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Saturday, 16 November, 2024
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पेरिस में इंडो-पैसिफिक देशों के साथ बैठक में शामिल होने के पाकिस्तानी सेना प्रमुख के अनुरोध को EU ने ठुकराया

जनरल क़मर जावेद बाजवा द्वारा विदेश मामलों और सुरक्षा नीति के लिए यूरोपीय संघ के हाई रिप्रेजेन्टेटिव, जोसेप बोरेल फोंटेल्स के साथ आमने-सामने की बैठक के लिए किये गए अनुरोध को भी ठुकरा दिया गया है.

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नई दिल्ली: तीन अलग-अलग राजनयिक स्रोतों ने दिप्रिंट के साथ इस बात की पुष्टि की है कि यूरोपीय संघ के राजनयिकों ने पिछले हफ्ते पेरिस में आयोजित इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर एक हाई-प्रोफाइल बहुपक्षीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के अनुरोधों को खारिज कर दिया. साथ ही, इस संगठन के विदेश मामलों और सुरक्षा नीति के लिए हाई रिप्रेजेन्टेटिव (उच्च प्रतिनिधि) जोसेप बोरेल फोंटेल्स, के साथ आमने-सामने की मुलाकात के जनरल बाजवा के आग्रह को भी अनसुना कर दिया गया है.

इन्हीं सूत्रों ने बताया कि जनरल बाजवा ने एक और हाई-प्रोफाइल बैठक, म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन, में शामिल होने के लिए भी निमंत्रण की मांग की थी, जो आयोजकों द्वारा इस बात का इशारा किए जाने के बाद विफल हो गयी कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, मोईद यूसुफ, का पहले से ही अफगानिस्तान मुद्दे पर बोलना निर्धारित कर दिया गया था.

इस बारे में और स्पष्टीकरण के लिए टिप्पणी हेतु दिप्रिंट के अनुरोध का यूरोपीय संघ ने कोई जवाब नहीं दिया. इसकी प्रतिक्रिया मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

विदेश मंत्री एस जयशंकर सहित हिंद महासागर क्षेत्र (इंडियन ओसियन रीजन) के 30 से अधिक देशों के नेताओं ने 22 फरवरी को आयोजित यूरोपीय संघ के इंडो-पैसिफिक सम्मेलन में यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ भाग लिया. इस सम्मेलन को हिंद महासागर, जिसके माध्यम से यूरोपीय संघ के वैश्विक व्यापार के अनुमानतः 60 प्रतिशत हिस्से का आवागमन होता है, के लिए एक सुसंगत यूरोपीय सुरक्षा नीति को आकार देने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा गया है.

यूरोप को हिंद महासागर में चलाये जाने वाले सुरक्षा अभियानों में अधिक योगदान करने के लिए की जा रही मांगों का सामना करना पड़ रहा है. विदित हो कि यहां इसके केवल एक सदस्य देश, फ्रांस, की नौसेना की महत्वपूर्ण उपस्थिति है.

संयुक्त राज्य अमेरिका भी यूरोपीय राज्यों को चीन के खिलाफ और अधिक जोर लगाने के लिए प्रेरित कर रहा है और इसमें उसे कुछ सफलता भी मिली है.

इस महीने की शुरुआत में, जर्मनी के विदेश मंत्रालय द्वारा अन्य मंत्रालयों को एक ‘पेपर’ प्रसारित करने की सूचना मिली थी, जिसमें उनसे चीन को ‘व्यवस्थागत प्रतिद्वंद्वी’ (सिस्टमिक राइवल) के रूप में मानने का आग्रह किया गया था.

एक यूरोपीय राजनयिक सूत्र ने कहा कि इस्लामाबाद को अफगान तालिबान पर लगाम लगाने के अपने वादों को पूरा करने में विफलता के एक संकेत के रूप में इस सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया था. साथ ही, तथाकथित ईशनिंदा करने वालों की सुरक्षा के आरोप के साथ फ्रांस के राजदूत के निष्कासन की मांग कर रहे इस्लामी प्रदर्शनकारियों से निपटने के उसके असफल तरीके पर उपजा क्रोध भी इसकी एक और वजह थी

एक भारतीय राजनयिक सूत्र ने कहा कि इस्लामाबाद में यूरोपीय संघ के राजदूत, एंड्रोला कामिनारा, ने जोसेप बोरेल फोंटेल्स को जनरल बाजवा से मिलने के लिए यह तर्क देते हुए हुए प्रेरित किया था कि वे इस देश के सुरक्षा प्रतिष्ठान के उस प्रो- वेस्ट (पश्चिम-समर्थक) तबके की नुमाइंदगी करते हैं, जो चीन के प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

हालांकि, यूरोपीय संघ के राजनयिकों ने इस बात की ओर ध्यान दिलायाः कि यह बैठक अनुचित होगी, क्योंकि जनरल बाजवा एक सैन्य अधिकारी हैं, न कि उनके देश के कोई राजनयिक प्रतिनिधि.

