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Saturday, 27 April, 2024
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इमरान खान ने कबूला, पाक सेना और आईएसआई ने अफगानिस्तान में लड़ने के लिए अलकायदा को ट्रेनिंग दी

इमरान ने कहा, '9/11 के बाद आतंक के खिलाफ अमेरिका के युद्ध में शामिल होना पाकिस्तान की सबसे बड़ी भूल थी.

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न्यूयार्क : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने स्वीकार किया कि उनके देश की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अफगानिस्तान में लड़ने के लिए अलकायदा और अन्य आतंकवादी संगठनों को प्रशिक्षण दिया था और इसलिए हमेशा से उनसे संबंध बने रहते हैं क्योंकि उन्होंने उन्हें प्रशिक्षित किया है.

विदेश संबंध परिषद (सीएफआर) में सोमवार को एक समारोह में इमरान से पूछा गया कि क्या पाकिस्तान की ओर से कोई जांच कराई गई थी कि कैसे ओसामा बिन लादेन एबटाबाद में रह रहा था, पर उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तानी सेना, आईएसआई ने अलकायदा और इन सब समूहों को अफगानिस्तान में लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया, उनके संबंध हमेशा से थे, यह संबंध होने ही थे क्योंकि उन्होंने उन्हें प्रशिक्षित किया.’ उन्होंने कहा, ‘जब हमने इन समूहों से मुंह मोड़ा तो हमसे सब सहमत नहीं हुए. सेना के अंदर भी लोग हमसे सहमत नहीं हुए, इसलिए पाकिस्तान के अंदर हमले हुए.’

उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के उस बयान का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी सेना को इस बात की जानकारी नहीं थी कि बिन लादेन एबटाबाद में रह रहा था. इमरान ने कहा, ‘जहां तक मैं जानता हूं पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख, आईएसआई को एबटाबाद के बारे में कुछ पता नहीं था. अगर किसी को पता भी होगा तो वह संभवत: निचले स्तर में होगा.’

अमेरिका के पूर्व रक्षा मंत्री जेम्स मेट्टिस ने कहा था कि वह पाकिस्तान को सबसे खतरनाक देश मानते हैं, जिसके संबंध में पूछे गए सवाल पर इमरान ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि जेम्स मेट्टिस यह पूरी तरह समझते हैं कि पाकिस्तान क्यों कट्टरपंथी (रेडिक्लाइज्ड) हो गया.’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने 9/11 के बाद आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका के साथ युद्ध में शामिल होकर सबसे बड़ी गलती की.

इमरान ने कहा, ‘9/11 के बाद आतंक के खिलाफ अमेरिका के साथ युद्ध में शामिल होना पाकिस्तान की सबसे बड़ी भूल थी. 70,000 पाकिस्तानी इसमें मारे गए. कुछ अर्थशास्त्री कहते हैं हमारी अर्थव्यवस्था को इससे 150 अरब तो कुछ का कहना है कि हमें इससे 200 अरब की हानि हुई. इसके बावजूद अफगानिस्तान में अमेरिका के जीत हासिल नहीं करने पर हमें जिम्मेदार ठहराया गया.’

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उन्होंने कहा कि 1980 के दशक में सोवियत संघ से लड़ने के लिए जिन समूहों को प्रशिक्षित किया गया था उन्हें बाद में अमेरिका ने आतंकवादी घोषित कर दिया. इमरान ने कहा, ‘उन्हें बताया गया कि विदेशी ताकतों से लड़ना ‘जिहाद’ है. लेकिन अब जब अमेरिका अफगानिस्तान में आ गया है तो उन्हें आतंकवादी ठहरा दिया गया.’

इमरान ने ट्रंप से कश्मीर पर मध्यस्थता का आग्रह किया

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोमवार को कहा कि भारत कश्मीर पर इस्लामाबाद से बातचीत करने से इनकार कर रहा है और उनका देश मामले को सुलझाने के लिए सबसे ताकतवर देश अमेरिका की ओर देख रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपने द्विपक्षीय बैठक से पहले एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कश्मीर पर ट्रंप से उम्मीदों के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मेरी उम्मीदें : राष्ट्रपति ट्रंप दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के प्रमुख है, और दुनिया के सबसे ताकतवर देश की एक जिम्मेदार होती है.’

उन्होंने कहा, ‘और, आप जानते हैं, ट्रंप इस पर मध्यस्थता करना चाहते हैं और उन्होंने यह भी कहा है कि पहले भारत और पाकिस्तान को इसके लिए सहमत होना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन, दुर्भाग्य से भारत हमसे बातचीत करने से इनकार कर रहा है. इसलिए इस स्थिति में, मैं महसूस करता हूं कि यह संकट की शुरुआत है. जो कश्मीर में हो रहा है-मैं ईमानदारी से महसूस कर रहा हूं कि स्थिति और बदतर होती जाएगी.’ खान ने कहा, ‘लेकिन अमेरिका के बारे में यह सच है कि यह दुनिया का सबसे ताकतवर देश है. यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को प्रभावित कर सकता है. इसके पास एक आवाज है. इसलिए हम मामले को सुलझाने के लिए सबसे ताकतवर देश अमेरिका की ओर देख रहे हैं.’

ट्रंप ने मुद्दे को उलझाते हुए कहा कि इस तीन दिन के संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर कई नेता उनसे मुलाकात करना चाहते हैं, लेकिन वह विशेष रूप से इमरान खान से मिलना चाहते थे. उन्होंने कहा, ‘एक देश जिससे मैं मिलना चाहता था वह पाकिस्तान और आपके प्रधानमंत्री हैं. और यहां आपके साथ होना मेरे लिए सम्मान की बात है.’

दोनों देशों के राजी होने पर कश्मीर पर मध्यस्थता के लिए तैयार : ट्रंप

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को कहा कि वह दोनों देश के राजी होने की स्थिति में कश्मीर पर मध्यस्थता के लिए तैयार हैं. पाकिस्तानी प्रधाानमंत्री इमरान खान के साथ बैठक से पहले पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि मध्यस्थता करने का उनका प्रस्ताव ‘हमेशा बना रहेगा’.

उन्होंने कहा, ‘अगर मैं मदद कर सकता हूं तो मैं हमेशा ऐसा करूंगा, हालांकि यह दोनों पक्षों के सहमति पर निर्भर करेगा.’ उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसा करने की इच्छा रखता हूं और इसमें सक्षम हूं.’

यह पूछे जाने पर कि पाकिस्तान में आतंकवाद की समस्या पर क्या वह उस पर विश्वास करते हैं, पर ट्रंप ने कहा, ‘मैं यहां इस जेंटलमैन पर विश्वास करता हूं और मैं पाकिस्तान पर भी विश्वास करता हूं.’ उन्होंने कहा, ‘न्यूयार्क में मेरे कई पाकिस्तानी दोस्त हैं. वास्तव में शानदार वार्ताकार( ग्रेट निगोशिएटर).’

ट्रंप ने कहा कि जहां तक आतंकवाद से निपटने की बात है, मैंने सुना है कि उन्होंने (पाकिस्तान) इस क्षेत्र में प्रगति की है.

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