(केजेएम वर्मा)
बीजिंग, 14 अप्रैल (भाषा) चीन ने तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर “बेहद अस्वीकार्य” रूप से काम करने वाले अमेरिकी अधिकारियों पर सोमवार को वीजा प्रतिबंध लगाने की घोषणा की।
माना जा रहा है कि चीन ने अमेरिका की ओर से चीनी अधिकारियों पर लगाए गए अतिरिक्त वीजा प्रतिबंधों के जवाब में यह कदम उठाया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बीजिंग में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तिब्बत से जुड़े मामले पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला हैं।
लिन ने कहा, “चीन ने देश के विदेश संबंधों से जुड़े कानून और विदेशी प्रतिबंध विरोधी कानून के अनुसार उन अमेरिकी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है, जिन्होंने शिजांग (तिब्बत) से संबंधित मुद्दों पर बेहद अस्वीकार्य रूप से काम किया है।”
इससे पहले, अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने 31 मार्च को जारी एक बयान में कहा था कि वाशिंगटन तिब्बती क्षेत्रों में विदेशियों की पहुंच से संबंधित नीतियों के निर्माण या क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण रूप से शामिल चीनी अधिकारियों पर अतिरिक्त वीजा प्रतिबंध लगाएगा।
हांगकांग के अखबार ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की खबर के अनुसार, बयान में कहा गया कि यह फैसला 2018 के ‘तिब्बत तक पारस्परिक पहुंच अधिनियम’ के तहत लिया गया है, जिसमें कहा गया है कि अगर चीनी अधिकारी अमेरिका के सरकारी कर्मचारियों, पत्रकारों, स्वतंत्र पर्यवेक्षकों और पर्यटकों को क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने में संलिप्त पाए जाते हैं, तो उन्हें अमेरिकी वीजा देने से इनकार किया जा सकता है।
बयान में कहा गया कि चीनी प्राधिकारी “अमेरिकी राजनयिकों, पत्रकारों और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और चीन के नियंत्रण वाले तिब्बती क्षेत्रों में प्रवेश की अनुमति देने से लंबे समय से इनकार करते आए हैं”, जबकि “चीन के राजनयिकों और पत्रकारों को अमेरिकी क्षेत्रों में व्यापक पहुंच हासिल है।”
अमेरिकी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए लिन ने कहा, “हम अपने विदेशी मित्रों का चीन के शिजांग क्षेत्र की यात्रा करने, वहां घूमने-फिरने और व्यापार करने के लिए स्वागत करते हैं। इसी के साथ हम मानवाधिकार, धर्म और संस्कृति के बहाने शिजांग से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप करने के किसी भी देश या व्यक्ति के प्रयास का विरोध करते हैं।”
लिन ने कहा, “चीन गलत मंशा वाले लोगों के हस्तक्षेप का विरोध करता है, जो शिजांग की यात्रा का इस्तेमाल ऐसी गतिविधियों में शामिल होने के अवसर के रूप में करते हैं।”
भाषा पारुल सुरेश
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