पटना: बिहार सरकार की मुख्यमंत्री उद्यमी योजना और बिहार लघु उद्यमी योजना जैसे नवाचारपूर्ण प्रयासों से राज्य में उद्यमिता को नई दिशा मिली है. इन योजनाओं ने न सिर्फ युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया है, बल्कि वे अब दूसरों के लिए भी रोजगार का जरिया बन रहे हैं.
मुंगेर के अभिमन्यु कुमार की कहानी इसका एक प्रेरणादायक उदाहरण है. इंटरमीडिएट के बाद सेना में भर्ती होने का सपना देखने वाले अभिमन्यु को पिता के निधन के बाद परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ी. इसी दौरान उन्हें मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के बारे में जानकारी मिली और उन्होंने इसमें आवेदन किया. चयन होने पर उन्हें 10 लाख रुपये की सहायता मिली, जिससे उन्होंने आटा, सत्तू और बेसन निर्माण का प्लांट शुरू किया. आज वे सफलतापूर्वक अपना व्यवसाय चला रहे हैं और कई अन्य लोगों को भी रोज़गार दे रहे हैं.
अभिमन्यु की तरह राज्य के कई युवा अपनी लगन और सरकारी मदद से आगे बढ़ रहे हैं: प्रिंस कुमार ने आइसक्रीम उत्पादन इकाई की शुरुआत कर गर्मियों में स्वाद और शीतलता का कारोबार जमाया है. गौतम कुमार ने रेडीमेड वस्त्र निर्माण कर अपने क्षेत्र में फैशन का नया ट्रेंड शुरू किया है. सुनील कुमार ने बेकरी उत्पादन इकाई खड़ी कर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है. आशीष कुमार सिंह ने नोटबुक निर्माण से शिक्षा जगत में योगदान दिया है. बब्बन कुमार ने रेडीमेड गारमेंट्स का व्यवसाय शुरू कर स्थानीय बाज़ार में अपनी अलग पहचान बनाई है.
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत सरकार 10 लाख रुपये तक की सहायता देती है, जिसमें 50% अनुदान और 50% ब्याज-मुक्त ऋण शामिल है. इससे युवा बिना पूंजी की चिंता किए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं.