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Thursday, 25 April, 2024
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‘TMC नेता ने भीड़ को उकसाया, पुलिस की भूमिका की भी जांच’- CBI ने बीरभूम चार्जशीट दायर की

इसमें टीएमसी के अनारुल हुसैन और 2 किशोर समेत 18 आरोपियों के नाम शामिल है. सीबीआई ने भादू शेख की हत्या की एक अलग चार्जशीट भी दाखिल की है. मार्च में बोगटुई गांव में हुई हिंसा में 10 लोगों की जान चली गई थी.

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कोलकाता: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को पश्चिम बंगाल की रामपुरहाट अदालत में 21 मार्च को बीरभूम हत्याकांड पर अपनी पहली चार्जशीट दाखिल की है. कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के 89 दिनों बाद आरोप पत्र दायर किया गया है. इस हिंसा में दस लोगों की जान चली गई थी.

1,193 पन्नों की चार्जशीट को दिप्रिंट ने देखा है. इसमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के रामपुरहाट ब्लॉक 1 के अध्यक्ष अनारुल हुसैन और दो किशोरों सहित 18 आरोपियों के नाम शामिल हैं.

चार्जशीट में लिखा है कि हुसैन ने बीरभूम जिले के बोगतुई के निवासियों को उकसाया था जिसकी वजह से स्थानीय तृणमूल नेता भादु शेख की मौत के बाद गांव में हिंसा भड़क उठी.

एजेंसी ने भादू शेख की हत्या की अपनी जांच के संबंध में एक अलग आरोप पत्र भी दाखिल किया है.

एजेंसी ने हिंसा पर अपने आरोप पत्र में दावा किया कि सीबीआई अधिकारियों ने रामपुरहाट अस्पताल, रामपुरहाट पुलिस स्टेशन से लिए गए चार सीसीटीवी फुटेज की जांच की है. इनमें एक पेट्रोल पंप से कथित तौर पर आगजनी करने के लिए खरीदे गए ईंधन और उस जगह के दृश्य हैं, जहां भादू की हत्या हुई थी.

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दस्तावेज में आगे कहा गया है कि 21 मार्च की रात 9.03 बजे हुसैन रामपुरहाट अस्पताल में थे. यहां बोगटुई के ग्रामीण भादू शेख की मौत की खबर पाकर इकट्ठा हुए थे और उन्होंने उन्हें भड़काने में सक्रिय भूमिका निभाई.

सीबीआई ने दावा किया कि जब हिंसा भड़की तो बोगटुई के ग्रामीण ने ब्लॉक अध्यक्ष होने के नाते हुसैन के पास फोन किया था लेकिन उन्होंने यह कहते हुए कुछ भी करने से इंकार कर दिया कि ‘हमारा आदमी मारा गया है, ये तो होगा ही.’ हुसैन पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का भी मामला दर्ज किया गया है. चार्जशीट के अनुसार हुसैन ने अपने मोबाइल फोन से कॉल डेटा डिलिट कर दिया था जिसे बाद में एजेंसी ने बरामद कर लिया.

चार्जशीट में कहा गया है कि बोगटुई में तीन जगहों पर नौ घरों को आग के हवाले कर दिया गया. झुलसे आठ लोगों में से एक पुरुष था और बाकी महिलाएं थीं. बाद में अस्पताल में दो और पीड़ितों ने दम तोड़ दिया जिससे मरने वालों की संख्या 10 हो गई.

मारे गए परिवारों ने डर के चलते अपने घरों को अंदर से बंद कर लिया था. भीड़ ने पहले उन पर बम फेंके और  फिर घरों में आग लगाने के लिए पेट्रोल या मिट्टी के तेल का इस्तेमाल किया. चार्जशीट में कहा गया है कि पुलिस के वहां से चले जाने के अगले दिन तड़के उन्होंने यह देखने के लिए घरों के दरवाजे तोड़े कि उनकी मौत हुई है या नहीं.

सीबीआई ने धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 147 (दंगा), 148 (दंगा, घातक हथियार का इस्तेमाल), 149 (गैरकानूनी सभा), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 435 (आगजनी या विस्फोटक पदार्थ द्वारा क्षति) 436 (आगजनी या विस्फोटक पदार्थ द्वारा घर को नष्ट करने के इरादे से क्षति) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 460 (रात में घर में घुसकर गंभीर रूप से घायल करना या मौत) के तहत आरोप पत्र दायर किया है.

इन धाराओं के अलावा अनारुल हुसैन पर धारा 109 (उकसाने) के तहत भी आरोप लगाया गया है.

