नई दिल्ली : सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ भीम आर्मी के कई सदस्यों ने रविवार को विरोध जुलूस निकाला.
उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य सरकारें सरकारी सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं हैं.
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की अगुवाई में मंडी हाउस से जंतर मंतर तक यह जुलूस निकाला गया. उन्होंने 23 फरवरी को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है और मांग की है कि सरकार फैसले को निरस्त करने के लिए एक अध्यादेश लाए.
भीम आर्मी के प्रवक्ता हरजीत सिंह भट्टी ने कहा, ‘शीर्ष अदालत का फैसला पूरी तरह से संविधान के समानता के अधिकार के प्रावधान के खिलाफ है.’
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि राज्य नियुक्तियों में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं हैं और पदोन्नति में आरक्षण मांगने जैसा कोई मौलिक अधिकार नहीं हैं.
शीर्ष अदालत ने यह फैसला उत्तराखंड सरकार के पांच सितंबर, 2012 के फैसले के संबंध में दायर याचिकाओं पर दिया था. उत्तराखंड सरकार के फैसले में राज्य में सरकारी सेवाओं के सभी पदों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण दिए बिना भरने के लिए कहा गया था.
उत्तराखंड सरकार ने दलील दी थी कि संविधान के अनुच्छेद 16(4) और 16(4-A) में कोई प्रस्ताव नहीं हैं और आरक्षण किसी का मौलिक अधिकार नहीं है. ये दोनों अनुच्छेद सरकार को यह अधिकार देते हैं कि अगर उसे लगे कि एससी-एसटी समुदाय का सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो वह नौकरियों एवं प्रमोशन में आरक्षण देने का कानून बना सकती हैं.
सरकार के इस फैसले को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी जिसने इसे खारिज कर दिया था.