इससे पहले पाकिस्तानी सेना के आधिकारिक इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशन्स एजेंसी (आईएसपीआर) ने 18 फरवरी को घोषणा की थी कि इस महीने बेल्जियम की अपनी यात्रा के दौरान, जनरल बाजवा ने यूरोपियन एक्सटर्नल एक्शन सर्विसेज (ईईएएस) के सेक्रेट्री, स्टेफानो सैनिनो और यूरोपियन यूनियन मिलिट्री कमिटी के चैयरमैन (अध्यक्ष), क्लॉडियो ग्राज़ियानो, से भी मुलाकातें की थीं.

इस बयान में कहा गया था कि तीनों अधिकारियों ने अफगानिस्तान सहित क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति पर चर्चा की.

ईईएएस यूरोपीय संघ की राजनयिक सेवा है, जो विदेश मामलों और सुरक्षा नीति के लिए हाई रिप्रेजेन्टेटिव को रिपोर्ट करती है, और इसे यूरोपीय देशों के इस गठबंधन की विदेश और सुरक्षा नीतियों को क्रियान्वित करने का काम सौंपा गया है.


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जनरल बाजवा का रहस्यमय लंदन दौरा

इस बीच, भारतीय राजनयिक सूत्र ने कहा कि अपनी यूरोपीय संघ की बैठकों के बाद, जनरल बाजवा ने पिछले सप्ताह लंदन की एक गुमनाम यात्रा भी की. इस सूत्र ने कहा कि जनरल बाजवा और पाकिस्तानी सेना के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी, संचार और सूचना प्रौद्योगिकी महानिरीक्षक लेफ्टिनेंट जनरल आसिफ गफूर, दो दिनों के लिए सेन्ट्रल लंदन के ग्रोसवेनर हाउस होटल में रुके थे. एक विश्वसनीय पाकिस्तानी मीडिया सूत्र ने भी इस बैठक की पुष्टि की.

हालांकि, ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह कदम जनरल बाजवा और प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच के कथित तनाव से संबंधित हो सकता है, मगर पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के एक नेता ने दिप्रिंट को बताया कि इस निर्वासित पाकिस्तानी राजनेता और पाकिस्तानी सेना प्रमुख के बीच कोई बैठक नहीं हुई थी.

इस्लामाबाद के द्वारा उन्हें वापस पाकिस्तान भेजे जाने के कई अनुरोधों के बीच शरीफ 2019 से ही लंदन में रह रहे हैं. यूनाइटेड किंगडम के होम ऑफिस ने पिछले साल शरीफ द्वारा अपने वीजा के एक्सटेंशन (विस्तार) के लिए किये गए अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उन्होंने वह चिकित्सा उपचार पूरा कर लिया था जिसके लिए उन्हें इस देश में प्रवेश दिया गया था. अब एक इमीग्रेशन ट्रिब्यूनल उस साल के अंत में पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री द्वारा दायर अपील पर फैसला करने के लिए तैयार है.

जनरल बाजवा के यूनाइटेड किंगडम के साथ घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध हैं, जहां उनकी भाभी अस्मा बाजवा और दो भाई – तारिक बाजवा और जावेद – बाजवा रहते है.

साल 2018 में, लंदन को जनरल के दूत – एक अभिजात वर्ग की पृष्ठभूमि से आने वाले और अब सेवानिवृत्त हो चुके इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस अधिकारी – और भारत की ख़ुफ़िया संस्था रिसर्च एन्ड एनालिसिस विंग (रॉ) के एक अधिकारी के बीच हुई गुप्त बैठकों वाले स्थान के रूप में भी चुना गया था. इन बैठकों की वजह से ही पिछले साल कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम संभव हुआ था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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