scorecardresearch
Friday, 5 July, 2024
होमखेलदेश के हर दिव्यांग के लिये प्रेरणा बनेगा यह सम्मान : पद्मभूषण पैरा एथलीट देवेंद्र झझाडिया

देश के हर दिव्यांग के लिये प्रेरणा बनेगा यह सम्मान : पद्मभूषण पैरा एथलीट देवेंद्र झझाडिया

Text Size:

( मोना पार्थसारथी )

नयी दिल्ली, 26 जनवरी ( भाषा ) देश का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण पाने वाले पहले पैरा खिलाड़ी बने देवेंद्र झझाडिया ने कहा है कि देश के हर दिव्यांग के लिये यह बहुत बड़ा दिन है और इससे समाज का दिव्यांगजनों के प्रति रवैया बदलेगा जबकि पैरा खिलाड़ियों को और बेहतर प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलेगी ।

पैरालम्पिक भाला फेंक एफ 46 वर्ग में में दो स्वर्ण ( एथेंस 2004 और रियो 2016 ) और एक रजत ( तोक्यो 2020) पदक जीतने वाले झझाडिया को मंगलवार को पद्मभूषण सम्मान के लिये चुना गया । इस वर्ष पद्मभूषण पाने वाले वह अकेले खिलाड़ी हैं । उन्हें 2012 में पद्मश्री मिला था।

झझाडिया ने गांधीनगर स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र से भाषा को दिये इंटरव्यू में कहा ,‘‘ पैरा खेलों के लिये ही नहीं बल्कि सभी दिव्यांग लोगों के लिये भी यह बहुत बड़ा पल है । समाज में किसी समय में उनके लिये जो भावनायें थी, उसमें बदलाव आया है और आज वे सभी लोग बहुत खुश होंगे ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ पहली बार एक पैरा खिलाड़ी को पद्मभूषण मिला है जिसके लिये मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को धन्यवाद देना चाहूंगा । उन्होंने पैरा खेलों को एक विजन के रूप में लिया है और पैरा खिलाड़ियों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा है । इस साल खेल जगत से मुझे पद्मभूषण मिला है तो पूरे खेल जगत की तरफ से मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं ।’’

झझाडिया ने कहा कि इस सम्मान से पैरा खिलाड़ियों को आगे विश्व स्तर पर खासकर पैरालम्पिक में और बेहतर प्रदर्शन की प्रेरणा मिलेगी ।

राजस्थान के इस खिलाड़ी ने कहा ,‘‘ इससे पैरा खेलों के लिये बहुत बड़ा बदलाव आयेगा । तोक्यो की तरह पेरिस पैरालम्पिक में भी हमारा एक मिशन है और अब पहले से ज्यादा पदक जीतेंगे । इस साल एशियाई खेल हैं और हमारा पूरा फोकस पेरिस पैरालम्पिक पर भी हैं ।’’

भारतीय पैरा खिलाड़ियों ने तोक्यो पैरालम्पिक 2020 में पांच स्वर्ण, आठ रजत और छह कांस्य समेत 19 पदक जीते जो उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है ।

तोक्यो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा और सुमित अंतिल को भी पद्मश्री मिला है यानी भालाफेंक में तीन खिलाड़ियों को पद्म सम्मान के लिये चुना गया है ।

झझाडिया ने कहा ,‘‘ यह भालाफेंक के लिये बहुत बड़ी बात है । नीरज और सुमित को भी सम्मान मिला है और वे इसके हकदार थे । इससे युवा भालाफेंक खेल को अपनाने के लिये प्रेरित होंगे ।’’

आठ वर्ष की उम्र में पेड़ पर चढते समय बिजली के तारों से टकराकर अपना बायां हाथ गंवाने वाले झझाडिया ने पिछले दो दशक में पैरा खेलों में आये बदलाव का पूरा दौर देखा है ।

उन्होंने कहा ,‘‘ शुरूआत में काफी चुनौतीपूर्ण था सफर । जब मैं मैदान पर पहली बार गया तो लोगों ने कहा कि एक दिव्यांग क्या खेलेगा? लेकिन आज देश कितना बदल गया है कि आज कोई दिव्यांग किसी को मिलता है तो लोग कहते हैं कि जाओ मैदान पर देवेंद्र झाझडिया बनो । एक समय मैने अपनी जेब से पैसा लगाकर 2004 में पैरालम्पिक में पदक जीता क्योंकि सरकार से एक रूपया नहीं मिला था और आज सारी सुविधायें हमारे पास है।’’

उन्होंने अपना पद्मभूषण सम्मान अपने पिता को समर्पित किया जिनका अक्टूबर 2020 में निधन हो गया था ।

उन्होंने कहा ,‘‘ मेरे पिता का सपना था कि मैं बहुत बड़ा खिलाड़ी बनूं और उन्होंने काफी कुर्बानियां भी दी लेकिन आज यह दिन देखने के लिये वह नहीं हैं । मैं यह सम्मान उन्हें समर्पित करता हूं ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ यह खुशी मीडिया के साथ ही सेलिब्रेट कर रहा हूं चूंकि परिवार से दूर हूं । फोन पर सबसे पहले मम्मी को बताया तो वह काफी भावुक हो गई । हमारे परिवार के लिये बहुत बड़ा पल है । उन्होंने भी काफी चुनौतियों का सामना किया है और मुझे फख्र है कि आज उनका सिर गर्व से ऊंचा है ।’’

भाषा मोना पंत

पंत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments