नई दिल्ली: पाकिस्तान फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ‘ग्रे लिस्ट’ से निकलने के काफी करीब है लेकिन इस बीच राजनीतिक हलकों में हर ओर इसका क्रेडिट लेने की होड़ मची हुई है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से लेकर देश के पूर्व वज़ीर-ए-आज़म इमरान खान ने एफएटीएफ के बयान के बाद ये कहने में जरा भी देर नहीं लगाई कि ‘हम ही हैं जिसकी वजह से ये हुआ है’.
इस बीच सबसे अहम बात ये है कि ये सभी वही नेता हैं जिनकी वजह से पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में पहुंचा.
When Pakistan finally gets off the FATF grey list there will be many to claim credit. The funniest of them all will be those who were largely responsible for the grey listing of the country.
— Farhatullah Babar (@FarhatullahB) June 18, 2022
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, ‘विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार के मुताबिक बर्लिन में 13-17 जून के बीच हुई बैठक में एकमत से फैसला लिया गया कि पाकिस्तान ने लगभग पूरी तरह मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग के खिलाफ 34 एक्शन प्वांट्स को पूरा किया है.’
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श्रेय लेने की होड़
एफएटीएफ की इस घोषणा के बाद कि पाकिस्तान ने सभी 34 प्वांट्स को पूरा किया है, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने सिलसिलेवार ट्वीट कर इस उपलब्धि के लिए अपनी सरकार की सराहना की.
इस बीच, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हिना रब्बानी खार और उनकी टीम की तारीफ की जिन्होंने एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया था.
शरीफ ने कहा कि एफएटीएफ का बयान इस बात की पुष्टि करता है कि पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा बहाल हो रही है.
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेताओं ने भी पार्टी के अध्यक्ष और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के रूप में अपना हीरो ढूंढ लिया है. पीपीपी ने हाल ही में भुट्टो की विदेश यात्राओं में उनकी सफल ‘डिप्लोमेसी’ की तारीफ की.
भुट्टो ने आधिकारिक बयान में कहा, ‘मुझे लगता है कि एफएटीएफ की तरफ से आई इस अच्छी खबर से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के प्रति विश्वास बहाल होगा और ये विकास और प्रगति के लिए कैटेलिस्ट के तौर पर काम करेगा.’
प्रधानमंत्री शरीफ ने भी भुट्टो से फोन पर बात कर उन्हें इस उपलब्धि के लिए बधाई दी.
और इस तरह पाकिस्तान में क्रेडिट (श्रेय) लेने की होड़ मच गई है.
डॉन की एक रिपोर्ट जिसका शीर्षक- ‘मैनी फादर्स ऑफ एफएटीएफ सक्सेस ‘ है, ‘इसमें पाकिस्तान के सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा, प्रधानमंत्री ने सेना प्रमुख को भी फोन किया और जीएचक्यू में कोर सेल के गठन का फैसला करने के लिए उनकी तारीफ की.’
इस बीच, सेना के प्रवक्ता ने इसे बड़ी उपलब्धि बताया है.
Completion of FATF AML /CFT action plans by Pak is a great achievement. A monumental effort paving way 4 whitelisting. “Core cell @ GHQ which steered the national effort & civil – military team which synergised implementation of action plan made it possible, making Pak proud”COAS
— DG ISPR (@OfficialDGISPR) June 17, 2022
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, ‘जनरल बाजवा के साथ फोन पर बातचीत के दौरान शरीफ ने कोर सेल में नागरिक और सैन्य सदस्यों और सैन्य नेतृत्व की कोशिशों की भी सराहना की.’
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‘मंजिल की ओर’
डॉन में छपे एक लेख जिसका शीर्षक है- ऑन द कस्प ऑफ एफएटीएफ एग्जिट, उसमें ख़लीक कियानी ने लिखा, ‘पाकिस्तान ने फिनिश लाइन को पार कर लिया है लेकिन उसे कुछ और समय तक इंतजार करना पड़ेगा ताकि उसे अंतर्राष्ट्रीय तौर पर सर्टिफिकेट मिल जाए और इस लिस्ट से बाहर निकल जाए.
