंट का देश में ही निर्माण हो आज पूरा देश एक लक्ष्य, एक दिशा, साथ-साथ चल रहा है. दूसरों की मदद के लिए आपके भीतर हृदय से किसी कोने में जो ये उमड़ता-घुमड़ता भाव है ना. वहीं कोरोना के खिलाफ भारत की इस लड़ाई को ताकत दे रहा है. इस लड़ाई को सच्चे मायने में पिपुल ड्रिवेन बना रहा है और हमने देखा है कि, पिछले कुछ साल में हमारे देश में यह मिजाज बना है निरंतर मजबूत होता रहा है.

ताली, थाली, दिया और मोमबत्ती ने भावनाओं को जन्म दिया

पीएम नरेंद्र मोदी ने अपनी मन की बात में कहा, भारत की कोरोना के खिलाफ लड़ाई सही मायने में पीपल ड्रिवन है. भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई जनता लड़ रही है. आप लड़ रहे हैं. जनता के साथ मिलकर शासन और प्रशासन लड़ रहा है. हम भाग्यशाली हैं कि आज पूरा देश, देश का हर नागरिक, जन-जन इस लड़ाई का सिपाही है और लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है. आज पूरा देश, एक लक्ष्य,एक दिशा के साथ आगे बढ़ रहा है.’

पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘ताली, थाली, दीया, मोमबत्ती, इन सारी चीज़ों ने जिन भावनाओं को जन्म दिया. जिस जज्बे से देशवासियों ने कुछ न कुछ करने की ठान ली. हर किसी को इन बातों ने प्रेरित किया है. हमारे किसान भाई-बहनों को ही देखिये एक तरफ वो इस महामारी के बीच अपने खेतों में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. इस बात की भी चिंता कर रहे हैं कि देश में कोई भी भूखा ना सोए. हर कोई अपने सामर्थ्य के हिसाब से इस लड़ाई को लड़ रहा है. कोई अपनी पूरी पेंशन, पुरस्कार राशि को पीएम केयर में जमा करा रहा है. कोई खेत की सारी सब्जियां दान दे रहा है, कोई मास्क बना रहा है तो कहीं मजदूर भाई-बहन क्वारंटाइन बाद स्कूल की रंगाई-पुताई कर रहे हैं. राशन-पानी, खाने-पीने या अस्पताल की व्यवस्था, पूरा देश एक साथ एक दिशा में चल रहा है. देशवासियों के जज़्बे ने सबको प्रेरित किया है. सभी अपने अपने सामर्थ्य से योगदान देकर लड़ाई लड़ रहे हैं.’


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पीएम ने कहा, रमजान का भी पवित्र महीना शुरू हो गया है. किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि रमजान में इतनी बड़ी मुसीबत होगी. लेकिन जब विश्व में मुसीबत आ ही गई है तो हमें इसे सेवाभाव की मिसाल देनी है. हम पहले से ज्यादा इबादत करें और कोरोना के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करें. ये सुखद संयोग ही है कि आज जब आपसे मैं मन की बात कर रहा हूं तो अक्षय तृतीया का पवित्र पर्व भी है साथियो ‘क्षय’ का अर्थ होता है विनाश लेकिन जो कभी नष्ट नहीं हो, जो कभी समाप्त नहीं हो वो ‘अक्षय’. इस साल अक्षय तृतीया का भी विशेष महत्व है. यह याद दिलाता है कि हमारी भावना अक्षय है, चाहे कितनी भी आपदा आए इससे, जूझने की मानवीय भावनाएं अक्षय हैं.’

दुनिया के राष्ट्राध्यक्ष भारत को कहते है थैंक्यू

पीएम ने अपने मन की बात कार्यक्रम मे आगे कहा, हर मुश्किल हालात हर लड़ाई कुछ न कुछ सबक देती है, कुछ न कुछ सिखा करके जाती है, सीख देती है. सब देशवासियों ने जो संकल्प शक्ति दिखाई है. उससे भारत में एक नए बदलाव की शुरुआत भी हुई है. हमने विश्व के हर जरूरतमंद तक दवाइयों को पहुंचाने का बीड़ा उठाया और मानवता के इस काम को करके दिखाया. आज जब अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्षों से फोन पर बात होती है तो वो भारत की जनता का आभार जरूर व्यक्त करते हैं. जब वो लोग कहते हैं कि थैंक्य यू इंडिया, थैंक्यू पिपुल ऑफ इंडिया तो देश के लिए गर्व और बढ़ जाता है. हमारे व्यापार, हमारे आफिस, हमारे शिक्षण संस्थान, हमारे मेडिकल सेक्टर हर कोई तेजी से नए तकनीकी बदलावों की तरफ बढ़ रहे हैं. जब देश एक टीम बन करके काम करता है तब क्या कुछ होता है ये हम अनुभव कर रहे हैं. आज केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार हो इनका हर विभाग और संस्थान राहत के लिए मिल-जुल करके पूरी स्पीड में काम रहे हैं.


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उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश की राज्य सरकारों की भी इस बात के लिए प्रशंसा करुंगा​ कि वो कोरोना से निपटने में बहुत ही सक्रिय भूमिका निभा रही है. जिला प्रशासन, राज्य सरकारें जो जिम्मेदारी निभा रही है. उसकी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बड़ी भूमिका है. उनका ये परिश्रम बहुत प्रशंसनीय है. देशभर में चिकित्सा से जुड़े लोगों ने अध्यादेश पर संतोष व्यक्त किया है. इस अध्यादेश में चिकित्सा कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा पर कड़ी सजा के प्रावधान किए गए हैं. हमारे डॉक्टर, नर्सिज, पैरा-मेडिकल स्टाफ, सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मियों और ऐसे सभी लोग, जो देश को ‘कोरोना-मुक्त’ बनाने में दिन-रात जुटे हुए हैं, उनकी रक्षा करने के लिए ये कदम बहुत जरुरी था.

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