नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर में इस साल की अमरनाथ यात्रा में छह से आठ लाख भक्तों की भीड़ सुनिश्चित करने के लिए सभी बाधाएं दूर कर रही है, जो 2019 की यात्रा में हिस्सा लेने वाले श्रद्धालुओं की संख्या से करीब दोगुनी रहने की उम्मीद है. 2019 में संविधान का अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के दौरान अमरनाथ यात्रा को बीच में ही रोक दिया गया था.
इसके बाद, कोविड-19 महामारी के कारण 2020 और 2021 दोनों ही सालों में अमरनाथ यात्रा रद्द रही थी.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (आईएंडबी) ने इस बार भक्तों की संख्या को बढ़ाने के उद्देश्य से ‘यात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं और सहज यात्रा अनुभव’ सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत योजनाएं तैयार की हैं.
अमरनाथ श्राइन बोर्ड की तरफ से प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में सबसे ज्यादा श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा के लिए पहुंचे थे और यह संख्या 3.4 लाख तक हो गई गई थी. हालांकि, जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाला अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के कारण यात्रा बीच में ही रद्द कर दी गई थी.
तमाम उपाय किए जा रहे
आमतौर पर यात्रा संबंधी जो बैठकें राष्ट्रीय राजधानी में होती हैं, वे इस साल श्रीनगर में हो रही हैं. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के मुख्य सचिव अपूर्व चंद्रा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को अमरनाथ श्राइन बोर्ड के सदस्यों और वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों से मुलाकात की. इस दौरान दूरदर्शन और आकाशवाणी के अधिकारी भी मौजूद थे.
अमरनाथ यात्रा के लिए निर्धारित उपायों में ‘मीडिया यूनिट’ भी शामिल हैं जो भक्तों के लिए जारी होने वाले परामर्शों को रेखांकित करेंगी, उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) टैग का उपयोग किया जाएगा और इसके अलावा ‘जम्मू-कश्मीर में विकास कार्यों को लेकर केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन और केंद्र सरकार की विभिन्न उपलब्धियों’ से जुड़ी ‘सकारात्मक खबरों को विस्तार से सामने रखा जाएगा.’
चंद्रा ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने प्रशासन से श्रद्धालुओं को यात्रा के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शॉर्ट सोशल मीडिया वीडियो बनाने को कहा है. सिनेमाघरों में फिल्म की स्क्रीनिंग से पहले छोटी क्लिप दिखाने को भी कहा गया है ताकि लोगों को पता चल सके कि इस मोर्चे पर क्या हो रहा है और उन्हें किस तरह की सुविधाएं मिलेंगी.’
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा हम यह भी उम्मीद करते हैं कि अमरनाथ यात्री घाटी में बतौर पर्यटक तीन-चार दिन और बिताएंगे. मौजूदा समय में घाटी के माहौल में सुधार हुआ है और हम इसे सबके सामने लाना चाहते हैं.’
यह भी पढ़ें : BJP के छद्म राष्ट्रवाद की नकल है AAP की देशभक्ति, दोनों से देश को बचाना होगा
‘तीर्थयात्रा को लेकर सभी संदेह दूर किए जा रहे’
अमरनाथ यात्रा मूलत: हिमालय में रास्ते दक्षिण कश्मीर में अमरनाथ की गुफा में स्थित मंदिर तक की पहाड़ों की यात्रा है, जो भगवान शिव की आराधना के लिए की जाती है. इस साल यह यात्रा 30 जून से शुरू होकर 11 अगस्त तक चलेगी. यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन सोमवार से शुरू हो चुका है.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, ‘जम्मू और कश्मीर के मुख्य सचिव अरुण कुमार ने (बैठक में) कहा कि इस साल बेहतर सुविधाओं और निर्बाध यात्रा अनुभव के कारण अमरनाथ श्रद्धालुओं की संख्या रिकॉर्ड उच्चतम स्तर पर पहुंचेगी.’
अधिकारियों ने यह भी घोषणा की कि मंत्रालय की विभिन्न ‘मीडिया यूनिट यात्रा के बारे में पंजीकरण शुरू होने से लेकर इसके समापन तक की विस्तृत प्रक्रियाओं के बारे में प्रचार करेंगी.’
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विक्रम सहाय के हवाले से बयान में कहा गया है, ‘जम्मू-कश्मीर में जो सकारात्मक माहौल बना है, उसे उजागर करने की नितांत आवश्यकता है. यह तीर्थयात्रा को लेकर सभी संदेहों को दूर करेगा. यह पूरे देश से अधिक से अधिक लोगों को इस यात्रा का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करेगा.’
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘इस बार हमारी कोशिश है कि मनोबल ऊंचा रहे ताकि हम यह सुनिश्चित कर सकें कि श्रद्धालुओं में सरकार की तरफ से की गई व्यवस्थाओं के प्रति भरोसा बढ़े. इसलिए, विभिन्न मीडिया यूनिट स्थापित की गई हैं. इससे लोगों को ये समझने में मदद मिलेगी कि व्यवस्थाएं कैसी हैं और सुरक्षा कैसे हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. अतीत में इस बारे में गलतफहमी बनी रही है कि कैसे यह ट्रेक बहुत कठिन और जानलेवा है और हम इन्हीं चिंताओं को दूर करना चाहते हैं.’
अमरनाथ श्राइन बोर्ड की वेबसाइट ने इस साल तीर्थयात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं को सूचीबद्ध किया है. जम्मू-कश्मीर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन एक्ट, 1988 की धारा 16 के मुताबिक, अमरनाथ श्राइन बोर्ड मंदिर के आसपास विकास कार्यों, संचार साधनों में सुधार, आवासीय भवनों के निर्माण और साफ-सफाई संबंधी कार्यों के लिए जिम्मेदार है.
श्रीनगर की बैठक में क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों की कवरेज पर ध्यान केंद्रित करने संबंधी प्रशासन के उपायों पर भी चर्चा की गई.
बयान के मुताबिक, चंद्रा ने बैठक में कहा—’जम्मू-कश्मीर में किए गए विकास कार्यों के संबंध में केंद्र और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासन की विभिन्न उपलब्धियों को लोगों की नजर में लाने की आवश्यकता है.’
मार्च से जारी विभिन्न बैठकों में अमरनाथ श्राइन बोर्ड यात्रा संबंधी योजनाओं पर मंथन कर रहा है. 21 मार्च को बोर्ड के सदस्यों में भी फेरबदल हुआ, और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बेहतर प्रबंधन के लिए आठ सदस्यीय बोर्ड का पुनर्गठन किया. बोर्ड में मौजूदा समय में सरकारी अधिकारी, स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज जैसे आध्यात्मिक नेता, और साथ ही शिक्षाविद भी शामिल हैं.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें : ‘आफस्पा’ खत्म करने के अलावा बगावत विरोधी रणनीति को भी बदलिए और सेना को इससे मुक्त कीजिए