कियानी ने लिखा, ‘ये ध्यान में रहना चाहिए कि एएमल/सीएफटी में रणनीतिक खामियों के कारण जून 2010 में पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में आया था लेकिन फिर फरवरी 2015 में इस सूची से बाहर भी आ गया था.’ उन्होंने कहा कि ये यात्रा काफी लंबी और थकाऊ थी लेकिन बहुत अहम थी.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून में नावेद हुसैन ने पाकिस्तान में चल रहे इस ‘क्रेडिट गेम’ पर जॉन एफ कैनेडी का एक उद्धरण दिया है. कैनेडी ने कहा था- ‘विक्ट्री हैज़ ए थाऊसैंड फादर्स ‘(Victory has a thousand fathers).
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एफएटीएफ बैन ने पाकिस्तान को कितना नुकसान पहुंचाया
एफएटीएफ उन देशों को ग्रे लिस्ट में रखता है जो मनी लांड्रिंग और आंतकी फंडिंग को लेकर पूरी तरह से उपाय नहीं करता लेकिन ऐसा करने को लेकर प्रतिबद्ध हो. इसका गठन पेरिस में हुए जी-7 समिट में जुलाई 1989 में हुआ था.
2015 में ग्रे लिस्ट से निकलने के बाद पाकिस्तान फिर से फरवरी 2018 में एफएटीएफ की सूची में आया था जब देश में पीएमएल(एन) की सरकार थी. पाकिस्तान को 27 एक्शन प्वांट्स पर काम करने के लिए 15 महीनों का समय दिया गया था लेकिन वो इस बीच डेडलाइन पर ऐसा नहीं कर सका.
ग्रे लिस्ट से निकलना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए काफी अहम होगा.
Congrats Pak! FATF declares both Action Plans complete. Intl community has unanimously ack our efforts. Our success is the result of 4 yrs of challenging journey. Pak reaffirms resolve to continue the momentum and give our economy a boost. Well done Pak Team FATF. Pak Zindabad!
— Hina R Khar (@HinaRKhar) June 17, 2022
इस साल मार्च तक, जब इमरान खान की पाकिस्तान में सरकार थी, देश ने 34 में से 32 एक्शन प्वांट्स पूरे कर लिए थे. एफएटीएफ ने उसके बाद दो बचे प्वांट्स पर तेजी से काम करने को कहा था.
इमरान खान सरकार के योगदान को लेकर एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में कहा गया, ‘ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए सबसे ज्यादा काम पीटीआई सरकार ने किया है.’
इस्लामाबाद स्थित सलाहकार फर्म Tabadlab के एक रिसर्च पेपर के अनुसार, ‘2008 से लेकर 2019 तक एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रहने के दौरान पाकिस्तान को 38 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ.’
Tabadlab पेपर के अनुसार, ‘ग्रे लिस्ट में रहने वाले देशों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कर्ज लेने जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.’ गौरतलब है कि आईएमएफ और विश्व बैंक जैसी प्रमुख वित्तीय संस्थाएं एफएटीएफ के साथ जुड़े हुए हैं.
रिसर्च पेपर के अनुसार, ‘इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि 2018 में ग्रे लिस्ट में डाले जाने के बाद से ही एफएटीएफ के एक्शन प्लान का पालन करने के लिए पाकिस्तान ने कई कानूनी कदम उठाए हैं.’
रिसर्च सोसायटी ऑफ इंटरनेशनल लॉ (आरएसआएल) के जमील अज़ीज ने गल्फ न्यूज़ को बताया था, ‘ग्रे लिस्ट में रहने से आर्थिक नुकसान को देखा जा सकता है और इससे एफडीआई और ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस पर भी प्रभाव पड़ेगा.’
बता दें कि इस समय एफएटीएफ में 39 सदस्य हैं जिसमें दो क्षेत्रीय संगठन- यूरोपियन कमीशन और गल्फ कार्पोरेशन काउंसिल भी हैं. भारत भी काफी समय से एफएटीएफ का सदस्य है.
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भारत की भूमिका
2021 में इमरान खान सरकार में गृह मंत्री रहमान मलिक ने एफएटीएफ के अध्यक्ष डॉ. मार्कस प्लेयर को पत्र लिखकर पाकिस्तान के ग्रे लिस्ट में बने रहने के पीछे भारत की भूमिका की जांच करने की मांग की थी.
मलिक ने इमरान खान से भी पाकिस्तान के साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में याचिका दायर करने की मांग की थी.
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार ये सुनिश्चित करता है कि पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में बना रहे.
एफएटीएफ की मंत्रीस्तरीय बैठक में इसी साल अप्रैल में भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग के खिलाफ देश की राजनीतिक प्रतिबद्धता को दोहराया था.
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