 

‘पुलिस की देरी की जांच की जा रही है’

सीबीआई ने यह भी दावा किया है कि पुलिस की ओर से कार्रवाई में देरी की गई थी. चार्जशीट में कहा गया है कि जब बोगटुई में हिंसा हुई और घरों पर बमबारी की जा रही थी तो पीड़ितों में से एक ने रामपुरहाट पुलिस स्टेशन को फोन किया था.

एक टेलीफोन पर लगभग 30 सेकंड तक बात हुई थी लेकिन पुलिस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मौके पर नहीं पहुंची.  इसमें आगे लिखा है, ‘पुलिस हिंसा शुरू होने के लगभग 50 मिनट बाद बोगटुई पहुंची, तब तक घर आग की लपटों में घिर चुके थे.’

एजेंसी के अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि पुलिस और रामपुरहाट फायर डिपार्टमेंट की भूमिका की अभी जांच चल रही है. पुलिस अधिकारियों को अगले चरण की जांच में शामिल होने के लिए नोटिस मिलने की संभावना है.

किस वजह से हुई हिंसा?

सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में कहा कि उसने ऐसे सबूत जब्त किए हैं जो साबित करते हैं कि तृणमूल के उप ग्राम पंचायत नेता भादु शेख रेत, पत्थर के टुकड़ों और कोयले से लदे ट्रकों से ‘अवैध धन’ की वसूली किया करता था.

ये भादु शेख, सोना शेख और पलाश शेख के गिरोह के बीच आपसी रंजिश की वजह बन गई. भादू शेख की हत्या का मुख्य आरोपी पलाश फरार है.

चार्जशीट में कहा गया है कि भादू के भाई बाबर की 5 जनवरी 2021 को हत्या कर दी गई थी. इसे लेकर भादू को सोना और पलाश पर शक था. भादू के गिरोह के एक सदस्य पर पलाश ने हमला किया था. इसके बाद बोगटुई में हत्याओं का सिलसिला तेज हो गया. एक एफआईआर दर्ज की गई और पलाश को कुछ ही समय बाद गिरफ्तार कर लिया गया. इन दोनों गुटों के बीच मनमुटाव बढ़ने के बाद 21 मार्च को बोगटुई में उसके दो मंजिला घर से कुछ कदम दूर ही भादू की हत्या कर दी गई. घंटों बाद जवाबी कार्रवाई में गांव के कई घरों को जला दिया गया. चार्जशीट में कहा गया है कि सोना शेख के घर को भी आग लगा दी गई थी.

भादू शेख की हत्या पर सीबीआई की 180 पन्नों की चार्जशीट में चार आरोपियों- माही शेख, सफी शेख, पलाश और संजू शेख का नाम है. पलाश और सफी दोनों फरार हैं.

आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 302 (हत्या) और 34 (समान इरादे) के तहत मामला दर्ज किया गया है. सीबीआई ने आरोपी पर शस्त्र अधिनियम, 1959 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1883 की धाराओं के तहत भी आरोप लगाए हैं.


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एक 10 साल के बच्चे का बयान भी

जांच में शामिल अधिकारियों में से एक ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि जांच करने के लिए रामपुरहाट में 21 जांच अधिकारियों (आईओ) को तैनात किया गया.

केंद्रीय एजेंसी ने गुवाहाटी, रांची, धनबाद, इंफाल और शिलांग के अधिकारियों को यहां भेजा था. एजेंसी की विशेष अपराध शाखा और कोलकाता में भ्रष्टाचार विरोधी शाखा के अधिकारियों के साथ  ये अधिकारी रामपुरहाट में एक अस्थायी सीबीआई शिविर में रहे और बोगटुई में इन्होंने अपनी जांच शुरू की.

सीबीआई की चार्जशीट में कहा गया है, बीरभूम हिंसा की जांच में 116 गवाहों और भादु शेख की हत्या की जांच में 44 गवाहों की पड़ताल की गई. सीबीआई ने अपने एनेक्सर में बीरभूम हिंसा के दो पीड़ितों के मरने से पहले दिए गए बयान और न्यायिक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में दर्ज पांच पीड़ितों के बयान भी जोड़े हैं. इसमें 10 साल के उस एक लड़के का बयान भी शामिल है, जिसने हिंसा देखी थी.

सोमवार शाम जारी एक प्रेस रिलीज में सीबीआई ने कहा कि उसने वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग करके सबूत इक्ट्ठे किए हैं. जांच के शुरुआती चरण में डर के कारण कोई गवाह सामने नहीं आया लेकिन एजेंसी के लगातार प्रयास के बाद कई लोगों ने अपने बयान दर्ज बयान कराए.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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