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Tuesday, 14 May, 2024
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जनसंख्या को नजरअंदाज नहीं कर सकते, इसे दुनिया की समस्याओं के नीतिगत समाधान का हिस्सा बनना होगा

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(जेनी स्टीवर्ट, यूएनएसडब्ल्यू सिडनी)

सिडनी, आठ फरवरी (द कन्वरसेशन) इस बात पर आम सहमति बढ़ रही है कि पर्यावरणीय समस्याएं, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, मानवता के लिए एक गंभीर चुनौती हैं। प्रदूषण, आवास विनाश, कठिन अपशिष्ट मुद्दे और, कई लोगों के लिए, जीवन की बिगड़ती गुणवत्ता को सूची में जोड़ा जाना चाहिए।

इन सब के लिए आर्थिक विकास मुख्य अपराधी है। हालाँकि, हम यह भूल जाते हैं कि पर्यावरणीय प्रभाव उपभोग करने वाले लोगों की संख्या से प्रति व्यक्ति खपत के गुणनफल का परिणाम है। हमारी अपनी संख्या मायने रखती है।

जनसंख्या वृद्धि से वैश्विक, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर पर्यावरण को खतरा है। फिर भी नीतिगत एजेंडा या तो मानव आबादी को नजरअंदाज करता है, या तब खतरे को बढ़ावा देता है जब पूरी तरह से प्राकृतिक रुझान जैसे कि प्रजनन क्षमता में गिरावट और लंबे जीवन काल के कारण विकास दर में गिरावट आती है और आबादी उम्रदराज़ हो जाती है।

हममें अभी भी ऐसे बहुत से लोग हैं, जो इस समस्या के बारे में बहुत कम बात करना चाहते हैं। पचास साल पहले, जनसंख्या को न केवल विकासशील दुनिया के लिए, बल्कि पूरे ग्रह के लिए एक मुद्दा माना जाता था। तब से, कृषि में तथाकथित हरित क्रांति ने कई और लोगों को खाना खिलाना संभव बना दिया। लेकिन इन प्रथाओं की लागत, जो कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग और अपेक्षाकृत कम फसलों पर बहुत अधिक निर्भर थीं, अब समझ में आने लगी हैं।

अगले 30 साल महत्वपूर्ण होंगे. संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम अनुमान 2050 तक वैश्विक जनसंख्या 9.7 अरब और 2100 तक 10.4 अरब होने की ओर इशारा करते हैं। अब हम 8 अरब हैं। अन्य दो अरब पहले से ही तनावग्रस्त पारिस्थितिकी तंत्र को पतन के बिंदु पर ले आएंगे।

यह पूरी दुनिया की समस्या है

कई लोग इस बात से सहमत होंगे कि कई विकासशील देशों में अधिक जनसंख्या एक समस्या है, जहां बड़े परिवार लोगों को गरीब रखते हैं। लेकिन विकसित दुनिया में भी हममें से बहुत सारे लोग हैं। प्रति व्यक्ति, उच्च आय वाले देशों के लोग उच्च-मध्यम-आय वाले देशों की तुलना में 60% अधिक संसाधनों का उपभोग करते हैं और निम्न-आय वाले देशों की तुलना में 13 गुना अधिक संसाधनों का उपभोग करते हैं।

उदाहरण के लिए, 1995 से 2020 तक ब्रिटेन की जनसंख्या में 19 लाख की वृद्धि हुई। एक भीड़भाड़ वाला छोटा द्वीप, विशेष रूप से लंदन और दक्षिण-पूर्व के आसपास, और भी अधिक भीड़भाड़ वाला हो गया।

इसी तरह, सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक, नीदरलैंड में 1950 में एक करोड़ से कम और 2020 में एक करोड़ 76 लाख निवासी थे। 1950 के दशक में, सरकार ने जनसंख्या घनत्व को कम करने के लिए प्रवासन को प्रोत्साहित किया। 21वीं सदी तक, एक छोटे से देश में अन्य 50 लाख लोगों ने निश्चित रूप से आप्रवासन का विरोध किया, लेकिन चिंता गलत तरीके से वृद्धि की जातीय संरचना पर केंद्रित थी। अधिक जनसंख्या की प्रमुख समस्या पर बहुत कम ध्यान दिया गया।

ऑस्ट्रेलिया को ‘साझा करने के लिए असीमित मैदानों की भूमि’ के रूप में देखा जाता है। वास्तव में यह एक छोटा सा देश है जो बड़ी-बड़ी दूरियों को समेटे हुए है।

