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Tuesday, 14 October, 2025
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‘जड़ तक पहुंचना था’ — IPS अधिकारी ने जेवर लैंड स्कैम को उजागर करने के लिए कैसे की गुप्त कार्रवाई

योगी आदित्यनाथ के एक फ़ोन ने अलीगढ़ के आईपीएस अधिकारी अमृत जैन को एक बड़े ज़मीन घोटाले की तह तक पहुंचा दिया, जिसमें आईएएस अधिकारी भी ठगे गए थे. "किसान और ख़रीदार, दोनों ठगे गए."

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जेवर: किसान सुनील बड़ौला अपने खेत के किनारे खड़े होकर वैगनआर और स्विफ्ट कारों में लोगों की कतारें देख रहे थे, जो उन्होंने गौतमबुद्ध नगर में बनने वाले जेवर हवाई अड्डे के पास अपनी ज़मीन खरीदने के लिए लगाई थीं. रातों-रात एक तंबू खड़ा हो गया था. एक स्टॉल पर चावल और सब्ज़ी परोसी जा रही थी. एजेंट अपने हाथों से हवा में सपनों के घरों का चित्र बना रहे थे.

फिर उन्होंने सुना: छह बीघा ज़मीन देने का वादा किया जा रहा था. उसने तो सिर्फ़ दो ही बेची थीं. उनकी शिकायत उन कई शिकायतों में से एक थी जिसने दिल्ली-एनसीआर के सबसे बड़े ज़मीन घोटालों में से एक की जांच शुरू कर दी—ऐसा घोटाला जिसमें आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी नहीं बख्शे गए.

“जब मैंने एजेंट से सवाल किया, तो उसने मुझे धमकी दी,” बड़ौला ने कहा, जो अलीगढ़ के गोरौला गांव के रहने वाले हैं. “उसने कहा मैं कुछ साबित नहीं कर सकता — क्योंकि दस्तावेज़ जाली हैं.” 2022 से बड़ौला जैसे लोगों की धोखाधड़ी की साधारण शिकायतें जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक लखनऊ पहुंचीं, तो अलीगढ़ पुलिस ने 32 वर्षीय IPS अधिकारी अमृत जैन के नेतृत्व में गुप्त जांच शुरू की, जिससे इलाके में कम से कम 100 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश हुआ.

Jewar Airport land sales
यमुना एक्सप्रेसवे के पास एक प्रॉपर्टी का विज्ञापन. एजेंट अभी भी जेवर हवाई अड्डे के पास ‘YEIDA-अनुमोदित’ प्लॉट का प्रचार कर रहे हैं | फोटो: सागरिका किस्सू | दिप्रिंट

उत्तर प्रदेश के विकास का चमकता प्रतीक — योगी सरकार का महत्वाकांक्षी जेवर एयरपोर्ट, जिसका उद्घाटन 30 अक्टूबर को होना है — अब रियल एस्टेट धोखाधड़ी का पर्याय बन गया है. एजेंटों, शेल कंपनियों और जाली दस्तावेज़ों का एक बड़ा जाल, सिर्फ दिल्ली-एनसीआर ही नहीं बल्कि लखनऊ जैसे शहरों के हज़ारों घर खरीदारों को फंसा चुका है.

भारत के सबसे बड़े बनने वाले एयरपोर्ट का वादा, साथ ही फिल्म सिटी और स्पोर्ट्स सिटी की योजनाओं ने दिल्ली से 80 किलोमीटर दूर रियल एस्टेट में उछाल ला दिया. जैसे-जैसे ज़मीन की कीमतें बढ़ीं, वैसे-वैसे घोटाले भी बढ़े.

एजेंटों ने शेल कंपनियां बनाई, यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (YEIDA) से मंजूरी लिए बिना किसानों से ज़मीन खरीदी. वही प्लॉट्स कई बार नकली दस्तावेज़ों और फर्जी YEIDA नक्शों के ज़रिए कई खरीदारों को बेचे गए.

