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Saturday, 4 May, 2024
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जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को तेजी से खत्म करने की जरूरत

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(स्टीव पाइ, ऊर्जा प्रणालियों में एसोसिएट प्रोफेसर, यूसीएल)

लंदन, पांच दिसंबर (द कन्वरसेशन) संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के नवीनतम दौर सीओपी28 के अध्यक्ष के अनुसार ऐसा कोई ‘‘विज्ञान’’ नहीं है जो यह दर्शाता हो कि वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना आवश्यक है।

अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर गलत हैं। इस बात के ढेर सारे वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर नियंत्रण के लिए जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना आवश्यक होगा। मुझे पता है क्योंकि मैंने इसमें से कुछ शोध को प्रकाशित कराया है।

वर्ष 2021 में ग्लासगो में सीओपी26 जलवायु शिखर सम्मेलन से ठीक पहले, मैंने और मेरे सहयोगियों ने 1.5 डिग्री सेल्सियस दुनिया में ‘अनएक्सट्रैक्टेबल’ जीवाश्म ईंधन शीर्षक से नेचर पत्रिका में एक शोधपत्र प्रकाशित कराया था। इसमें तर्क दिया गया कि यदि मानवता को पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्यों को पूरा करने का कोई मौका देना है तो दुनिया का 90 प्रतिशत कोयला और लगभग 60 प्रतिशत तेल और गैस को जमीन के भीतर ही रहने की आवश्यकता है।

महत्वपूर्ण रूप से, हमारे शोध ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि तेल और गैस के उत्पादन में तुरंत (2020 से) गिरावट शुरू होनी चाहिए, 2050 तक हर साल लगभग 3 प्रतिशत की दर से।

यह मूल्यांकन इस स्पष्ट समझ पर आधारित था कि सीओ2 उत्सर्जन (90 प्रतिशत) के प्राथमिक कारण के रूप में जीवाश्म ईंधन के उत्पादन और इस्तेमाल को और अधिक गर्मी को रोकने के लिए कम करने की आवश्यकता है। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) का कहना है कि नेट जीरो सीओ2 उत्सर्जन केवल 2050 के दशक की शुरुआत में वैश्विक स्तर पर पहुंच जाएगा और तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर हो जाएगा, अगर जीवाश्म ईंधन से कम कार्बन ऊर्जा स्रोतों की ओर बदलाव तुरंत शुरू हो जाए।

यदि वैश्विक उत्सर्जन और जीवाश्म ईंधन का जलना अपनी मौजूदा दरों पर जारी रहा तो 2030 तक तापमान बढ़ने का यह स्तर पार हो जाएगा। नेचर में हमारे शोध के प्रकाशन के बाद से वैज्ञानिकों ने तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए दुनिया के विकल्पों का पता लगाने के संबंध में सैकड़ों परिदृश्य तैयार किए हैं। आईपीसीसी की ताजा रिपोर्ट में कई बातें शामिल हैं। यहां वे हमें जीवाश्म ईंधन चरण-समाप्ति के आवश्यक पैमाने के बारे में बताते हैं।

जीवाश्म ईंधन के उपयोग में तेजी से कमी आनी चाहिए

वायुमंडलीय वैज्ञानिक प्लॉय अचकुलविसुट के नेतृत्व में हाल में प्रकाशित एक शोधपत्र में तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए मौजूदा परिदृश्यों पर विस्तृत नज़र डाली गई। 1.5 डिग्री सेल्सियस के अनुरूप रास्तों के लिए, 2020 और 2050 के बीच कोयला, तेल और गैस की आपूर्ति में क्रमशः 95 प्रतिशत, 62 प्रतिशत और 42 प्रतिशत की गिरावट होनी चाहिए।

हालांकि, इनमें से कई रास्ते कार्बन कैप्चर और भंडारण और कार्बन डाइऑक्साइड हटाने की दर मानते हैं जो संभवतः हासिल की जा सकने वाली दर से अधिक होने की संभावना है। इन परिदृश्यों का आकलन करने से पता चलता है कि गैस को वास्तव में दोगुनी तेजी से खत्म करने की जरूरत है। इस तरह 2020 के स्तर की तुलना में 2050 में 84 प्रतिशत की गिरावट की जरूरत होगी। कोयला और तेल में भी बड़ी गिरावट की जरूरत होगी: क्रमशः 99 और 70 प्रतिशत।

एक निष्पक्ष और व्यवस्थित परिवर्तन अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने पहले 2021 की रिपोर्ट में और फिर इस वर्ष यह निष्कर्ष निकालकर जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के पक्ष में सबूत जोड़े हैं कि नए तेल और गैस क्षेत्रों को लाइसेंस देने और उनका दोहन करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

आईईए के इस इस नवीनतम विश्लेषण का यह भी अनुमान है कि मौजूदा तेल और गैस क्षेत्रों को 2030 तक अपना उत्पादन औसतन 2.5 प्रतिशत प्रति वर्ष कम करने की आवश्यकता होगी, जो 2030 से बढ़कर 5 प्रतिशत प्रति वर्ष (और 2030-40 के बीच गैस के लिए 7.5 प्रतिशत) हो जाएगी।

मौजूदा बुनियादी ढांचे के लिए तेल और गैस में कुछ निवेश की आवश्यकता होगी। यह सावधानीपूर्वक प्रबंधित बदलाव के लिए आवश्यक उत्पादन का न्यूनतम स्तर बनाए रखेगा। हालांकि, कुल मिलाकर, जीवाश्म ईंधन में अब तेजी से गिरावट आनी चाहिए। अमीर देशों को अब जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने और विकासशील देशों को परिवर्तन में मदद करने के लिए धन जुटाने की आवश्यकता है।

(द कन्वरसेशन) आशीष नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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