जैसा कि पूर्व एनएसडब्ल्यू प्रीमियर बॉब कैर ने कुछ साल पहले भविष्यवाणी की थी, जैसे-जैसे ऑस्ट्रेलिया की आबादी बढ़ेगी, अतिरिक्त संख्याएं फैलते हुए उपनगरों में बस जाएंगी जो हमारे शहरों की निकटतम कृषि भूमि को निगल जाएंगी और तटीय और निकट-तटीय आवासों को खतरे में डाल देंगी। वह कितना सही था। सिडनी और मेलबर्न के बाहरी इलाके बड़े, बदसूरत घरों में फैले हुए हैं जिनके निवासी हमेशा कारों पर निर्भर रहेंगे।

कुछ न करने की बड़ी कीमत होती है

जितनी देर तक हम जनसंख्या वृद्धि के बारे में कुछ नहीं करेंगे, स्थिति उतनी ही बदतर होती जाएगी।

हम औसतन बहुत लंबा जीवन जीते हैं, इसलिए एक बार जन्म लेने के बाद, हम वहीं रह जाते हैं। गिरती जन्मदर पर कोई प्रभाव पड़ने में कुछ समय लगता है।

और जब ऐसा होता है, तो जनसंख्या बढ़ाने का पक्ष लेने वाले लोग खतरे की घंटी बजाकर प्रतिक्रिया देते हैं। युवा या कम उम्र की आबादी को आदर्श के रूप में देखा जाता है, जबकि बुजुर्गों को युवाओं पर परजीवी दबाव के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

गिरती प्रजनन दर को एक आपदा के रूप में नहीं बल्कि एक प्राकृतिक घटना के रूप में माना जाना चाहिए जिससे हम अनुकूलन कर सकते हैं।

हाल ही में, हमें बताया गया है कि कार्यबल की कमी के कारण ऑस्ट्रेलिया में जनसंख्या वृद्धि अधिक होनी चाहिए। यह शायद ही कभी बताया गया है कि ये कमियां क्या हैं, और हम उन्हें पूरा करने के लिए पर्याप्त लोगों को प्रशिक्षित क्यों नहीं कर सकते हैं।

जनसंख्या और विकास वैश्विक, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तरों पर सूक्ष्म तरीकों से जुड़े हुए हैं। प्रत्येक स्तर पर, जनसंख्या को स्थिर करना अधिक पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित और न्यायसंगत भविष्य की कुंजी है।

हममें से जो लोग प्राकृतिक दुनिया को केवल उसके लिए महत्व देते हैं, उनके लिए मामला स्पष्ट है – हमें अन्य प्रजातियों के लिए जगह बनानी चाहिए। उन लोगों के लिए जो अन्य प्रजातियों की परवाह नहीं करते हैं, वास्तविकता यह है कि हमारी अपनी संख्याओं के बारे में अधिक विचारशील दृष्टिकोण के बिना, ग्रह प्रणालियाँ टूटती रहेंगी।

महिलाओं को कम बच्चे पैदा करने का विकल्प चुनने दें

तो फिर क्या करना है? यदि हम मान लें कि पृथ्वी की जनसंख्या 10 अरब से अधिक होने वाली है, तो इस धारणा के पीछे जिस प्रकार की सोच है उसका मतलब है कि हम एक बुरे सपने की ओर नींद में चल रहे हैं जबकि एक बेहतर भविष्य हमारी पहुंच में है।

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था पर आमूल-चूल पुनर्विचार की आवश्यकता है। जनसंख्या वृद्धि के संबंध में यदि हम अनुपयोगी विचारधाराओं से आगे बढ़ सकें तो समाधान पहले से ही उपलब्ध है।

लोग मूर्ख नहीं हैं। विशेषकर, महिलाएं मूर्ख नहीं होतीं। जहां महिलाओं को विकल्प दिया जाता है, वे अपने बच्चों की संख्या सीमित कर देती हैं। यह स्वतंत्रता उतना ही बुनियादी मानवाधिकार है जितना आप प्राप्त कर सकते हैं।

एक अत्यंत आवश्यक जनसांख्यिकीय परिवर्तन हो सकता है, यदि केवल जनसंख्या बढ़ाने का पक्ष लेने वाले इसे होने दें।

जो लोग प्रजनन की अधिक दर का आग्रह करते हैं, चाहे उन्हें इसका एहसास हो या न हो, वे केवल डेवलपर्स और कुछ धार्मिक अधिकारियों के अल्पकालिक हितों की सेवा कर रहे हैं, जिनके लिए बड़े समाज का मतलब अपने लिए अधिक शक्ति है। यह एक पुरुषवादी कल्पना है जिसके लिए ज्यादातर महिलाएं और कई पुरुष लंबे समय से भारी कीमत चुका रहे हैं।

महिलाएं रास्ता दिखाएंगी, बशर्ते हम उन्हें ऐसा करने दें।

द कन्वरसेशन एकता एकता

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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