घोटाले के केंद्र में है अलीगढ़ ज़िले का टप्पल-बाजना ब्लॉक. 2022 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इसकी नगर पंचायत को भंग कर YEIDA के अधिकार क्षेत्र में ला दिया, क्योंकि यह यमुना एक्सप्रेसवे के पास और एयरपोर्ट साइट से कुछ ही किलोमीटर दूर है. रियल एस्टेट प्लेयर्स टूट पड़े. इसके बाद नकली प्लॉटिंग, अवैध बिक्री और “YEIDA-स्वीकृत” ज़मीन के झूठे दावों की होड़ लग गई.

अब तो असली रियल एस्टेट कंपनियां भी अपनी प्रमाणिकता साबित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं. उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स भरे पड़े हैं कि उनके प्लॉट्स YEIDA से क्लियर हैं और 100 प्रतिशत असली हैं. कुछ कंपनियां इस घोटाले का उपयोग चेतावनी के रूप में कर रही हैं ताकि अपनी सेवाओं का प्रचार कर सकें.

ERM ग्लोबल इन्वेस्टर्स की एक इंस्टाग्राम पोस्ट में AI से बनी एयरपोर्ट की तस्वीरें और परेशान खरीदार दिखाए गए, साथ ही कैप्शन था: “झूठे वादों में न फंसें – सही कंपनी चुनें और अपने निवेश को सुरक्षित रखें.”

इसी बीच, अलीगढ़ पुलिस कहती है कि वे नुकसान को नियंत्रित करने के लिए तेजी से काम कर रहे हैं. कई मामलों में उन्होंने आरोपित रियल एस्टेट एजेंटों के खिलाफ उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स एंड एंटी-सोशल एक्टिविटीज़ (प्रिवेंशन) एक्ट लागू किया है. यमुना अथॉरिटी ने करीब 400 कंपनियों को नोटिस जारी किए हैं.

“एयरपोर्ट और एक्सप्रेसवे की वजह से कई संदिग्ध कंपनियां उभरीं, जिन्होंने छोटे निवेशकों और घर खरीदारों को लुभाया,” अलीगढ़ (ग्रामीण) के पुलिस अधीक्षक अमृत जैन ने कहा, जिन्होंने इस घोटाले की जांच की. उन्होंने बताया कि पीड़ितों ने शुरू में शिकायत करने से परहेज किया, उम्मीद थी कि पैसे वापस मिल जाएंगे, लेकिन बाद में उन्हें समझ आया कि ऐसा नहीं होने वाला.

“जनवरी से हमें शिकायतों में तेजी देखने को मिली, और तभी सख्त कार्रवाई शुरू हुई,” उन्होंने कहा. “इन्होंने जिन किसानों से ज़मीन खरीदी, उन्हें भी धोखा दिया — और जिन खरीदारों को बेची, उन्हें भी.”

एक गुप्त कार्रवाई

जब 2021 बैच के IPS अधिकारी अमृत जैन ने नवंबर में अलीगढ़ ज़िले में कार्यभार संभाला, तो उन्हें ज्यादा से ज्यादा फाइलों और ज़िला दौरे की उम्मीद थी. लेकिन जब वे तीन महीने की ट्रेनिंग से लौटे, तो मुख्यमंत्री कार्यालय से आया एक फोन स्पष्ट कर गया कि यह कोई साधारण पोस्टिंग नहीं थी.

CM ने ज़मीन घोटालों पर जवाब और तेज कार्रवाई मांगी थी. दर्जनों लोग ठगे जा चुके थे, जिनमें IAS और IPS अफसर, उच्च सरकारी कर्मचारी और व्यापारी शामिल थे. यह घोटाला कैसे फैला, और कहाँ से शुरू हुआ — ये अब तक रहस्य था.

“मैंने यह समस्या विरासत में पाई. लोग सामने आकर शिकायत नहीं करना चाहते थे. इसलिए हमें कोई बेहतर तरीका सोचना पड़ा ताकि हम असली वजह समझ सकें और इसकी जड़ तक पहुंच सकें,” उस युवा अधिकारी ने कहा जिनकी कार्रवाई ने अलीगढ़ में हलचल मचा दी है.

