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Wednesday, 3 September, 2025
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बलबीर सिंह सीनियर की खोई हुई यादगार चीजों को अब भी तलाश रहा है परिवार

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चंडीगढ़, 24 जुलाई (भाषा) दिग्गज हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर ने एक बार अपनी खोई हुई यादगार चीजों के बारे में कहा था कि बुढ़ापे में आप अपने जीवन में हासिल की गई उपलब्धियों को देखकर खुश होना चाहते हो।

पिछले 10 साल से बलबीर सिंह सीनियर के परिवार ने उनकी खोई हुई चीजों को हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इन चीजों को उन्होंने 1985 में भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) को दान किया था।

अपने शानदार करियर में तीन बार ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम का हिस्सा रहे बलबीर सिंह सीनियर भारत के महानतम हॉकी खिलाड़ियों में शामिल रहे। उनका मई 2020 में खराब स्वास्थ्य के कारण निधन हो गया था।

उनकी खोई हुई यादगार चीजों में ओलंपिक ब्लेजर, पदक और दुर्लभ तस्वीरें शामिल हैं। बलबीर सिंह सीनियर ने प्रस्तावित संग्रहालय के लिए साइ को ये चीजें दान की थी लेकिन यह संग्रहालय कभी बना ही नहीं।

बलबीर सिंह सीनियर के नाती कबीर ने रविवार को यहां पीटीआई से कहा, ‘‘वह अपने नुकसान के दर्द की तुलना परिवार के किसी करीबी सदस्य के निधन से करते थे।’’

उन्होंने याद किया कि किस तरह पिछले 10 साल में परिवार ने इस दिग्गज हॉकी खिलाड़ी की खोई हुई चीजों को हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।

परिवार का कहना है कि उन्हें चीजों के गायब होने का पता उस समय चला जब अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के ओलंपिक संग्रहालय ने मेलबर्न खेलों के ब्लेजर को आधिकारिक 2012 लंदन ओलंपिक प्रदर्शनी का हिस्सा बनाना चाहा। वहां उन्हें आधुनिक ओलंपिक के 116 वर्षों के इतिहास में सभी खेलों में 16 ओलंपिक आइकन में से एक के रूप में सम्मानित किया गया था।

कबीर ने कहा, ‘‘उस समय हमने उस ब्लेजर को लेने के लिए साइ से संपर्क किया क्योंकि नानाजी (बलबीर सीनियर) के पास लंदन में ओलंपिक पदक के अलावा कुछ भी नहीं था लेकिन साइ के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इन चीजों के बारे में पता नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि ये चीजें हमारी राष्ट्रीय खेल विरासत का हिस्सा थीं।

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के वकीलों के एक समूह ने नई दिल्ली में साइ कार्यालय और पटियाला में राष्ट्रीय खेल संस्थान (एनआईएस) में कई आरटीआई (सूचना का आधिकार याचिका) दायर की जिसमें खुलासा हुआ कि इन केंद्रों को वास्तव में बलबीर सिंह सीनियर से ये चीजें मिली थी।

कबीर ने कहा, ‘‘हमारे पास अखबारों की मूल खबरें भी हैं जिनमें 1985 में ये चीजें सौंपने की तस्वीर भी छपी है। अगर हमारे पास ये नहीं होती तो वे इस बात से इनकार करते रहते कि हमारे देश के खेल इतिहास के इस खजाने को कभी उन्हें दिया गया था।’’

कबीर ने कहा कि इस दिग्गज हॉकी खिलाड़ी के निधन के बाद विभिन्न अधिकारियों ने आश्वासन दिया गया था कि मामले की गहन जांच की जाएगी।

अंतत: एनआईएस ने पटियाला के सिविल लाइंस पुलिस थाने में तीन साल पहले प्राथमिकी दर्ज कराई।

इसके बाद विशेष जांच टीम (एसआईटी) का भी गठन किया गया लेकिन अब तक इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई है।

कबीर ने कहा, ‘‘सितंबर 2021 में एसआईटी के गठन के बाद से कोई अच्छी खबर नहीं मिली। हमारे बयान लेने के लिए भी अब तक कोई चंडीगढ़ में हमारे घर तक नहीं आया। यह बेहद हताशा भरा है लेकिन मैं हार नहीं मानूंगा। ’’

कबीर ने कहा कि परिवार ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात का आग्रह किया है जिससे कि समयबद्ध जांच कराने का प्रयास किया जा सके।

बलबीर सिंह सीनियर की बेटी सुशबीर कौर ने कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि पेशेवर पुलिस अगर उचित जांच करेगी तो इस मामले को सुलझाने में मदद मिलेगी। अगर ऐसा नहीं होगा तो हम न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाएंगे।’’

सुशबीर ने कहा कि जब तक वह और उनका बेटा जीवित हैं वे जवाब मांगते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि इस बात की कल्पना भी नहीं की जा सकती कि कैसे इतनी बहुमूल्य वस्तुओं को खो दिया गया।

सुशबीर ने कहा, ‘‘उनके साथ अपने देश में इस तरह का बर्ताव हुआ। उन्हें लूटा गया और इसका कोई जवाब नहीं है। किसी की जवाबदेही नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘खोने का मतलब है कि एक या दो चीजें खो गई, अगर किसी खिलाड़ी के सब कुछ गायब है तो यह षड्यंत्र की ओर इशारा करता है। मीडिया या लोगों या सरकार को जवाब ढूंढना होगा।’’

भाषा

सुधीर पंत

पंत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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