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Thursday, 19 December, 2024
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भारत में 2022 में प्रति व्यक्ति CO2 उत्सर्जन वैश्विक औसत से आधे से भी कम, US में सबसे ज्यादा : रिपोर्ट

रूस में 11.4 टन, जापान 8.5 टन, चीन 8 टन और यूरोपीय संघ (ईयू) में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 6.2 टन रहा. वैश्विक औसत 4.7 टन है.

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दुबई : भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 2022 में लगभग 5 प्रतिशत बढ़कर दो टन तक पहुंच गया, लेकिन यह अब भी वैश्विक औसत से आधे से कम है. मंगलवार को यहां जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के एक समूह ‘ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट’ के अनुसार अमेरिका प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के मामले में पहले स्थान पर रहा, जहां हर व्यक्ति ने 14.9 टन कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जन किया. इसके बाद रूस 11.4 टन, जापान 8.5 टन, चीन 8 टन और यूरोपीय संघ (ईयू) में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 6.2 टन रहा. वैश्विक औसत 4.7 टन है.

वर्ष 1850 से लेकर 2022 तक की संपूर्ण अवधि के दौरान अमेरिका का कुल कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 115 गीगाटन रहा, जो दुनियाभर के उत्सर्जन का कुल 24 प्रतिशत है. इस अवधि के दौरान ईयू का सीओ2 उत्सर्जन 80 गीगाटन (17 प्रतिशत) और चीन का 70 गीगाटन (15 प्रतिशत) रहा है.

भारत ने 1850 से 15 गीगाटन का उत्सर्जन किया है, जो दुनियाभर के उत्सर्जन का महज तीन प्रतिशत है.

‘ग्लोबल डाटा प्रोजेक्ट’ की ओर से मुहैया कराए गए आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 2022 में 5.1 प्रतिशत बढ़कर दो टन पहुंच गया.

हालांकि, वैज्ञानिकों ने कहा कि भारत 2022 में (दुनियाभर के कुल आठ प्रतिशत के साथ) तीसरा सबसे बड़ा सीओ2 उत्सर्जक रहा जबकि चीन (31 प्रतिशत) पहले और अमेरिका (14) प्रतिशत दूसरे स्थान पर रहा. पिछले साल ईयू में सीओ2 उत्सर्जन 7 प्रतिशत, रूस में 4 प्रतिशत और जापान में 3 प्रतिशत रहा.

वैज्ञानिकों ने दावा किया कि बिजली बनाने में इस्तेमाल होने के चलते कोयले की मांग में वृद्धि हुई है और नवीकरणीय क्षमता इस वृद्धि को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

चीन में 2023 में सीओ2 उत्सर्जन में 4 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है.

साल के अंत तक दुनिया 36.8 अरब टन (पिछले साल से 1.1 प्रतिशत अधिक) कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ चुकी होगी.

इस वृद्धि की जानकारी दुबई में वैश्विक जलवायु वार्ता के बीच आई जहां विभिन्न देश ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए 2030 तक उत्सर्जन में 43 प्रतिशत की कटौती करने के लिए एक निश्चित योजना तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि जलवायु प्रभावों को और खराब होने से बचाया जा सके.


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