नई दिल्ली: पाकिस्तान ने अपने समाचार चैनलों को कई सारे निर्देश जारी किए हैं, जिनके तहत उन्हें राजकीय संस्थानों के खिलाफ ‘गलत सूचना और दुष्प्रचार फैलाने’ में शामिल होने से बचने के लिए कहा गया है.
मंगलवार को जारी किये गए अपने निर्देशों में पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी (पीईएमआरए) ने उन खबरों की तरफ इशारा किया जो सरकारी संस्थानों को बदनाम करने के लिए कथित तौर पर ‘आक्षेप लगाने’ और ‘एक सुनियोजित प्रचार अभियान’ में शामिल हैं.
इससे पहले उसी दिन, पीईएमआरए ने एआरवाई न्यूज को ‘घृणित, देशद्रोही और दुर्भावनापूर्ण विषय सामग्री’ के प्रसारण के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान के करीबी सहयोगी शाहबाज गिल की भागीदारी वाले एक कार्यक्रम को प्रसारित करने के बाद सोमवार शाम से ही देश के कई हिस्सों में इस पाकिस्तानी समाचार चैनल का प्रसारण बंद कर दिया गया था. पुलिस के अनुसार गिल ने इस कार्यक्रम के दौरान ‘राजकीय संस्थाओं के खिलाफ बयानबाजी‘ और ‘लोगों को विद्रोह के लिए उकसाने’ का काम किया था .
इसके बाद, कराची पुलिस ने बुधवार तड़के एआरवाई न्यूज के प्रमुख अम्माद यूसुफ को उनके घर से ही गिरफ्तार कर लिया था. कुछ समय बाद, एआरवाई डिजिटल नेटवर्क के संस्थापक और सीईओ सलमान इकबाल तथा एंकर अरशद शरीफ एवं खावर घुमन पर भी राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.
तमाम पाकिस्तानी पत्रकारों ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है और एआरवाई न्यूज, जिसे वर्तमान में सिर्फ यूट्यूब पर प्रसारित किया जा रहा है, के प्रसारण की तत्काल बहाली की मांग की है.
दिप्रिंट के साथ बात करते हुए एक पाकिस्तानी पत्रकार ने कहा कि उनके देश में अपनी आजादी के लिए जूझ रहे मीडिया के लिए ये घटनाएं नई नहीं थीं.
इस पत्रकार ने कहा, ‘इमरान खान के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में भी, मीडियाकर्मी इसी डर वाली मानसिकता से पीड़ित थे. पत्रकारों को पीटा जाता था और अक्सर उन्हें धमकाया भी जाता था. उनमें से कुछ को अपनी नौकरी भी गंवानी पड़ी और हम सभी को अपनी खबरों को जुटाने (रिपोर्ताज) के मामले में बहुत सावधान रहना होता है. यह सरकार भी कुछ अलग नहीं है. हालांकि, जिस तेजी से इसने कार्यवाही की और देशद्रोह के आरोप मढ़ दिए, उसने पूरी मीडिया बिरादरी को झकझोर कर रख दिया. इन निर्देशों का स्वरूप काफी दम घोटने जैसा है और भविष्य में हमें अदालती मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है.’
हालांकि इस पत्रकार ने कहा कि उन मीडिया कर्मियों की भी जवाबदेही बनती है जिन्हें यह तक नहीं पता होता है कि कब किस चीज पर रोक लगानी है और किस पर नहीं. पत्रकार ने आगे कहा, ‘वे चीजों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करते हैं और जानबूझकर उन विषयों को उठाते हैं जो निश्चित रूप से सरकार और लोगों को गलत तरीके से भड़काएंगे. टीवी चैनलों की अपनी खुद की वफादारी होती है. ऐसे कई चैनल हैं जो एआरवाई द्वारा चुने गए टॉपिक से मिलते-जुलते टॉपिक उठाते हैं. यहां यह ध्यान रखना दिलचस्प होगा कि उन्हें कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा कभी छुआ नहीं गया है.’
इस सब के बीच, मंगलवार को एआरवाई न्यूज के साथ बात करते हुए इमरान खान ने अपने सहयोगी गिल की गिरफ्तारी और इस समाचार चैनल के प्रसारण को निलंबित करने की निंदा करते हुए कहा कि यह एक ‘लोकतांत्रिक समाज में स्वीकार्य नहीं है.’
