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Monday, 6 May, 2024
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रूस इज़रायल-हमास युद्द में युद्धविराम के लिए UNSC प्रस्ताव पर क्यों जोर दे रहा है?

मॉस्को ने ड्रॉफ्ट तैयार किया है और UNSC से सोमवार को इस पर मतदान करने का आह्वान किया है. विशेषज्ञों का कहना है कि रूस का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि इस संघर्ष का असर उसके प्रमुख क्षेत्रीय सहयोगी सीरिया पर न पड़े.

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नई दिल्ली: रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से इज़रायल-हमास संघर्ष पर अपने प्रस्तावित प्रस्ताव पर सोमवार को मतदान कराने का आह्वान किया है. यह प्रस्ताव तत्काल प्रभाव से युद्धविराम की मांग करता है और नागरिकों के खिलाफ हिंसा और आतंकवाद की निंदा करता है.

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार यह प्रस्ताव, जिसे शुक्रवार को 15-सदस्यीय परिषद के बीच रखा गया था, बंधकों की तत्काल रिहाई, मानवीय सहायता और जरूरतमंद नागरिकों को निकालने की भी मांग करता है.

हालांकि, इस दस्तावेज़ में विशेष रूप से हमास का उल्लेख नहीं किया गया है. हमास एक उग्रवादी समूह है जिसका 2007 से गाजा पर नियंत्रण है. रिपोर्ट में इसपर भी प्रकाश डाला गया है.

रूस का यह कदम तब आया है जब 7 अक्टूबर को शुरू हुए हमास के अभूतपूर्व हवाई और जमीनी हमले के जवाब में इज़रायल ने गाजा में जमीनी हमले की तैयारी के लिए सैनिकों को इकट्ठा किया है.

इज़राइली रक्षा बलों ने कहा है कि हमले में 1,300 से अधिक इज़राइली मारे गए हैं, जो 1948 में इसकी स्थापना के बाद से इज़राइल की धरती पर अब तक के सबसे खराब हमलों में से एक है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार तेल अवीव द्वारा जवाबी हवाई हमले शुरू करने के बाद से गाजा में अधिकारियों ने कम से कम 2,200 लोगों की मौत की सूचना दी है. रॉयटर्स की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, “रक्तपात” को समाप्त करने का आह्वान करते हुए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को इज़रायल को गाजा पट्टी में “द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लेनिनग्राद की घेराबंदी” जैसी रणनीति का उपयोग करने के खिलाफ आगाह किया.

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पुतिन ने कथित तौर पर कहा कि इज़रायल द्वारा गाजा में जमीनी हमले से नागरिकों की मौत की “बिल्कुल अस्वीकार्य” है. जब इज़रायल को हमास के क्रूर हमलों का सामना करना पड़ा तो जवाब में तेल अवीव भी क्रूर तरीके के साथ इस युद्ध में शामिल हो गया.

पुतिन को शुक्रवार को किर्गिस्तान के बिश्केक में यह कहते हुए सुना गया था, “वहां 2 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं. वैसे ये सभी हमास का समर्थन करते हैं, लेकिन फिर भी महिलाओं और बच्चों को भारी कष्ट का सहन करना पड़ता है. बेशक, किसी के लिए भी इससे सहमत होना एक कठिन कदम है.”

संयुक्त राष्ट्र में रूसी स्थायी प्रतिनिधि वासिली नेबेंज़िया ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा, “गाजा में आवासीय क्षेत्रों पर अंधाधुंध गोलाबारी, इस क्षेत्र को पानी और बिजली से काटना, इसकी नाकाबंदी जो हमारे दिमाग में विशेष रूप से घेराबंदी की यादें लाती है- जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लेनिनग्राद की घेराबंदी की याद दिलाती है.”

रियाद में रसाना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ईरानी स्टडीज के शोध विद्वान नदीम अहमद मूनकल के अनुसार संघर्ष में रूस की रुचि इसे सीरिया तक फैलने से रोकना है. सीरिया मास्को का एक प्रमुख सहयोगी है और क्षेत्रीय स्थिरता में बड़ी हिस्सेदारी रखता है.

इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विजय के. नांबियार ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें संदेह है कि रूसी प्रस्ताव शायद ही UNSC में पारित हो जाएगा, क्योंकि इसमें हमास का उल्लेख नहीं है और इसे अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के वीटो का सामना करना पड़ सकता है.

UNSC के प्रस्ताव के पक्ष में कम से कम नौ वोटों की आवश्यकता होती है और अगर स्थायी सदस्यों- संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस द्वारा कोई वीटो नहीं किया जाता है तो. संयुक्त राज्य अमेरिका पारंपरिक रूप से अपने सहयोगी इज़रायल को सुरक्षा परिषद की किसी भी कार्रवाई से बचाता रहा है.


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हमास का कोई जिक्र नहीं

जब नेबेंज़िया से मीडिया ने पूछा कि प्रस्ताव में हमास का जिक्र क्यों नहीं है, तो उन्होंने कहा, “यह एक मानवीय प्रस्ताव है. यह निंदा के बारे में नहीं है. प्रस्ताव में आतंकवाद की निंदा तो है, लेकिन प्रस्ताव का फोकस मानवीय है, राजनीतिक नहीं.”

मसौदा प्रस्ताव की रूपरेखा के बारे में नांबियार ने कहा कि इसे “सावधानीपूर्वक शब्दों में” रखना होगा और गाजा में उत्पन्न होने वाले किसी भी मानवीय संकट को रोकने के लिए हमास की “निंदा” के साथ-साथ खंडों को संतुलित करना होगा.

उन्होंने कहा, “एक प्रस्ताव प्रसारित होने के बाद रूस उन देशों के साथ चर्चा करेगा जो एक कामकाजी मसौदा बनाने से पहले इसका समर्थन कर सकते हैं. हालांकि, यदि प्रस्ताव में इज़रायल के प्रति कोई आलोचना है, तो इससे अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस को वीटो करना पड़ सकता है.”

नांबियार ने कहा कि तथ्य यह है कि प्रस्ताव में हमास का उल्लेख नहीं है, जो इसे पहले ही मृत बना सकता है.


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‘मास्को का ध्यान सीरिया की रक्षा पर है’

नेबेंज़िया ने शुक्रवार को कहा कि रूस फिलिस्तीन और इज़रायल के साथ अपने ‘ऐतिहासिक संबंधों’ को देखते हुए इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच मध्यस्थता करने को इच्छुक है. उन्होंने कहा कि रूस के अरब जगत के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिससे मध्यस्थता करने और फिलिस्तीन के लिए राज्य का दर्जा लागू करने में मदद करने की उसकी स्थिति मजबूत होगी.

लेकिन चल रहे इज़रायल-हमास संघर्ष में हस्तक्षेप करने में रूस की क्या दिलचस्पी है? मूनकल ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि संघर्ष सीरिया तक न फैले.

उन्होंने कहा, “वर्तमान इज़रायल-हमास संघर्ष में रूस की रुचि अपने संसाधनों का उपयोग करके पश्चिम को वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराने और यह सुनिश्चित करने में है कि यह सीरिया तक न फैले. अगर संघर्ष सीरिया तक फैल गया तो रूस के लिए समस्या और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाएगी.”

शुक्रवार को रूसी विदेश मंत्रालय ने टेलीग्राम ऐप पर इज़रायली मिसाइल हमलों के कारण दमिश्क और अलेप्पो हवाई अड्डों को निष्क्रिय करने के बारे में एक बयान जारी किया. सीरिया ने कथित तौर पर आरोप लगाया कि इज़रायल मिसाइल हमलों का अपराधी था.

बयान में कहा गया है, “इज़रायल की ये कार्रवाई सीरिया की संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है.” बयान में कहा गया है कि नागरिक सुविधाओं पर हमले निर्दोष लोगों के लिए “वास्तविक खतरा” हैं.

मूनकल ने कहा, “सीरिया मास्को के लिए एक प्रमुख क्षेत्रीय सहयोगी है.”

(संपादनः  ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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