इसके लिए जैन ने गुप्त तरीके से जांच शुरू की. नोएडा के एक सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में भेष बदलकर उन्होंने खुद साइट्स पर जाना शुरू किया. कुछ महीनों में उन्होंने तीन-चार लोकेशन देखीं. एक जगह, एक एजेंट ने बताया कि प्लॉट विवादित है — लेकिन अगर जैन थोड़ा अतिरिक्त दें, तो वह “YEIDA से क्लीयर करा देगा” और सारा पेपरवर्क संभाल लेगा. दूसरी जगह उन्हें YEIDA के नकली लोगो वाला नक्शा दिखाया गया.

Aligarh jewar land fraud
अलीगढ़ जांच को ज़मीन धोखाधड़ी के ख़िलाफ़ एक ‘ऐतिहासिक कार्रवाई’ बताते हुए एक आधिकारिक वीडियो का एक दृश्य | X स्क्रीनग्रैब/@Uppolice

इन दौरों से उन्हें सीधे समझ आया कि एजेंट किसान और खरीदारों को कैसे बेवकूफ बना रहे हैं, लेकिन यह घोटाले की गहराई और संगठन की सिर्फ एक झलक थी. जैन सिर्फ कुछ लोगों पर केस करके संतुष्ट नहीं थे.

“ज्यादातर मामलों में सिर्फ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 406 (आपराधिक विश्वास भंग) लगाई जाती थी,” उन्होंने कहा. “लेकिन इन धाराओं में गिरफ्तारी मुश्किल होती है और आसानी से ज़मानत मिल जाती है. इसलिए अपराध पर काबू नहीं हो पाता था. यही मुख्य समस्या थी.”

इससे निपटने के लिए, जैन और उनकी पुलिस टीम — सर्किल ऑफिसर वरुण कुमार सिंह और SHO अरुण कुमार — ने बार-बार सामने आने वाले आरोपियों की पहचान की और उन्हें संगठित गिरोहों के रूप में जोड़ना शुरू किया. जब यह पैटर्न स्पष्ट हुआ, तो उन्होंने आरोपियों पर गैंगस्टर्स एक्ट के तहत केस दर्ज किया, जिससे पुलिस को गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने का मजबूत कानूनी आधार मिला.

“हमने गैंग रजिस्ट्रेशन के बाद गैंगस्टर एक्ट लागू किया — इसी से हमें उन्हें गिरफ्तार करने की ताकत मिली,” जैन ने कहा. लेकिन आरोपी तुरंत हाई कोर्ट पहुंचे, जहां दो महीने की गिरफ्तारी पर रोक लग गई.

इन दो महीनों में, जैन ने AI की मदद से आरोपियों के पुराने केस निकाले और नए BNSS कानून के तहत उन्हें दोबारा खोला, और धारा 107 लगाई जिससे अपराध से अर्जित संपत्ति को जब्त किया जा सके.

Gangsters Act Jewar land scam
गोरौला गांव में एक सार्वजनिक नोटिस में गैंगस्टर अधिनियम के तहत जेएसएम प्रो इंफ्राटेक से 60.89 करोड़ रुपये की ज़मीन ज़ब्त करने का विवरण दिया गया है. फोटो: X/@Uppolice

“इससे हमें एक्सप्रेसवे के पास धोखे से ली गई ज़मीन सहित संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार मिला,” उन्होंने कहा.

जुलाई में, JSM ग्रुप के तीन लोगों को गैंगस्टर एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया और करीब 40,596 वर्ग मीटर ज़मीन जब्त की गई, जिसकी कीमत 60 करोड़ रुपये से ज्यादा थी. सितंबर में, टप्पल में करीब 15,200 वर्ग मीटर ज़मीन जिसकी कीमत लगभग 33 करोड़ थी, ज़ब्त की गई. YEIDA ने भी पिछले तीन सालों में 25 अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाए हैं, जिनमें करीब 2,500 करोड़ रुपये की ज़मीन वापस ली गई है. उसने खरीदारों को जेवर एयरपोर्ट के पास अप्रूव्ड न होने वाली परियोजनाओं से सावधान रहने को भी कहा है.