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‘न्यूज चैनलों में ट्रेंड बन गया है’
पीईएमआरए ने कहा कि मीडिया में विशेष रूप से सैटेलाइट टीवी चैनलों में एक ‘प्रवृत्ति’ बन गयी है जिसके तहत तमाम एंकर और विश्लेषक सरकारी संस्थानों के बारे में फर्जी खबरें फैलाने में शामिल हैं.
पीईएमआरए द्वारा ट्विटर पर साझा किए गए निर्देश में कहा गया है, ‘चैनलों पर देखी जा रही इस तरह की प्रवृत्ति न केवल राजकीय संस्थानों के खिलाफ आक्षेप लगाने के समान है, बल्कि या सरकारी संस्थानों के खिलाफ एक तरह का सुनियोजित प्रचार अभियान भी है. ऐसी विषय सामग्री का प्रसारण प्राधिकरण द्वारा जारी निर्देशों, पीईएमआरए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (कार्यक्रम और विज्ञापन) आचार संहिता 2015 के प्रावधानों और उच्च स्तर की अदालतों द्वारा निर्धारित सिद्धांतों का उल्लंघन है.’
— Report PEMRA (@reportpemra) August 9, 2022
इसने इस बात पर भी रौशनी डाली कि कैसे पाकिस्तान में बोलने की स्वतंत्रता अपने आप में पूर्ण नहीं है और इस पर कानून के तहत कुछ प्रतिबंध लगाए हैं, जिनका इस्तेमाल भावनाओं को भड़काने और फर्जी खबरें फैलाने वालों के खिलाफ किया जाएगा.
पीईएमआरए द्वारा ट्विटर पर साझा किए गए निर्देश में कहा गया है, ‘यहां यह उल्लेख करना उचित है कि संविधान के अनुच्छेद 19 के अनुसार भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है….हालांकि, यह अधिकार इस्लाम के गौरव, पाकिस्तान या उसके किसी भी हिस्से की अखंडता, सुरक्षा या रक्षा, विदेशी राष्ट्रों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, सार्वजनिक कानून व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता, अथवा अदालत की अवमानना या किसी अपराध को करने अथवा इसके लिए किसी को उकसाने के संबंध में कानून द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के अधीन है.’
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किन वजहों से हुई यह कार्रवाई?
गिल द्वारा सोमवार को एक ऑन एयर प्रोग्राम के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सेना के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश के लिए वर्तमान सरकार आलोचना किये जाने और इसके बाद हुई उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार और इमरान खान की पीटीआई के बीच राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो गया है.
जहां पीटीआई नेता फवाद चौधरी ने मंगलवार को ट्वीट किया कि गिल का कथित रूप से ‘अपहरण’ कर लिया गया है, वहीं पाकिस्तान के आंतरिक मामलों के मंत्री राणा सनाउल्लाह खान ने एलान किया कि पुलिस ने गिल को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया है.
A script was prepared under Imran Khan’s supervision and was propagated by Shahbaz Gill on ARY news, which was complicit in the whole saga, to create rifts between ranks of the state institution. Gill has been arrested on account of sedition charges according to the law. (1/2)
— Rana SanaUllah Khan (@RanaSanaullahPK) August 9, 2022
मंगलवार को सनाउल्लाह खान ने एक ट्वीट में यह भी दावा किया कि इसकी पटकथा खान की देखरेख में तैयार की गई थी और गिल द्वारा इसे समाचार चैनल पर प्रचारित किया गया था.
इसके एक दिन बाद इस्लामाबाद की एक अदालत ने पुलिस को गिल की दो दिन की हिरासत प्रदान कर दी.
चैनल के प्रसारण के निलंबन के बारे में इमरान खान ने खुद मंगलवार को एआरवाई न्यूज से बात की.
पीटीआई प्रमुख ने कहा, ‘अगर कोई कानून तोड़ता है, तो कार्रवाई जरूर होनी चाहिए. क्या एआरवाई न्यूज को कोई ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया गया था या इसके निलंबन की कोई वजह बताई गई थी? स्पष्टीकरण पेश करने का कोई मौका दिए बिना ही इस चैनल के प्रसारण को निलंबित कर दिया गया. यह एक लोकतांत्रिक समाज में स्वीकार्य नहीं है. लोकतंत्र किसी को भी एकतरफा फैसला लेने और किसी चैनल बंद करने की अनुमति नहीं देता है.’
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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