जैन के लिए सिर्फ छापेमारी करना और रियल एस्टेट एजेंटों को गिरफ्तार करना काफी नहीं था. इसलिए उन्होंने एक सख्त जागरूकता अभियान शुरू किया. हर वीकेंड, गांव वाले टप्पल थाने में इकट्ठा होते हैं, जहां जैन उन्हें समझाते हैं और वे अपनी धोखाधड़ी की कहानियां साझा करते हैं. हर कहानी के साथ, किसी नई कंपनी का नाम सामने आता है.

“किसान ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं. इसलिए मैं उन्हें ज़मीन बेचने की प्रक्रिया समझाता हूं,” जैन ने कहा.

सुनील बड़ौला का मामला दिखाता है कि कैसे किसान इस पूरे तंत्र में अनजाने हिस्सेदार बन गए.

किसानों को धोखा देना

अलीगढ़ के गोरौला गांव में एक पंचायत सभा चल रही थी, जब रियल एस्टेट एजेंट प्रवीन कुमार पटेल ने अपनी बात रखी. उसने किसानों को ज़मीन के बदले मोटी रकम का लालच दिया और एक-एक करके लगभग 20 किसान मान गए. उन्हीं में से एक थे बड़ौला, जिन्होंने 22 लाख रुपये में दो बीघा ज़मीन बेची.

इस पैसे से बड़ौला ने दोबारा निवेश किया — अपने गांव और आसपास के इलाके में और ज़मीन खरीदी, इस उम्मीद में कि जब सरकार भविष्य में विकास के लिए ज़मीन अधिग्रहित करेगी, तो उन्हें और बेहतर मुआवज़ा मिलेगा.

कुमार, अपने साथियों अजीत और श्रवण के साथ, JSM प्राइवेट इन्फ्राटेक लिमिटेड के नाम से काम कर रहा था.

“उसने हमें बताया था कि वह एक निजी रियल एस्टेट एजेंट है लेकिन YEIDA से मंजूरी लेकर ज़मीन खरीद रहा है,” बड़ौला ने याद करते हुए कहा.

Jewar land scam Tappal block
अलीगढ़ पुलिस टीम टप्पल ब्लॉक के गोरौला गांव में भूखंडों का सर्वे करती हुई | X/@Uppolice

धीरे-धीरे, गोरौला में हर वीकेंड एक तरह का ओपन हाउस जैसा माहौल बनने लगा. संभावित खरीदार पूरे राज्य से आने लगे. किसानों को पूरा विश्वास था कि यह सबके लिए एक अवसर की कहानी है, इसलिए वे खुद ही लोगों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करने लगे.

“हमें नहीं पता था कि यह एक धोखाधड़ी चल रही थी,” बड़ौला ने कहा. जब उन्हें पता चला कि एजेंट खरीदारों को छह बीघा ज़मीन दिखा रहे हैं जबकि उन्होंने तो सिर्फ दो बीघा बेची थी, तो उन्होंने उन्हें टोक दिया. जब उन्हें धमकी दी गई, तो वे पुलिस के पास गए. अन्य किसान भी उनके साथ हो लिए. उन्होंने देखा कि कुमार खरीदारों को उनकी बाकी ज़मीन पर ले जा रहा था और उसे अपनी बता रहा था. जो एक शिकायत से शुरू हुआ था, वह बहुत बड़ा बन गया, खासकर जब जैन ने कार्यभार संभाला. JSM जुलाई में पुलिस के जाल में फंसा, और पटेल व उसके दो साथी गिरफ्तार किए गए.

अधिकारियों ने बताया कि यह कंपनी संगठित लैंड माफिया की तरह काम कर रही थी, जो गोरौला में झूठे बहानों पर खेती की ज़मीन खरीद रही थी और जाली दस्तावेज़ों से उसे कई भोले-भाले खरीदारों को फिर से बेच रही थी.

“JSM सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक था. इन्होंने जाली दस्तावेज़ों से किसानों और निवेशकों — दोनों को ठगा. और जब हमने इनकी कमाई के स्रोतों का पता लगाया, तो यह 100 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा पहुंच गई,” जैन ने कहा.

लेकिन घर खरीदने वालों के लिए यह सिर्फ पैसों का नुकसान नहीं था — यह उनके सपनों का नुकसान था.

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आगामी जेवर हवाई अड्डे के पास सेक्टर 28 में YEIDA के प्रस्तावित मेडिकल डिवाइस और डेटा सेंटर पार्क का एक चिन्ह | फोटो: सागरिका किस्सू | दिप्रिंट

जब सपनों की ज़मीन हकीकत में नहीं होती

दिल्ली के शाहीन बाग़ की अपनी मस्जिद में एक जमात सभा के दौरान, मुज़्ज़िन मोहम्मद उमरदीन की मुलाकात रियल एस्टेट एजेंट इरफ़ान से हुई — जिसने उन्हें एक बिजनेसमैन बनने का सपना दिखाया.

उमरदीन मस्जिद से 8,000 रुपये और क़ुरान की क्लास पढ़ाकर 10,000 रुपये कमाते थे. जेवर एयरपोर्ट के पास ज़मीन खरीदने का ऑफर उनके लिए ज़िंदगी बदलने वाला लगा.

“वह रियल एस्टेट एजेंट, जो हमारी मस्जिद में भी आता था, उसने कहा कि अगर मैं अभी खरीद लूं, तो मैं वहां एक दुकान खोल सकता हूं. और एयरपोर्ट की वजह से, मैं बहुत कमाऊंगा,” उमरदीन ने कहा, जिन्होंने सफेद टोपी पहनी थी और जिनकी लंबी दाढ़ी सीने तक जा रही थी.

उन्होंने 6 लाख रुपये में 10 बीघा ज़मीन खरीदी. लेकिन एक मुज़्ज़िन के लिए इतना पैसा जुटाना आसान नहीं था. उन्होंने रिश्तेदारों से उधार लिया, दोस्तों से मदद मांगी, और किसी तरह रकम इकट्ठा की.

जेवर के पास YEIDA के औद्योगिक क्षेत्रों की ओर जाने वाले संकेत. यह विकास का केंद्र होने के साथ-साथ ज़मीन घोटालों का अड्डा भी है | फोटो: सागरिका किस्सू | दिप्रिंट

जब वे अपनी फैमिली के साथ साइट पर पहुंचे — एक ज़मीन का टुकड़ा जहां लंबी फसलें हवा में लहरा रही थीं — तो उन्होंने वहां अपना भविष्य देखा: एक किराना दुकान, एक घर, उनके बच्चे अलीगढ़ में पढ़ाई कर रहे होंगे. सब कुछ सही लग रहा था.

हर महीने, वे रियल एस्टेट एजेंट को 30,000 रुपये देते थे, जो उन्हें प्लॉट्स की निशानदेही और ज़मीन की सफाई के व्हाट्सएप वीडियो भेजता था. फिर उमरदीन को मस्जिद की नौकरी से हाथ धोना पड़ा क्योंकि वे बीमार पिता की देखभाल के कारण नियमित नहीं जा पा रहे थे. कुछ समय बाद उनके पिता का देहांत हो गया. इन सब के बीच, उन्हें बस उस ज़मीन पर नया घर बनने की उम्मीद थी.

फिर एक दिन पिछले साल, मस्जिद के इमाम — जिन्होंने खुद भी जेवर में ज़मीन में निवेश किया था — ने उन्हें सच्चाई बताई.

उमरदीन ने कहा, “इमाम साहब ने मुझसे पूछा, ‘क्या तुम्हें पता है वो ज़मीन गैरकानूनी है और हम सब ठगे गए हैं?’ मैं स्तब्ध रह गया. मुझे समझ नहीं आया क्या करूं.”

जेएसएम प्रो इंफ्राटेक द्वारा प्रचारात्मक पोस्ट में जेवर हवाई अड्डे के पास सपनों के घर और खुशी के आंसू का वादा किया गया | X

पिछले दो सालों से, उमरदीन उस रियल एस्टेट एजेंट से अपने पैसे के लिए पीछे भाग रहे हैं. लेकिन उन्होंने अभी तक पुलिस में शिकायत नहीं की है, डर है कि शिकायत करने से पैसे वापस मिलने की उम्मीद भी चली जाएगी.

“उसने वादा किया था कि वो मेरे पैसे लौटा देगा — लेकिन 30 प्रतिशत काट कर,” उमरदीन ने कहा, अपनी उंगलियां बेचैनी से मलते हुए.

IPS अधिकारी अमृत जैन ने कहा कि कई लोग इसी सोच में रहते हैं. “उन्हें लगता है कि एजेंट अंत में पूरा पैसा लौटा देगा. वे यह भी सोचते हैं कि पुलिस पैसे नहीं दिला पाएगी, और अगर एजेंट गिरफ्तार हो गया, तो पैसे कैसे मिलेंगे?” जैन ने कहा.

जैसे कुछ हुआ ही नहीं

अब्दुल रहमान को ‘इंसाफ’ तो मिला, लेकिन उनके पैसे नहीं.

2022 में, एक रियल एस्टेट एजेंट ने उन्हें एक चमकदार ब्रोशर दिखाया जिसमें जेवर एयरपोर्ट के पास एक शानदार हाउसिंग प्रोजेक्ट का वादा था — चौड़ी सड़कों और तेज कनेक्टिविटी के साथ.

“यह नया गुरुग्राम बनेगा,” उन्हें बताया गया था.

नोएडा की एक एक्सपोर्ट कंपनी में 42 वर्षीय क्लर्क रहमान के लिए यह एक किफायती तरक्की का मौका था. रहमान और उनके परिवार ने कमर कस ली. उन्होंने खाने-पीने में कटौती की, हर एक रुपया बचाया, और अपनी 50,000 रुपये की सैलरी में से हर महीने 30,000 रुपये एजेंट को देने लगे. लेकिन अंत में उन्हें एहसास हुआ कि वो प्रोजेक्ट कभी पूरा नहीं होगा और उन्होंने शिकायत दर्ज की.

एजेंट को अब अलीगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन रहमान के लिए यह बस एक ठंडी दिलासा है.

“जब भी मैं उस इलाके में जाता हूं, तो बस खाली ज़मीन दिखती है जहां घास में गायें चर रही होती हैं. वो ज़मीन अब तक हमारा घर बन जानी चाहिए थी,” उन्होंने फीके पड़े दस्तावेज़ों के ढेर के पास बैठते हुए कहा. “अब मुझे बड़ा घर नहीं चाहिए. मैं बस अपने बच्चों की पढ़ाई कराना चाहता हूं और इतना कमाना चाहता हूं कि दो वक्त की रोटी मिल सके.”

जुलाई से, उत्तर प्रदेश सरकार लैंड माफिया पर अपनी कार्रवाई का प्रचार कर रही है. एक एक्स (ट्विटर) पोस्ट में उत्तर प्रदेश पुलिस ने लिखा:

“माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत, अलीगढ़ पुलिस ने एक फर्जी रियल एस्टेट कंपनी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है.”

एक अन्य पोस्ट में लिखा है: “कई महीनों की मेहनत — पैसों की ट्रेल ट्रैक करना, पीड़ितों से संपर्क करना, ज़मीन पर और हवाई सर्वे करना — के बाद अलीगढ़ पुलिस ने अपराध से कमाई गई 33 करोड़ की संपत्तियों को अटैच किया है.”

एक्सप्रेसवे के ठीक पास, जेवर एयरपोर्ट के पास अब कोई सेल्स कैंप नहीं लगते. लेकिन कारोबार बंद नहीं हुआ है. बस अब वह शांत हो गया है.

एक स्कॉर्पियो से कुछ लोग उतरते हैं. एक पति-पत्नी और एक अन्य आदमी एक खाली प्लॉट के किनारे चलते हैं. वह बायें इशारा करते हुए दंपती से कहता है, “यहां बनेगा जेवर एयरपोर्ट.” बीस मिनट बाद, वे चले जाते हैं.

आधा घंटा बीतता है, एक और ग्राहक आता है. वही स्क्रिप्ट दोहराई जाती है.

पास की दीवारों और टूटे-फूटे होर्डिंग्स पर रियल एस्टेट एजेंट्स के नाम और नंबर लिखे हैं: “जेवर में प्रॉपर्टी चाहिए? हमसे संपर्क करें.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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